शहडोल: खाने में कुछ मसाले ऐसे होते हैं, जिनका इस्तेमाल किए बगैर स्वाद ही नहीं आता है. या यूं कहें की आपके खाने में वो जरूरी चीजों में से एक होते हैं, इन्हीं में से एक है लहसुन जो मसाले की कैटेगरी में आता है और हर घर में इस्तेमाल होता है. मौजूदा साल देखा जाए तो लहसुन के दाम काफी बढ़े हुए रहे और अभी भी इसके दाम गिरे नहीं हैं, बल्कि ₹400 प्रति किलो की दर से बिक रहा है. व्यापारियों की मानें तो आने वाले समय में अभी इसके दाम और बहुत ज्यादा बढ़ेंगे.
आसमान छू रहे लहसुन के दाम
आलू प्याज और लहसुन के व्यापारी उपेंद्र कुशवाहा कहते हैं की लहसुन के दाम तो मत पूछिए, क्योंकि ये लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं, वर्तमान में फुटकर में लहसुन ₹400 प्रति किलो अच्छा वाला लहसुन मिल रहा है, तो वही 360 रुपए किलो तो थोक में बिक रहा है. लहसुन व्यापारी बताते हैं कि लहसुन के दाम अब घटेंगे नहीं बल्कि अभी और बढ़ेंगे और ये काफी महंगे दामों पर आगे चलकर मिलेगा.
लहसुन की खेती बनाएगी लखपति
लहसुन की खेती की बात की जाए तो जिस तरह से लहसुन के दाम बढ़ रहे हैं. ऐसे में अगर कोई किसान लहसुन की खेती करता है, तो वो मालामाल हो सकता है. लहसुन की खेती के लिए सितंबर से अक्टूबर, नवंबर का महीना बहुत विशेष होता है. रवि सीजन में ही इसकी खेती की जाती है. ऐसे में अगर आपके पास अच्छी जमीन है और अच्छी व्यवस्था है, तो आप इस बार लहसुन की खेती ट्राई कर सकते हैं, क्योंकि जिस तरह से लहसुन के दाम अभी बढ़े हुए हैं. आने वाले समय में भी इसके गिरने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में लहसुन मसाले की खेती आपको लखपति बना सकती है.
ऐसे शुरू करें लहसुन की खेती
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि 'लहसुन मसाले के तौर पर आता है. इसको मसाले की खेती माना जाता है. मध्य प्रदेश में इसकी ज्यादातर खेती मालवा रीजन में की जाती है. अपने यहां भी थोड़ी बहुत क्षेत्र में इसकी खेती की जाती है. इसके वेजिटेटिव ग्रोथ के लिए, वानस्पतिक वृद्धि के लिए ठंडा और आद्र मौसम की जरूरत होती है. इसको लगाने का समय अक्टूबर से शुरू होता है.
लहसुन के लिए कैसी हो जमीन ?
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है, कि हमारी जो जमीन है, वो बहुत भारी नहीं होनी चाहिए. हल्की उपजाऊ और खासतौर से जिसमें अपना ऑर्गेनिक कंटेंट ज्यादा हो कार्बनिक पदार्थ ज्यादा हो, इस तरह की जमीन में इसकी खेती ज्यादा लाभप्रद होती है. अगर जमीन भारी होगी तो इसके कंद उतना बढ़ नहीं पाते हैं. लहसुन कंद वाली फसल है, इसके वेजिटेटिव ग्रोथ के लिए 18 से 25 डिग्री सेल्सियस तक टेंपरेचर चाहिए. वेजिटेटिव ग्रोथ के लिए ठीक होता है. ज्यादा अमलीय और ज्यादा क्षारीय जमीन नहीं होनी चाहिए, सबसे बड़ी बात ये उसी जमीन पर होता है, जहां पानी नहीं रुकता है. इसके लिए सबसे जरूरी है की आप खेत की तैयारी करें, दो तीन बार खेत की जुताई कर लें. इसमें पाटा लगा करके इसमें पूरे खेत के टीले आदि को पूरी तरह से तोड़ के बराबर कर लें.
कितना खाद जरूरी
कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि जहां तक फर्टिलाइजर की बात है. इसमें एनपीके के साथ-साथ इसमें सल्फर भी चाहिए होता है, जो इसका रिकमेंड डोज है. 100:50:50 और 50 मतलब 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस, 50 किग्रा पोटाश और 50 किलोग्राम सल्फर की जरूरत होती है, क्योंकि लहसुन में एक गंध होती है, तीखी गंध होती है. जिसको एलिसिन कहते हैं, वो सल्फर के कारण ही होती है. ये इसकी रिकमेंड डोज है.
कितनी दूरी पर लगाएं पौधे ?
इसके पौधों से पौधों के बीच में दूरी 10 सेंटीमीटर और कतार से कतार की दूरी करीब 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए. एक एकड़ में करीब 200 किलो बीज लगता है. इसकी कलियां जो होती है. इसके वही बीज होते हैं, वही लगाई जाती है.
लहसुन के बीज के अच्छे किस्म
अच्छी तरह खेत को तैयार करके आधार खाद डालकर और इसके बाद हम इसमें इंप्रूव्ड वैरायटी जो उन्नत प्रजाति है, जैसे यमुना सफेद टू, यमुना सफेद 3, यमुना सफेद 4 और भी बहुत सारी वैरायटी है, जैसे पार्वती, नासिक, आजकल ऊटी वैरायटी आती है, उसका भी काफी प्रचलन है. इनमें से कोई भी वैरायटी लगा सकते हैं. यमुना सफेद 3 की जो कलियां होती हैं, वो लंबी और भरी हुई होती हैं, उसका उपयोग कर सकते हैं.
बीज लगाने से पहले करें ये काम
इनमें से कोई भी एक वैरायटी लेकर और ध्यान देने की बात ये है की लगाने के ठीक पहले इसकी कलियों को फफूंद नासक मैनकोजेब आदि से इसको ट्रीट कर लेना चाहिए, जिससे आगे फफूंद कोई फफूंद जनित बीमारी लहसुन पर नहीं लगती है. अगर इन छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखेंगे तो आगे कोई समस्या नहीं होती.
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लहसुन की खेती में कितनी सिंचाई
जहां तक इसमें सिंचाई की बात है, आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें, खेत में आप देखेंगे जब तक की इसमें वेजिटेटिव ग्रोथ होती है. जब तक वानस्पतिक वृद्धि होती है, उसमें नमी की कमी नहीं होनी चाहिए. इसकी खेती खरीफ सीजन में नहीं हो सकती है. इसकी रवि सीजन में खेती की जा सकती है. इसलिए समय के अनुसार आप किस वैरायटी किस किस्म का चयन कर सकते हैं, इन बातों का ध्यान रखें, तो इससे अच्छा फायदा होगा. इसकी खेती अक्टूबर नवंबर से शुरू होती है और अप्रैल में फसल की खुदाई शुरू हो जाती है.