Happy Seeder Machine: धान की कटाई के बाद गेहूं की बुवाई की जाती है और जब भी गेहूं की बुवाई की जाती है, तो किसान परेशान होता है. क्योंकि पहले खेत की सफाई करने में पैसा लगता है, फिर उसके बाद खेत की जुताई और बुवाई में पैसे लगते हैं. ऐसे में किसानों की लागत बढ़ जाती है, लेकिन अब किसानों की समस्या का समाधान निकल गया है. अब किसान को न तो पराली जलाने की आवश्यकता होगी और ना ही खेत की सफाई करने की टेंशन होगी. क्योंकि हैप्पी सीडर मशीन से सीधे एक ही बार में खेत की बुवाई भी हो जाएगी और पैदावार भी बम्पर होगी.
हैप्पी सीडर मशीन किसानों के लिए वरदान
कृषि अभियांत्रिकी शहडोल के असिस्टेंट इंजीनियर आरके पयासी ने बताया, " हमारे क्षेत्र में धान और गेहूं की फसल होती है. धान की फसल की कटाई के बाद गेहूं की बुवाई के लिए किसान खेत को तैयार करता है. सबसे पहले किसान रोटावेटर, कल्टीवेटर से खेत की जुताई करता है, फिर पलावा लगाकर खेत को बुवाई के लिए तैयार करता है. जिसकी वजह से बुवाई में 15 से 20 दिन की देरी हो जाती है. जिससे फसल के आखिरी समय में गर्मी पड़ने लगती है और गेहूं की बालियां खराब होने लग जाती हैं और उत्पादन भी कम होता है. वहीं बुवाई से पहले खेत तैयार करने में लागत भी बहुत लग जाती है. ऐसे में ये मशीन किसानों के लिए एक वरदान है. इसे हैप्पी सीडर मशीन के नाम से जाना जाता है, जो किसान को पराली की समस्या से भी निजात दिलाएगा और समय से किसान अपनी फसल लगाकर अच्छी पैदावार ले सकता है."
पराली का समाधान हैप्पी सीडर मशीन
कृषि अभियांत्रिकी के असिस्टेंट इंजीनियर आरके पयासी आगे बताते हैं, " जब फसल की कटाई होती है, तो अगली फसल की बुवाई में सबसे बड़ी समस्या पहले लगे हुए फसल की नरवाई भी होती है. जिसे पराली के नाम से भी जाना जाता है. ऐसे में हैप्पी सीडर मशीन पराली की समस्या से निजात दिलाने में वरदान साबित हो सकती है. क्योंकि हैप्पी सीडर एक ऐसी मशीन है, जो आपके धान के खेत में कटाई के बाद पराली के ऊपर से ही चीरा लगाते हुए सीधे बुवाई करती है. इससे गेहूं की बुवाई जल्द हो जाती है. जिससे गेहूं की कटाई भी जल्दी हो जाती है. मार्च महीने के आखिरी दिनों में पड़ने वाली गर्मी से भी किसान की फसल में बहुत ज्यादा नुकसान नहीं होता है. पैदावार भी अच्छी होती है और लागत कम आती है."
हैप्पी सीडर से बुवाई करने के फायदे ही फायदे
असिस्टेंट इंजीनियर आरके पयासी आगे कहते हैं, " हैप्पी सीडर मशीन के कई फायदे हैं. जैसे इस मशीन से जल्द फसल लग जाएगी, समय और लागत भी कम लेगेगी. फसल की पैदावार भी अच्छी होगी और कटाई भी जल्दी हो जाती है, तो जिन किसानों को ग्रीष्मकालीन मूंग या उड़द की फसल बोनी है, वो इसी हैप्पी सीडर मशीन के माध्यम से गेहूं की कटाई के उपरांत उसकी पराली पर सीधे इस मशीन को चलाकर मूंग की भी बुवाई कर सकते हैं.
हैप्पी सीडर से बुवाई में सिंचाई की कम आवश्यकता
हैप्पी सीडर से पराली पर बुवाई करने से दो-तीन फायदे जरूर होते हैं. खरपतवार नियंत्रण विशेष रूप से होता है. क्योंकि खरपतवार को निकलने के लिए खेत में जगह नहीं होती है. पराली रहती है तो मृदा में जो नमी है, वो वाष्पीकृत नहीं होती है. पराली के चलते वाष्पीकरण रुकेगा, जिससे सिंचाई में भी फायदा होगा. गेहूं की फसल में एक सिंचाई कम आवश्यकता होगी.
हैप्पी सीडर और सुपर सीडर में फर्क
आरके पयासी का कहना है कि हैप्पी सीडर और सुपर सीडर मिलते जुलते हैं, लेकिन इनका काम बहुत अलग है. हैप्पी सीडर 50 एचपी से ऊपर के ट्रैक्टरों में चल सकता है, जबकि सुपर सीडर के लिए 55 एचपी के ऊपर के ट्रैक्टर ही जरूरत होती है. सुपर सीडर थोड़ी हैवी मशीन होती है. ये पराली को मिक्स करते हुए अगली फसल बोती है, जो हैप्पी सीडर है, वो पराली के बीच में चीरा लगाते हुए फसल की बुवाई करती है. पराली को नष्ट किए बिना ही अगली फसल की बुवाई करती है. हैप्पी सीडर में सिर्फ बुवाई का एक ऑप्शन होता है, बल्कि सुपर सीडर में कुछ कंपनियां रोटावेटर अलग करने का अटैचमेंट भी साथ में देती हैं, अगर किसान चाहे तो सुपर सीडर में रोटावेटर भी अलग से चला सकता है."
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कितनी कीमत कितना अनुदान
असिस्टेंट इंजीनियर पयासी बताते हैं, " हैप्पी सीडर और सुपर सीडर के पैसों में बड़ा फर्क है. सुपर सीडर मशीन ढाई लाख से साढ़े तीन लाख के बीच में आती है, जबकि हैप्पी सीडर मशीन 1.80 लाख से 2 लाख के बीच में पड़ जाती है. वहीं हैप्पी सीडर की बात करें तो शासन इस मशीन में अधिकतम 72,500 रुपये का अनुदान दे रही है. जबकि सुपर सीडर पर शासन द्वारा 1.05 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जा रहा है."