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मुफ्त में बदनाम हुआ कोदो, देखें- कैसे इसी मोटे अनाज ने महिलाओं को किया मालामाल - KODO VARIOUS TYPES PRODUCTS

शहडोल संभाग के अनूपपुर और उमरिया में महिलाएं कोदो के विभिन्न प्रकार के प्रॉडक्ट तैयार कर रही हैं.

Kodo various types products
कोदो के विभिन्न प्रॉडक्ट बनाकर महिलाएं हुईं आत्मनिर्भर (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 25, 2025, 4:07 PM IST

Updated : Jan 25, 2025, 5:14 PM IST

शहडोल(अखिलेश शुक्ला) : कुछ माह पहले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 3 दिन के अंदर 10 हाथियों की मौत हुई. जांच की गई तो मौत के लिए जिम्मेदार कोदो को बताया गया. जांच में कहा गया कि कोदो खाकर ही हाथी बीमार हुए और फिर मौत के शिकार हो गए. इस प्रकार के तथ्य आने के बाद कोदो की बहुत बदनामी हुई. लोगों में भी कोदो को लेकरअच्छा खासा भ्रम बन गया. लेकिन यही मोटे अनाज का राजा कहा जाने वाला कोदो लोगों की किस्मत बदल रहा है. अनूपपुर जिले में बड़ी संख्या में महिलाएं कोदो के विभिन्न प्रॉडक्ट बनाकर आत्मनिर्भर हो रही हैं.

महिलाओं की आय का बड़ा साधन बना कोदो

कोदो इन दिनों कुछ लोगों के लिए आय का बड़ा साधन है. वैसे तो सैकड़ों सालों से शहडोल व अनूपपुर क्षेत्र में कोदो की खेती हो रही है. लेकिन अब कोदो से विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाए जा रहे हैं. कोदो के प्रॉडक्ट को अलग पहचान मिल रही है. बता दें कि अनूपपुर जिले के कोदो को एक जिला एक उत्पाद के तौर पर चुना गया है. अनूपपुर जिले में कोदो का रकबा भी बढ़ाया जा रहा है. अब यही कोदो अनूपपुर जिले की महिलाओं के लिए वरदान साबित हुआ है. ये महिलाएं इस कोदो से तरह-तरह के प्रॉडक्ट तैयार करके अपनी आजीविका चला रही हैं. इसे अपने आय का प्रमुख साधन बना चुकी हैं.

अनूपपुर में कोदो प्रॉडक्ट की प्रदर्शनी (ETV BHARAT)

अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ में कोदो के प्रॉडक्ट

कोदो के प्रॉडक्ट बनाने वाले ग्रुप की महिला उर्मिला परस्ते बताती हैं "अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ में कोदो के कई प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं. इसे मार्केट में बेचते भी हैं, जिसकी अच्छी खासी डिमांड है. उनका पूरा ग्रुप काम कर रहा है. कोदो से हम लोग कोदो चावल बनाते हैं. उसकी पैकिंग करते हैं और उसे बेचते हैं. इसके अलावा कोदो से बिस्किट भी बनाते हैं. कोदो से नमकीन बनाते हैं. कुछ दिन बाद कोदो का पास्ता भी मार्केट में आएगा."

Kodo various types products
कोदो के विभिन्न प्रकार के प्रॉडक्ट की धूम (ETV BHARAT)
Kodo various types products
एक जिला एक उत्पाद में कोदो प्रॉडक्ट की धूम (ETV BHARAT)

महिलाओं का पूरा ग्रुप करता है काम

उर्मिला परस्ते बताती हैं "उनका पूरा ग्रुप है. चावल बनाने के लिए 8 लोगों की टीम काम करती हैं. उसकी पैकिंग का काम करती है और सेल का काम करती हैं. बिस्किट में 6 लोगों की टीम है, इसके अलावा नमकीन में 4 से 5 लोग रहते हैं. इन सभी महिलाओं के आय का प्रमुख साधन कोदो बन चुका है. पहले वो आजीविका चलाने के लिए दूसरों पर डिपेंड रहा करती थीं, लेकिन अब वह खुद घर से काम कर रही हैं. आय भी ठीक हो रही है."

Kodo various types products
राज्य आजीविका मिशन के तहत कोदो प्रॉडक्ट की प्रदर्शनी (ETV BHARAT)

शहडोल संभाग में कोदो का रकबा बढ़ा

उर्मिला परस्ते बताती हैं "उन्हें इसका अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा है. लोग उनसे कोदो चावल, कोदो बिस्किट, कोदो नमकीन खरीदने की डिमांड करते हैं. फिलहाल इतना प्रोडक्ट तैयार नहीं कर पा रहे हैं, जिसे बड़े मार्केट में बेच सकें. कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्ट तैयार करें." बता दें कि शहडोल संभाग के अनूपपुर, उमरिया जिलों में काफी तादाद में कोदो की खेती होती है. मोटे अनाज में कोदो सबसे प्रमुख फसलों में से एक माना जाता है. बदलते वक्त के साथ इसके रकबे में भी बढ़ोतरी हो रही है.

