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धार्मिक नगरी शिवरीनारायण जहां माता शबरी ने राम को खिलाए थे जूठे बेर, वट वृक्ष का पत्ता है साक्षात प्रमाण - Janjgir Champa Shivrinarayan

जांजगीर चांपा में शिवरीनारायण मंदिर है. यहां माता शबरी ने भगवान राम को जूठे बेर खिलाए थे. यहां आज भी दोना के आकार के पत्ते वाला वट वृक्ष मौजूद है, जो कि इस बात का प्रमाण है कि यहां राम को माता शबरी ने इसी पत्ते पर अपने जूठे बेर खिलाए थे.

Mata Shabari had fed Ram with rotten berries
यहां राम ने खाए थे शबरी के जूठे बेर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 13, 2024, 8:20 PM IST

माता शबरी ने राम को खिलाए थे जूठे बेर (ETV Bharat)

जांजगीर चांपा: जांजगीर चांपा जिला के धार्मिक नगरी शिवरीनारायण को शबरी और नारायण नाम से जाना जाता है. माता शबरी के जन्म स्थली के रूप में प्रसिद्ध शिवरीनारायण महानदी, शिवनाथ नदी और जोक नदी के पवित्र त्रिवेणी संगम में बसा है, इसे प्रेम, आस्था और विश्वास की नगरी के रूप मे देखा जाता है. यहां आज भी माता शबरी से जुड़ी कई लोक मान्यता प्रसिद्ध है. मंदिर के सामने स्थित विशाल कृष्ण वट वृक्ष, अक्षय वट वृक्ष दोना आकृति के पत्ता के साथ सालों से मौजूद है. मान्यता है कि इसी पत्ते पर माता शबरी ने अपने जूठे बेर भगवान राम को खिलाए थे.

शिवरीनारायण का धार्मिक महत्व: दरअसल, धार्मिक नगरी शिवरीनारायण को छत्तीसगढ़ के नक्शे में प्रमुख धार्मिक स्थल और पर्यटन नगरी के रूप में पहचाना जाता है. शिवरीनारायण को माता शबरी की जन्म स्थली भी माना जाता है.

शबरी पिता को छोड़ चली गई थी: मान्यता है कि शबरी भील राजा की पुत्री थी, जिसके शादी के लिए उनके पिता ने खास तैयारी कर ली थी. बाल्य काल में बेटी की शादी करने के लिए बारतियों के स्वागत में भेड़-बकरी भी भारी मात्रा में लाया गया. शबरी ने शादी में भेड़ बकरी लाने का कारण पूछा और बारातियों के खाने के लिए इनकी बलि दिए जाने की सूचना के बाद ना केवल शादी से इंकार कर दिया बल्कि पिता का घर और राज्य छोड़ कर चली गई.

भगवान राम को खिलाए जूठे बेर: पिता को छोड़ने के बाद शबरी भगवान राम के आने का इंतजार करती रही. राम-राम करते हुए शबरी बूढी हो गई और हर दिन राम का इंतजार करती रही. एक दिन माता सीता के वियोग मे जंगल में भटकते हुए भगवान राम और लक्ष्मण शबरी की कुटिया पहुंचे. यहां माता शबरी ने दोना में राम जी को अपने जूठे बेर खिलाए थे.

माता शबरी और रोहणी कुंड से निकले भगवान नारायण के नाम से बसे इस नगरी को शिवरीनारायण के नाम से जाना जाता है. मान्यता के अनुसार दोना के आकृति के वट वृक्ष का हर पत्ता आज भी दोना के रूप में है, जिसके कारण श्रद्धालु इस आस्था के साथ पूजा करते है. ऐसे पत्ता वाला वट वृक्ष शिवरी नारायण के अलावा दूसरे स्थान में नहीं है. इसी पत्ते पर माता शबरी ने रामजी को अपने जूठे बेर खिलाए थे. -त्यागी जी महाराज, पुजारी, मठ मंदिर

बता दें कि शिवरीनारायण का कोना-कोना आज भी राम के प्रति शबरी की आस्था की गवाही देता है. यही कारण है कि इस मंदिर के प्रति भक्तों की आस्था दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है. यहां हर दिन भक्त शिवरीनारायण के मंदिर में अर्जी लगाने पहुंचते हैं.

