शहडोल: प्रकृति ने कई ऐसी चीजें दी हैं, जिनके बारे में आज भी लोगों को बहुत कम जानकारी है और यही वजह है कि अक्सर ही इन अमूल्य पेड़ पौधों का लोग दुरुपयोग करते आ रहे हैं. आज हम बात जिस पौधे की करने जा रहे हैं, उस पौधे का पत्ता भगवान भोलेनाथ पर चढ़ाया जाता है. ज्योतिष आचार्यों का ऐसा मानना है कि भगवान भोलेनाथ को इसे चढ़ाने से वह प्रसन्न होते हैं, लेकिन आज हम इसके आयुर्वेद महत्व के बारे में बात करेंगे, क्योंकि ये आपकी सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इस पौधे के पूरे पंचांग का आयुर्वेद में बहुत उपयोग है.
आयुर्वेद के लिए बेहद खास है ये पौधा
अक्सर ही पूजा पाठ के समय इस पेड़ की पत्तियों को लोग ढूंढते हैं. इस पौधे का नाम है बेल और तीन पत्तों वाला बिल्व पत्र भगवान भोलेनाथ को बहुत प्रिय है. उन्हें अक्सर ही पूजा में चढ़ाया जाता है. इसी तरह आयुर्वेद में भी इस बिल्व पत्र का बहुत महत्व है. आयुर्वेद डॉ. अंकित नामदेव बताते हैं कि "बेल के इस पौधे का पूरा पंचांग ही इस्तेमाल किया जाता है. बेल की पत्ती, बेल का जड़, बेल का फल, सब कुछ आयुर्वेद औषधि बनाने के काम में आता है. कई बीमारियों की दवा इस बेल से बनती है. मानव सेहत के लिए बेल प्रकृति का एक नायाब तोहफा है. बेल का ये पौधा बहुतायत में पाया जाता है. कहीं पर भी आप इसे आसानी पा सकते हैं, क्योंकि यह आयुर्वेद के साथ ही धार्मिक महत्व का भी पौधा है."
बेल का औषधीय महत्व
डॉ. अंकित नामदेव ने बताया कि बेल का फल मुख्य रूप से कच्चा उपयोग करने के लिए कहा गया है. इसका उपयोग औषधि के रूप में होता है. कच्चे बेल के सूखे हुए गुदा से चूर्ण बनाया जाता है. ग्रहणी रोग के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी दवाई इससे बनती है, जिन लोगों को दस्त की समस्या होती है. साथ ही जिन लोगों को बार-बार मल प्रवृत्ति की समस्या होती है, जिन लोगों को पतला मल आता है, उनके लिए बेल के फल का चूर्ण काफी उपयोगी है. कच्चा बेल औषधीय गुण का होता है. पाचन तंत्र के सारे रोगों में यह काफी उपयोगी होता है.
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बड़े काम का है बेल का पत्ता और जड़
आयुर्वेद डॉ. आगे कहते हैं कि "बेल की जो जड़ होती है वो दशमूल का एक घटक होती है. जो बिल्व होता है वह कफवात शामक होता है और ये दशमूल का एक भाग होता है. बेल की जो पत्तियां होती है ये एंटी डायबिटिक होती हैं. इनसे ब्लड शुगर को कम किया जा सकता है और मेटाबॉलिक डिसऑर्डर को कम करने में काफी लाभदायक होती हैं. पके हुए बेल को खाने से बचना चाहिए क्योंकि यह पचने में काफी भारी होता है. जहां तक बेल के शरबत की बात है तो वो लोग इस बात का ध्यान रखें कि पचने में यह थोड़ा कठिन होता है, इसीलिए जिन लोगों का पाचन तंत्र कमजोर है, उन्हें बेल का शरबत नहीं पीना चाहिए."