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शहडोल में किसान को एक झटके में 15 से 20 लाख का नुकसान, कहा-डूब गई पूंजी नई फसल कैसे लगाएं

Shahdol rain and hailstorm : बारिश और भारी ओलावृष्टि से किसानों की फसलें एक झटके में तबाह हो गई हैं. अपनी फसलों को देखकर किसान खून के आंसू रो रहे हैं. शहडोल से आई इस रिपोर्ट में देखिए कुदरत की मार.

vegetable crops spoiled
शहडोल में फसलें बर्बाद
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 20, 2024, 5:54 PM IST

Shahdol rain and hailstorm

शहडोल। जब किसान मंडी में अपनी फसल लेकर जाता है तो उसकी फसल को मंडी में औने पौने दामों पर खरीदा जाता है. आलम यह रहता है कि किसान को अपनी फसल पर अच्छे दाम भी नहीं मिल पाते, लेकिन किसान जो खेतों में पसीना बहाता है खेती करता है या ये कहें कि कितने रिस्क में खेती करता है लेकिन किस तरह से एक झटके में उसकी पूरी की पूरी फसल और लागत डूब जाती है. इसकी एक बानगी आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं.शहडोल जिले में ओलावृष्टि हुई और इस ओलावृष्टि में कुछ गांव के किसान बुरी तरह प्रभावित हुए, ईटीवी भारत ऐसे ही कुछ गांवों में पहुंचा. खेत देखकर तो हम भी दंग रह गए.

कैसे बर्बाद हुए किसान और उनकी फसलें

आसमानी आफत पर तो किसी का बस नहीं है लेकिन इसका सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ता है हाड़तोड़ मेहनत करने वाले किसानों को. शीतेश जीवन पटेल के खेत पर जैसे ही हम पहुंचे, उन्होंने एक उम्मीद भरी नजरों से हमें देखा और अपनी फसल को ले जाकर दिखाने लगे. इस उम्मीद के साथ कि उनकी खबर शासन तक पहुंचेगी तो हो सकता है शासन से उन्हें कुछ मदद मिल जाए. क्योंकि उनको एक दो लाख नहीं बल्कि 10 से 15 लाख का नुकसान हो गया. अत्याधुनिक तरीके से खेती करते हैं. इस बार भी उन्होंने लगभग 11 एकड़ में जिला मुख्यालय से लगभग 20 से 25 किलोमीटर दूर मजगवां गांव में फसल लगाई थी. महज कुछ मिनट की ओलावृष्टि ने उनकी पूरी फसल को बर्बाद कर दिया.

Shahdol rain and hailstorm
सब्जियों की उन्नत खेती करने वाले किसान अपनी फसल दिखाते हुए

कलिंदर, टमाटर, खीरा की फसल बर्बाद

किसान शीतेश जीवन पटेल बताते हैं कि "उन्होंने चार एकड़ में कलिंदर की फसल लगाई थी, अभी कलिंदर की फसल में फल आने शुरू हुए थे, 100 से 200 ग्राम के फल लगे हुए थे, दो से तीन ट्रक कलिंदर फल चुका था, और ये फलन की शुरुआत ही थी. जब ओलावृष्टि हुई तो फसल को फाड़ दिया, जो पौधा था कलिंदर का उसके टुकड़े टुकड़े कर दिए, टमाटर की बात करें तो इस फसल को भी तीन एकड़ में लगाया था जो पूरी तरह से झड़ कर पानी में बह गई. 3 एकड़ में में खीरा भी लगाया था, खीरा का भी यही हाल रहा".

Farmers crops destroyed
शहडोल में ओलावृष्टि से फसलें तबाह

लाखों रुपये की लागत बर्बाद

किसान शीतेश जीवन पटेल बताते हैं कि "पटवारी, आरआई, तहसीलदार सभी आए थे सभी देखकर कर गए हैं. खर्च की बात करें तो अत्याधुनिक तरीके से खेती किया हूं, यहां मल्चिंग भी लगाई है, ड्रिप भी लगाया तो मेरा जो खर्चा आ रहा है एक एकड़ में लगभग एक लाख 25 हजार का खर्चा आ रहा है. टोटल खर्च की बात करें तो 14 से 15 लाख रुपये तक लागत लग चुकी है. अब इसे हटाने में भी खर्च लगेगा दो से ढाई लाख रुपए तक. जब पूंजी होगी तब तो नई फसल लगाएंगे, जितनी पूंजी थी उसको तो हमने यहां लगा दिया था. अब सरकार से ही मदद की दरकार है कि सरकार ही कुछ मदद करे, जिससे इस संकट से किसी कदर उबर पाएं".

