शहडोल। लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और मध्य प्रदेश की जिन लोकसभा सीटों पर पहले चरण में ही मतदान होने हैं वहां पर दिग्गज नेताओं का जमावड़ा लगना भी शुरू हो चुका है. शहडोल लोकसभा सीट पर भी पहले चरण में ही 19 अप्रैल को मतदान होना है. उससे पहले ही ये लोकसभा सीट देश के राष्ट्रीय नेताओं की नजर में है तभी तो इस आदिवासी सीट पर अभी हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जमकर गरजे और अब राहुल गांधी गरजने की तैयारी में है.
नड्डा के बाद अब गरजेंगे राहुल
शहडोल लोकसभा सीट आदिवासी बाहुल्य सीट है . यहां पर देश के बड़े राष्ट्रीय नेताओं की भी नजर है. अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा ने शहडोल संभागीय मुख्यालय में एक जनसभा को संबोधित किया और विपक्ष को आड़े हाथों लिया. नड्डा के जाते ही अब कांग्रेस ने भी इसके जवाब में बड़ी सभा की तैयारी कर ली है और कांग्रेस अपने सबसे बड़े नेता राहुल गांधी की सभा शहडोल जिला मुख्यालय में कराने की तैयारी कर रही है.
8 अप्रैल को राहुल की सभा
शहडोल कांग्रेस के कार्यवाहक जिला अध्यक्ष और लोकसभा चुनाव में अनूपपुर जिला प्रभारी अजय अवस्थी बताते हैं कि राहुल गांधी 8 अप्रैल को सोमवार के दिन शहडोल जिला मुख्यालय में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे.
शहडोल लोकसभा सीट पर कड़ी टक्कर
शहडोल लोकसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच एक कड़े मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने इस लोकसभा सीट से अपनी वर्तमान सांसद हिमाद्री सिंह को ही एक बार फिर से चुनावी मैदान में उतार दिया है और इस बार भी अपना प्रत्याशी बनाया है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान भले ही देर से किया लेकिन काफी सोच समझकर किया है. पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट से अभी हाल ही में जीत की हैट्रिक लगाने वाले विधायक फुन्देलाल सिंह मार्को को अपना प्रत्याशी बनाया है.
आदिवासियों में फुन्देलाल सिंह का है वर्चस्व
कांग्रेस प्रत्याशी फुन्देलाल सिंह मार्को की आदिवासियों के बीच अच्छी पैठ बताई जाती है. फुन्देलाल सिंह मार्को इसलिए भी मजबूत प्रत्याशी माने जा रहे हैं क्योंकि जिस विधानसभा सीट से पिछले तीन बार से फुन्देलाल लगातार जीत रहे हैं, वो पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट वर्तमान सांसद की गृह नगर वाली सीट है. मोदी लहर के बाद भी भारतीय जनता पार्टी जहां अपनी तैयारी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है और दिग्गज नेताओं की जनसभाएं करा रही है तो वहीं दूसरी ओर इसके जवाब में कांग्रेस भी अपने सबसे बड़े लीडर की जनसभा इस आदिवासी अंचल में करने जा रही है.
शहडोल लोकसभा सीट क्यों है खास
आखिर शहडोल लोकसभा सीट इतनी खास क्यों है तो बता दें कि शहडोल लोकसभा सीट में चार जिले की 8 विधानसभाएं सीट आती हैं, जिसमें अनूपपुर जिले की तीन विधानसभा सीट कोतमा, अनूपपुर और पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट शामिल है तो वहीं शहडोल जिले की दो विधानसभा सीट जैतपुर और जयसिंहनगर विधानसभा सीट शामिल हैं. उमरिया जिले की दो विधानसभा सीट मानपुर और बांधवगढ़ विधानसभा सीट शामिल है और चौथी कटनी जिले की बड़वारा विधानसभा सीट शहडोल लोकसभा सीट में आती है. इस तरह से चार जिलों की टोटल 8 विधानसभा सीटों को मिलाकर शहडोल लोकसभा सीट बनाई गई है.
दिग्गजों की सीट पर नजर
विधानसभा चुनाव के दौरान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहडोल जिले में लालपुर में एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया था तो वहीं पास में ही पकरिया गांव में जाकर अलग-अलग वर्ग के लोगों के साथ चौपाल लगाई थी. आदिवासी वर्ग के कुछ विशेष लोगों के साथ में भोजन किया था और कई घंटे शहडोल में गुजारे थे. वहीं जेपी नड्डा भी अभी हाल ही में यहां चुनाव प्रचार करके गए हैं और अब कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी यहां चुनाव प्रचार करने आ रहे हैं.
2009 के बाद से नहीं जीती कांग्रेस
शहडोल लोकसभा सीट देश के दिग्गज नेताओं के लिए इतनी अहम सीट क्यों हो जाती है, इसकी एक वजह ये भी है की शहडोल लोकसभा सीट का इतिहास ही कुछ ऐसा रहा है. शहडोल लोकसभा सीट पर कभी कांग्रेस का दबदबा था, लेकिन फिर इसके बाद भाजपा ने यहां अपनी जड़ें जमा ली. शहडोल लोकसभा सीट में साल 2009 में राजेश नंदिनी ने कांग्रेस की टिकट से जीत दर्ज की थी. और कांग्रेस की वापसी कराई थी.
2014 के चुनाव में एक बार फिर से बीजेपी के दलपत सिंह परस्ते जीतकर आये और इस आदिवासी सीट पर भाजपा की वापसी कराई. 2016 में जब उपचुनाव हुए तो उस दौरान भी भारतीय जनता पार्टी के ज्ञान सिंह जीते. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी की ही जीत हुई और बीजेपी प्रत्याशी हिमाद्री सिंह ने बड़ी जीत दर्ज की थी. और अब 2009 के बाद से ही कांग्रेस इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए प्रयास कर रही है, लेकिन अब तक उसे सफलता नहीं मिली.
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दोनों पार्टियां लगा रहीं जोर
इस आदिवासी सीट और यहां के वोटर्स को लेकर देश के इन बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं को भी पता है कि यहां की जनता का मूड कब बदल जाए, कोई नहीं जानता है. इसलिए बीजेपी हो या कांग्रेस कोई भी इस सीट को हल्के में नहीं ले रहा है और अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. भाजपा जहां लगातार जीत और मोदी लहर के बाद भी इस सीट पर अपनी तैयारी को कमजोर नहीं कर रही है. कोई रिस्क नहीं ले रही है, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इस सीट के इतिहास को देखते हुए वापसी करने के लिए बड़ी उम्मीद के साथ एक बार फिर से पूरा जोर लगा रही है.