शहडोल: बरगद के पेड़ की पहचान ज्यादातर धार्मिक महत्व को लेकर ही है. इसे वटवृक्ष के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन बरगद का पेड़ एक तरह से किसानों के लिए भी किसी संजीवनी से कम नहीं है. कहा जाए तो ये किसानों का मित्र ही है, क्योंकि बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी में जादुई शक्ति की तरह पोषक तत्व पाए जाते हैं. एक मुट्ठी मिट्टी कैसे किसानों के मिट्टी की संरचना को ठीक करने में भी मदद कर सकती है.
किसानों का मित्र है बरगद
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि "बरगद का पेड़ किसानों का एक तरह से मित्र है. यह दीर्घ जीवी पेड़ है. एक बार लग जाता है, तो सालों साल रहता है. बरगद के पेड़ को आपने देखा होगा कि ये घर के आसपास नहीं लगाया जाता है. यह विशालकाय वृक्ष होता है, जो लगातार बढ़ता रहता है. इसमें एक पूरा इकोसिस्टम बसता है.
फसल की अच्छी पैदावार
इसके नीचे की मिट्टी में सॉइल होती है, उसमें भी कई तरह के माइक्रोफ्लोरा माइक्रोऑर्गेनिज्म जैसे तत्व होते हैं. जिससे यह मिट्टी खेती के लिए अच्छी और पोषक होती है. जिसकी वजह से खेतों में अच्छी फसल पैदा होती है. विशेषज्ञों की मानें तो बरगद के पेड़ के नीचे कई तरह के सूक्ष्म जीव पाए जाते हैं, जो खेती के लिए बहुत ही अच्छे पोषक तत्व माने जाते हैं. एक तरह से कहा जाए, तो बरगद के पेड़ की मिट्टी में वो सब कुछ मिलता है, जो किसानों की फसलों को बेहतर करने में मदद करता है."
एक मुट्ठी मिट्टी की ताकत
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह ने कहा,"आजकल जैविक खेती और प्राकृतिक खेती की बात की जा रही है. किसान परंपरागत खेती को छोड़कर जैविक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं. इसके लिए लोग प्राकृतिक तरीके से बनाई गई खाद का उपयोग करते है. जीवामृत, बीजामृत या फिर मटका खाद या किसी भी तरह की खाद बनाए सभी खादों में बरगद के पेड़ के नीचे की एक मुट्ठी मिट्टी डालने का प्रावधान जरूर बताया गया है.
खेतों की बढ़ती है उर्वरक क्षमता
बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी में हर तरह के माइक्रो न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें कई तरह के पोषक सूक्ष्म जीव पाए जाते हैं, जो गोबर और गोमूत्र के साथ में मिलकर खाद के पोषक तत्वों को कई गुना मल्टीप्लाई कर देते हैं. जिसकी वजह से खेतों में इसको डालने से फसलों की उत्पाद क्षमता बढ़ जाती है.
बरगद का धार्मिक महत्व
बरगद के पेड़ को वटवृक्ष भी कहा जाता है, इसका धार्मिक महत्व भी बहुत ज्यादा है. वट सावित्री व्रत के दिन इसकी पूजा की जाती है. महिलाएं हर सोमवती अमावस्या पर 108 परिक्रमा करती है. इसके साथ ही विधि-विधान से पूजा पाठ करती हैं. हिंदू धार्मिक ग्रंथों में मान्यता है कि बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों त्रिदेव विराजते हैं. इसका वेद पुराणों में उल्लेख मिलता है, इसीलिए बरगद के पेड़ को काटने भी परंपरा नहीं है.
- आस्था या चमत्कार: पुराना बरगद का पेड़ हुआ धराशायी, जड़ों से निकल रहे शिवलिंग
- पन्ना टाइगर रिजर्व में ये क्या, पेड़ को होती है गुदगुदी! टच करते ही हंस पड़ती हैं टहनियां और पत्ते
बरगद का औषधीय महत्व
बरगद के पेड़ का धार्मिक महत्व तो होता है. इसके अलावा इसका औषधीय महत्व भी बहुत ज्यादा है, शहडोल के मृत्युंजय आयुर्वेदा के आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि "कई तरह की औषधियां बरगद के पेड़ से बनाई जाती हैं. इस पेड़ के तनो, फूलों और पत्तियों से कई तरह की गंभीर बीमारियों को ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इससे अलग अलग मर्जों के लिए आयुर्वेद दवाएं तैयार की जाती हैं, बरगद का पेड़ एक तरह से किसी संजीवनी से कम नहीं है.