शहडोल(अखिलेश शुक्ला) : कुछ माह पहले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 3 दिन के अंदर 10 हाथियों की मौत हुई. जांच की गई तो मौत के लिए जिम्मेदार कोदो को बताया गया. जांच में कहा गया कि कोदो खाकर ही हाथी बीमार हुए और फिर मौत के शिकार हो गए. इस प्रकार के तथ्य आने के बाद कोदो की बहुत बदनामी हुई. लोगों में भी कोदो को लेकरअच्छा खासा भ्रम बन गया. लेकिन यही मोटे अनाज का राजा कहा जाने वाला कोदो लोगों की किस्मत बदल रहा है. अनूपपुर जिले में बड़ी संख्या में महिलाएं कोदो के विभिन्न प्रॉडक्ट बनाकर आत्मनिर्भर हो रही हैं.

महिलाओं की आय का बड़ा साधन बना कोदो

कोदो इन दिनों कुछ लोगों के लिए आय का बड़ा साधन है. वैसे तो सैकड़ों सालों से शहडोल व अनूपपुर क्षेत्र में कोदो की खेती हो रही है. लेकिन अब कोदो से विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाए जा रहे हैं. कोदो के प्रॉडक्ट को अलग पहचान मिल रही है. बता दें कि अनूपपुर जिले के कोदो को एक जिला एक उत्पाद के तौर पर चुना गया है. अनूपपुर जिले में कोदो का रकबा भी बढ़ाया जा रहा है. अब यही कोदो अनूपपुर जिले की महिलाओं के लिए वरदान साबित हुआ है. ये महिलाएं इस कोदो से तरह-तरह के प्रॉडक्ट तैयार करके अपनी आजीविका चला रही हैं. इसे अपने आय का प्रमुख साधन बना चुकी हैं.

अनूपपुर में कोदो प्रॉडक्ट की प्रदर्शनी (ETV BHARAT)

अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ में कोदो के प्रॉडक्ट

कोदो के प्रॉडक्ट बनाने वाले ग्रुप की महिला उर्मिला परस्ते बताती हैं "अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ में कोदो के कई प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं. इसे मार्केट में बेचते भी हैं, जिसकी अच्छी खासी डिमांड है. उनका पूरा ग्रुप काम कर रहा है. कोदो से हम लोग कोदो चावल बनाते हैं. उसकी पैकिंग करते हैं और उसे बेचते हैं. इसके अलावा कोदो से बिस्किट भी बनाते हैं. कोदो से नमकीन बनाते हैं. कुछ दिन बाद कोदो का पास्ता भी मार्केट में आएगा."

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कोदो के विभिन्न प्रकार के प्रॉडक्ट की धूम (ETV BHARAT)
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एक जिला एक उत्पाद में कोदो प्रॉडक्ट की धूम (ETV BHARAT)

महिलाओं का पूरा ग्रुप करता है काम

उर्मिला परस्ते बताती हैं "उनका पूरा ग्रुप है. चावल बनाने के लिए 8 लोगों की टीम काम करती हैं. उसकी पैकिंग का काम करती है और सेल का काम करती हैं. बिस्किट में 6 लोगों की टीम है, इसके अलावा नमकीन में 4 से 5 लोग रहते हैं. इन सभी महिलाओं के आय का प्रमुख साधन कोदो बन चुका है. पहले वो आजीविका चलाने के लिए दूसरों पर डिपेंड रहा करती थीं, लेकिन अब वह खुद घर से काम कर रही हैं. आय भी ठीक हो रही है."

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राज्य आजीविका मिशन के तहत कोदो प्रॉडक्ट की प्रदर्शनी (ETV BHARAT)

शहडोल संभाग में कोदो का रकबा बढ़ा

उर्मिला परस्ते बताती हैं "उन्हें इसका अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा है. लोग उनसे कोदो चावल, कोदो बिस्किट, कोदो नमकीन खरीदने की डिमांड करते हैं. फिलहाल इतना प्रोडक्ट तैयार नहीं कर पा रहे हैं, जिसे बड़े मार्केट में बेच सकें. कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्ट तैयार करें." बता दें कि शहडोल संभाग के अनूपपुर, उमरिया जिलों में काफी तादाद में कोदो की खेती होती है. मोटे अनाज में कोदो सबसे प्रमुख फसलों में से एक माना जाता है. बदलते वक्त के साथ इसके रकबे में भी बढ़ोतरी हो रही है.

Last Updated : Jan 25, 2025, 5:14 PM IST
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