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अमेरिका ने माना दाल चावल का लोहा, बताया दुनिया का सबसे पोष्टिक खाना, एमपी भी दीवाना - BEST INDIAN FOOD DAL RICE

दाल-चावल खाने में है जितना स्वादिष्ट, पौष्टिक गुणों में भी उतना बेस्ट, यहां पाए जाते हैं दाल चावल के दीवाने

BEST INDIAN FOOD DAL RICE
अमेरिका ने माना दाल चावल का लोहा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 10, 2025, 8:20 PM IST

Updated : Jan 10, 2025, 8:34 PM IST

शहडोल: दाल चावल खाने में एक ऐसा कॉम्बिनेशन है, जिसे हर कोई पसंद करता है. कई जगहों पर तो दाल-चावल के ऐसे शौकीन लोग होते हैं कि जब तक उन्हें खाने में दाल चावल ना मिले, उन्हें भोजन में संतुष्टि ही नहीं मिलती. कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो दाल चावल के अलावा एक संतुलित आहार में कुछ भी पसंद नहीं करते हैं. अब तो दुनिया ने भी मान लिया है की दाल चावल स्वाद के साथ पौष्टिक आहार में सर्वश्रेष्ठ है.

दुनिया ने माना दाल-चावल का लोहा

दाल चावल भारत देश में लगभग हर घरों में हर दिन बनता है, क्योंकि ये प्रमुख अहारों में से एक है. अब दाल चावल को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ पौष्टिक आहार भी मान लिया गया है. अभी हाल ही में अमेरिका में हुए न्यूट्रिशन कॉन्फ्रेंस में दाल चावल को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ पौष्टिक खाना बताया गया है. अब इससे अंदाजा लगा सकते हैं की दाल चावल की पौष्टिकता का लोहा अब दुनिया ने भी मान लिया है.

दाल चावल के लोग दीवाने (ETV Bharat)

मध्य प्रदेश में यहां हैं दाल चावल के दीवाने

मध्य प्रदेश का शहडोल संभाग आदिवासी बहुल संभाग है. यहां का प्रमुख भोजन भी दाल चावल है. यहां लगभग हर घरों में दाल चावल प्रमुख आहार में से एक है. शहडोल के रहने वाले राहुल गुप्ता बताते हैं कि "वो तो दाल चावल के दीवाने हैं, अगर दाल-चावल मिल गया तो समझिए उसके आगे काजू करी भी फेल है. राहुल गुप्ता बताते हैं कि उनके पूरे घर में दाल चावल के खाने के शौकीन हैं. अगर दाल में थोड़ा तड़का लगा दिया जाए, फिर तो सोने पर सुहागा हो गया. आप घर में कुछ भी बना दीजिए. लोग दाल चावल ही खाना पसंद करते हैं. राहुल गुप्ता बताते हैं कि वो रोटी खाना जितना पसंद नहीं करते, उतना दाल चावल खाना पसंद करते हैं."

शहडोल जिले के मिठौरी गांव के रहने वाले अशोक कोल बताते हैं कि उनके घर में तो धान की खेती ही इसलिए की जाती है कि साल भर के लिए चावल की व्यवस्था हो जाए और दलहन में अरहर की फसल इसलिए लगाई जाती है कि थोड़ी बहुत दाल की भी व्यवस्था हो जाए, क्योंकि दाल थोड़ी महंगी मिलती है. पूरे साल उनके घर में दाल चावल बनता है. कुछ बने या ना बने लेकिन दाल चावल जरूर बनेगा. उनके घर का वो प्रमुख अहारों में से एक है. अशोक बताते हैं कि उनके पूरे गांव और आसपास के गांव में भी दाल चावल के ही शौकीन लोग हैं. कई लोग तो धान की खेती ही इसलिए करते हैं, क्योंकि उन्हें साल भर के लिए दाल चावल के खाने की व्यवस्था हो जाए.

MADHYA PRADESH PEOPLE LIKE DAL RICE
दाल-चावल और चपाती से सजी थाली (ETV Bharat)

शहडोल की प्रमुख फसल

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि "जो शहडोल जिले की मुख्य फसल है, वो खरीफ सीजन में धान की फसल है. धान के साथ-साथ दलहनी की फसलें जो लगाई जाती हैं, उसमें मुख्य फसल अरहर की फसल है. इसके अलावा थोड़ी मात्रा में उड़द और मूंग लगाई जाती है. यहां का मुख्य भोजन भी दाल चावल है. इसीलिए इसकी खेती अपने शहडोल जिले में पर्याप्त मात्रा में की जाती है. जहां पर ट्रेडिशनल परंपरागत रूप से खेती की जाती है, वो किसान बहुत अच्छे से जानता है, कि किस खेत में कौन सी फसल होनी है.

अरहर की फसल लगाने के लिए किस तरह के खेत की जरूरत होती है, धान की फसल जहां थोड़ी बहुत पानी रुकता हो छोटे-छोटे खेत बने हों, खेतों के चारों ओर मेढ़ बने हो उन जगहों पर धान की खेती की जाती है. अरहर की खेती जहां पानी नहीं टिकता है, मैदानी इलाकों पर की जाती है. उड़द और मूंग के फसल की भी थोड़ी बहुत खेती यहां के लोग करते हैं. जो की आदिवासियों का जन सामान्य का मुख्य भोजन है.