Story of Shivrinarayan: शबरी के विश्वास और राम के प्रेम का प्रतीक शिवरीनारायण
रामलला के लिए बेर और अक्षय वट वृक्ष लेकर अयोध्या पहुंचे शिवरीनारायण के भक्त
प्रभु राम ने वनवास के दौरान शिवरीनारायण में खाए थे शबरी के जूठे बेर, अक्षय वट वृक्ष है प्रमाण

माता शबरी ने राम को खिलाए थे जूठे बेर (ETV Bharat)

जांजगीर चांपा: जांजगीर चांपा जिला के धार्मिक नगरी शिवरीनारायण को शबरी और नारायण नाम से जाना जाता है. माता शबरी के जन्म स्थली के रूप में प्रसिद्ध शिवरीनारायण महानदी, शिवनाथ नदी और जोक नदी के पवित्र त्रिवेणी संगम में बसा है, इसे प्रेम, आस्था और विश्वास की नगरी के रूप मे देखा जाता है. यहां आज भी माता शबरी से जुड़ी कई लोक मान्यता प्रसिद्ध है. मंदिर के सामने स्थित विशाल कृष्ण वट वृक्ष, अक्षय वट वृक्ष दोना आकृति के पत्ता के साथ सालों से मौजूद है. मान्यता है कि इसी पत्ते पर माता शबरी ने अपने जूठे बेर भगवान राम को खिलाए थे.

शिवरीनारायण का धार्मिक महत्व: दरअसल, धार्मिक नगरी शिवरीनारायण को छत्तीसगढ़ के नक्शे में प्रमुख धार्मिक स्थल और पर्यटन नगरी के रूप में पहचाना जाता है. शिवरीनारायण को माता शबरी की जन्म स्थली भी माना जाता है.

शबरी पिता को छोड़ चली गई थी: मान्यता है कि शबरी भील राजा की पुत्री थी, जिसके शादी के लिए उनके पिता ने खास तैयारी कर ली थी. बाल्य काल में बेटी की शादी करने के लिए बारतियों के स्वागत में भेड़-बकरी भी भारी मात्रा में लाया गया. शबरी ने शादी में भेड़ बकरी लाने का कारण पूछा और बारातियों के खाने के लिए इनकी बलि दिए जाने की सूचना के बाद ना केवल शादी से इंकार कर दिया बल्कि पिता का घर और राज्य छोड़ कर चली गई.

भगवान राम को खिलाए जूठे बेर: पिता को छोड़ने के बाद शबरी भगवान राम के आने का इंतजार करती रही. राम-राम करते हुए शबरी बूढी हो गई और हर दिन राम का इंतजार करती रही. एक दिन माता सीता के वियोग मे जंगल में भटकते हुए भगवान राम और लक्ष्मण शबरी की कुटिया पहुंचे. यहां माता शबरी ने दोना में राम जी को अपने जूठे बेर खिलाए थे.

माता शबरी और रोहणी कुंड से निकले भगवान नारायण के नाम से बसे इस नगरी को शिवरीनारायण के नाम से जाना जाता है. मान्यता के अनुसार दोना के आकृति के वट वृक्ष का हर पत्ता आज भी दोना के रूप में है, जिसके कारण श्रद्धालु इस आस्था के साथ पूजा करते है. ऐसे पत्ता वाला वट वृक्ष शिवरी नारायण के अलावा दूसरे स्थान में नहीं है. इसी पत्ते पर माता शबरी ने रामजी को अपने जूठे बेर खिलाए थे. -त्यागी जी महाराज, पुजारी, मठ मंदिर

बता दें कि शिवरीनारायण का कोना-कोना आज भी राम के प्रति शबरी की आस्था की गवाही देता है. यही कारण है कि इस मंदिर के प्रति भक्तों की आस्था दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है. यहां हर दिन भक्त शिवरीनारायण के मंदिर में अर्जी लगाने पहुंचते हैं.

Story of Shivrinarayan: शबरी के विश्वास और राम के प्रेम का प्रतीक शिवरीनारायण
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