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शीतेश अकेले नहीं ऐसे सैकड़ों किसान

शीतेश जीवन पटेल अकेले ऐसे किसान नहीं हैं जिनको नुकसान हुआ है यह तो केवल एक बानगी है. जिले के सैकड़ों ऐसे छोटे-बड़े किसान हैं जिनकी फसलों का यही हाल हुआ है. ऐसे में किसान अब खून के आंसू रोने को मजबूर हैं और सरकार से मदद की उम्मीद की आस लगाए बैठे हैं. दर्द ये भी है कि मुआवजे के नाम पर जो मदद मिलती है वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान होती है. ऐसे में छोटे किसानों के हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है. खास तौर पर वे किसान जो कर्ज लेकर खेती-किसानी इस आस में करते हैं कि अच्छी फसल आने पर कर्जा चुका देंगे और अपने परिवार का पेट भी पालेंगे.

Shahdol rain and hailstorm

शहडोल। जब किसान मंडी में अपनी फसल लेकर जाता है तो उसकी फसल को मंडी में औने पौने दामों पर खरीदा जाता है. आलम यह रहता है कि किसान को अपनी फसल पर अच्छे दाम भी नहीं मिल पाते, लेकिन किसान जो खेतों में पसीना बहाता है खेती करता है या ये कहें कि कितने रिस्क में खेती करता है लेकिन किस तरह से एक झटके में उसकी पूरी की पूरी फसल और लागत डूब जाती है. इसकी एक बानगी आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं.शहडोल जिले में ओलावृष्टि हुई और इस ओलावृष्टि में कुछ गांव के किसान बुरी तरह प्रभावित हुए, ईटीवी भारत ऐसे ही कुछ गांवों में पहुंचा. खेत देखकर तो हम भी दंग रह गए.

कैसे बर्बाद हुए किसान और उनकी फसलें

आसमानी आफत पर तो किसी का बस नहीं है लेकिन इसका सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ता है हाड़तोड़ मेहनत करने वाले किसानों को. शीतेश जीवन पटेल के खेत पर जैसे ही हम पहुंचे, उन्होंने एक उम्मीद भरी नजरों से हमें देखा और अपनी फसल को ले जाकर दिखाने लगे. इस उम्मीद के साथ कि उनकी खबर शासन तक पहुंचेगी तो हो सकता है शासन से उन्हें कुछ मदद मिल जाए. क्योंकि उनको एक दो लाख नहीं बल्कि 10 से 15 लाख का नुकसान हो गया. अत्याधुनिक तरीके से खेती करते हैं. इस बार भी उन्होंने लगभग 11 एकड़ में जिला मुख्यालय से लगभग 20 से 25 किलोमीटर दूर मजगवां गांव में फसल लगाई थी. महज कुछ मिनट की ओलावृष्टि ने उनकी पूरी फसल को बर्बाद कर दिया.

Shahdol rain and hailstorm
सब्जियों की उन्नत खेती करने वाले किसान अपनी फसल दिखाते हुए

कलिंदर, टमाटर, खीरा की फसल बर्बाद

किसान शीतेश जीवन पटेल बताते हैं कि "उन्होंने चार एकड़ में कलिंदर की फसल लगाई थी, अभी कलिंदर की फसल में फल आने शुरू हुए थे, 100 से 200 ग्राम के फल लगे हुए थे, दो से तीन ट्रक कलिंदर फल चुका था, और ये फलन की शुरुआत ही थी. जब ओलावृष्टि हुई तो फसल को फाड़ दिया, जो पौधा था कलिंदर का उसके टुकड़े टुकड़े कर दिए, टमाटर की बात करें तो इस फसल को भी तीन एकड़ में लगाया था जो पूरी तरह से झड़ कर पानी में बह गई. 3 एकड़ में में खीरा भी लगाया था, खीरा का भी यही हाल रहा".

Farmers crops destroyed
शहडोल में ओलावृष्टि से फसलें तबाह

लाखों रुपये की लागत बर्बाद

किसान शीतेश जीवन पटेल बताते हैं कि "पटवारी, आरआई, तहसीलदार सभी आए थे सभी देखकर कर गए हैं. खर्च की बात करें तो अत्याधुनिक तरीके से खेती किया हूं, यहां मल्चिंग भी लगाई है, ड्रिप भी लगाया तो मेरा जो खर्चा आ रहा है एक एकड़ में लगभग एक लाख 25 हजार का खर्चा आ रहा है. टोटल खर्च की बात करें तो 14 से 15 लाख रुपये तक लागत लग चुकी है. अब इसे हटाने में भी खर्च लगेगा दो से ढाई लाख रुपए तक. जब पूंजी होगी तब तो नई फसल लगाएंगे, जितनी पूंजी थी उसको तो हमने यहां लगा दिया था. अब सरकार से ही मदद की दरकार है कि सरकार ही कुछ मदद करे, जिससे इस संकट से किसी कदर उबर पाएं".

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