दाल-चावल पौष्टिकता का भंडार

आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि "जो हमारे आयुर्वेद के आदि ग्रंथ उपलब्ध हैं. उसमें ओदन शब्द का प्रचुरता से उपयोग किया गया है. ओदन का मतलब होता है चावल और चावल के साथ में दाल का कॉम्बिनेशन आदिकाल से प्रचलित है. हरित क्रांति जब भारत में आजादी के बाद से आई तो गेहूं का बहुत तेजी से उपयोग चालू हुआ. उसके प्रोडक्शन में भी सरकार ने काफी ध्यान दिया, लेकिन चावल की जितनी वैरायटी आज भारत में उपलब्ध है, वो शायद दुनिया के किसी और देश में नहीं है. दाल और चावल भारत का प्राकृतिक आहार है, क्योंकि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक किसी न किसी प्रकार से दाल चावल का सेवन यहां के लोग करते हैं.

चावल और दाल का जो कॉन्बिनेशन होता है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि चावल से हमें कार्बोहाइड्रेट और दाल से में प्रोटीन मिलता है. पौष्टिक आहार के लिए ये बहुत अच्छा कॉन्बिनेशन बन जाता है. दाल को हमेशा तड़का या फ्राई करते हैं. जो की फैट का एक अच्छा सोर्स हो जाता है. मतलब जो अपना माइक्रोन्यूट्रिएंट्स है, प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट और फैट ये एक तरह से बैलेंस हो जाते हैं. फिर चावल में जो ट्रेस एलिमेंट्स माइक्रो एलिमेंट्स मिलते हैं, दाल में वो तो ऐड ऑन है.

अब चावल और गेहूं की तुलना की जाए तो चावल में ग्लूटेन इनटोलरेंस वाली समस्या नहीं होती है. जो कि गेहूं में होती है. ग्लूटेन एक तरह का पदार्थ होता है, जो कि गेहूं में होता है. जिसके कारण से कुछ लोगों का जो उसका टॉलरेंस नहीं कर पाते हैं. उनको पाचन संबंधी समस्या होती है.

पद्मश्री डॉक्टर बी एम हेगड़े सर की किताब में भी और उनके लेक्चरर्स में भी चावल और दाल का जो कॉन्बिनेशन उन्होंने स्थापित किए हैं. जिसमें उन्होंने उसके खाने के तरीके को भी बताया है कि दो भाग में चावल और एक भाग में दाल इस तरह से अगर आप दाल चावल का सेवन करते हैं, तो आपके लिए ये बहुत उत्कृष्ट आहार कहलाएगा.

शहडोल: दाल चावल खाने में एक ऐसा कॉम्बिनेशन है, जिसे हर कोई पसंद करता है. कई जगहों पर तो दाल-चावल के ऐसे शौकीन लोग होते हैं कि जब तक उन्हें खाने में दाल चावल ना मिले, उन्हें भोजन में संतुष्टि ही नहीं मिलती. कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो दाल चावल के अलावा एक संतुलित आहार में कुछ भी पसंद नहीं करते हैं. अब तो दुनिया ने भी मान लिया है की दाल चावल स्वाद के साथ पौष्टिक आहार में सर्वश्रेष्ठ है.

दुनिया ने माना दाल-चावल का लोहा

दाल चावल भारत देश में लगभग हर घरों में हर दिन बनता है, क्योंकि ये प्रमुख अहारों में से एक है. अब दाल चावल को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ पौष्टिक आहार भी मान लिया गया है. अभी हाल ही में अमेरिका में हुए न्यूट्रिशन कॉन्फ्रेंस में दाल चावल को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ पौष्टिक खाना बताया गया है. अब इससे अंदाजा लगा सकते हैं की दाल चावल की पौष्टिकता का लोहा अब दुनिया ने भी मान लिया है.

दाल चावल के लोग दीवाने (ETV Bharat)

मध्य प्रदेश में यहां हैं दाल चावल के दीवाने

मध्य प्रदेश का शहडोल संभाग आदिवासी बहुल संभाग है. यहां का प्रमुख भोजन भी दाल चावल है. यहां लगभग हर घरों में दाल चावल प्रमुख आहार में से एक है. शहडोल के रहने वाले राहुल गुप्ता बताते हैं कि "वो तो दाल चावल के दीवाने हैं, अगर दाल-चावल मिल गया तो समझिए उसके आगे काजू करी भी फेल है. राहुल गुप्ता बताते हैं कि उनके पूरे घर में दाल चावल के खाने के शौकीन हैं. अगर दाल में थोड़ा तड़का लगा दिया जाए, फिर तो सोने पर सुहागा हो गया. आप घर में कुछ भी बना दीजिए. लोग दाल चावल ही खाना पसंद करते हैं. राहुल गुप्ता बताते हैं कि वो रोटी खाना जितना पसंद नहीं करते, उतना दाल चावल खाना पसंद करते हैं."

शहडोल जिले के मिठौरी गांव के रहने वाले अशोक कोल बताते हैं कि उनके घर में तो धान की खेती ही इसलिए की जाती है कि साल भर के लिए चावल की व्यवस्था हो जाए और दलहन में अरहर की फसल इसलिए लगाई जाती है कि थोड़ी बहुत दाल की भी व्यवस्था हो जाए, क्योंकि दाल थोड़ी महंगी मिलती है. पूरे साल उनके घर में दाल चावल बनता है. कुछ बने या ना बने लेकिन दाल चावल जरूर बनेगा. उनके घर का वो प्रमुख अहारों में से एक है. अशोक बताते हैं कि उनके पूरे गांव और आसपास के गांव में भी दाल चावल के ही शौकीन लोग हैं. कई लोग तो धान की खेती ही इसलिए करते हैं, क्योंकि उन्हें साल भर के लिए दाल चावल के खाने की व्यवस्था हो जाए.

MADHYA PRADESH PEOPLE LIKE DAL RICE
दाल-चावल और चपाती से सजी थाली (ETV Bharat)

शहडोल की प्रमुख फसल

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि "जो शहडोल जिले की मुख्य फसल है, वो खरीफ सीजन में धान की फसल है. धान के साथ-साथ दलहनी की फसलें जो लगाई जाती हैं, उसमें मुख्य फसल अरहर की फसल है. इसके अलावा थोड़ी मात्रा में उड़द और मूंग लगाई जाती है. यहां का मुख्य भोजन भी दाल चावल है. इसीलिए इसकी खेती अपने शहडोल जिले में पर्याप्त मात्रा में की जाती है. जहां पर ट्रेडिशनल परंपरागत रूप से खेती की जाती है, वो किसान बहुत अच्छे से जानता है, कि किस खेत में कौन सी फसल होनी है.

अरहर की फसल लगाने के लिए किस तरह के खेत की जरूरत होती है, धान की फसल जहां थोड़ी बहुत पानी रुकता हो छोटे-छोटे खेत बने हों, खेतों के चारों ओर मेढ़ बने हो उन जगहों पर धान की खेती की जाती है. अरहर की खेती जहां पानी नहीं टिकता है, मैदानी इलाकों पर की जाती है. उड़द और मूंग के फसल की भी थोड़ी बहुत खेती यहां के लोग करते हैं. जो की आदिवासियों का जन सामान्य का मुख्य भोजन है.

दाल-चावल पौष्टिकता का भंडार

आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि "जो हमारे आयुर्वेद के आदि ग्रंथ उपलब्ध हैं. उसमें ओदन शब्द का प्रचुरता से उपयोग किया गया है. ओदन का मतलब होता है चावल और चावल के साथ में दाल का कॉम्बिनेशन आदिकाल से प्रचलित है. हरित क्रांति जब भारत में आजादी के बाद से आई तो गेहूं का बहुत तेजी से उपयोग चालू हुआ. उसके प्रोडक्शन में भी सरकार ने काफी ध्यान दिया, लेकिन चावल की जितनी वैरायटी आज भारत में उपलब्ध है, वो शायद दुनिया के किसी और देश में नहीं है. दाल और चावल भारत का प्राकृतिक आहार है, क्योंकि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक किसी न किसी प्रकार से दाल चावल का सेवन यहां के लोग करते हैं.

चावल और दाल का जो कॉन्बिनेशन होता है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि चावल से हमें कार्बोहाइड्रेट और दाल से में प्रोटीन मिलता है. पौष्टिक आहार के लिए ये बहुत अच्छा कॉन्बिनेशन बन जाता है. दाल को हमेशा तड़का या फ्राई करते हैं. जो की फैट का एक अच्छा सोर्स हो जाता है. मतलब जो अपना माइक्रोन्यूट्रिएंट्स है, प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट और फैट ये एक तरह से बैलेंस हो जाते हैं. फिर चावल में जो ट्रेस एलिमेंट्स माइक्रो एलिमेंट्स मिलते हैं, दाल में वो तो ऐड ऑन है.

अब चावल और गेहूं की तुलना की जाए तो चावल में ग्लूटेन इनटोलरेंस वाली समस्या नहीं होती है. जो कि गेहूं में होती है. ग्लूटेन एक तरह का पदार्थ होता है, जो कि गेहूं में होता है. जिसके कारण से कुछ लोगों का जो उसका टॉलरेंस नहीं कर पाते हैं. उनको पाचन संबंधी समस्या होती है.

पद्मश्री डॉक्टर बी एम हेगड़े सर की किताब में भी और उनके लेक्चरर्स में भी चावल और दाल का जो कॉन्बिनेशन उन्होंने स्थापित किए हैं. जिसमें उन्होंने उसके खाने के तरीके को भी बताया है कि दो भाग में चावल और एक भाग में दाल इस तरह से अगर आप दाल चावल का सेवन करते हैं, तो आपके लिए ये बहुत उत्कृष्ट आहार कहलाएगा.

Last Updated : Jan 10, 2025, 8:34 PM IST
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