सिवनी: सिवनी जिले की लखनादौन तहसील में स्थित मां धूमावती मंदिर सदियों पुराना है. क्षेत्र के लोगों का मानना है कि यह मंदिर करीब 500 साल पुराना है. तो वहीं, मंदिर के बारे में कोई भी राजस्व दस्तावेज नहीं है. मंदिर में माता धूमावती की भव्य मूर्ति है. साथ ही मंदिर में दो दांत वाले विशाल गणेश भगवान, राधा-कृष्ण, राम-सीता और भगवान शिव की भी मूर्तियां स्थापित हैं. मंदिर में शारदीय नवरात्र के दौरान कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. जिसमें भक्तों की भीड़ उमड़ती है. मंदिर में मनोकामना कलश जलाए जाते हैं और जवारे बोए जाते हैं. भक्तों का मानना है कि यहां मां धूमावती की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
मां धूमावती का होता है पूरा श्रृंगार
मंदिर के मुख्य अर्चक पुजारी मनोज पाठक ने जानकारी में बताया कि, ''दतिया में स्थापित मां धूमावती, 10 महाविद्या में जो मां भगवती का स्वरूप है वह उनका रूप है. मां भगवती को श्रृंगार का सामान नहीं चढ़ाया जाता, लेकिन धूम में स्थित मां भगवती का पूरा श्रृंगार किया जाता है. साथ ही शेर मां भगवती की सवारी है.''
पचमठा है मां धूमावती का मंदिर
मंदिर के पुजारी मनोज पाठक ने बताया कि, ''मां धूमावती के मंदिर में माता धूमावती की भव्य मूर्ति है. साथ ही मंदिर में दो दांत वाले विशाल गणेश भगवान एवं राधा कृष्ण जी, राम सीता और भगवान शिव जिन्हें धूमेश्वर भगवान के नाम से जाना जाता है, उनकी प्रतिमाएं स्थापित हैं.''
ग्वालियर के राजस्व में भी दर्ज नहीं है रिकार्ड
यह मंदिर कितना प्राचीन है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मंदिर का रिकार्ड किसी भी राजस्व दस्तावेजों में दर्ज नहीं है. कुछ साल पहले से सेवासत्संग समिति ने ग्वालियर की राजस्व शाखा में धूमावती देवी के इतिहास (रिकार्ड) के बारे में आवेदन लगाकर जानकारी मांगी थी. ग्वालियर के राजस्व में भी इस मंदिर का रिकार्ड नहीं मिला. क्षेत्र के लोगों के मुताबिक, धूमा स्थित धूमावती मंदिर तकरीबन पांच सौ साल पुराना है. तो वहीं मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह मंदिर 1400 से 1500 ई के बीच का है, जिसे भोसले शासन काल के दौरान बनाया गया था.
दूर दूर से आते हैं श्रद्धालु, मनोकामनाएं होती है पूरी
मां धूमावती देवी के दर्शन करने दूर दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. धूमा के लोगों का मानना है कि धूमावती देवी मंदिर सिद्ध है, यहां सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं साथ ही मां के दर्शन करने से जीवन में आने वाली परेशानियां, रुकावटें और कष्ट दूर होते हैं. यहीं कारण है कि दूर दूर से भक्त अक्सर माता के दर्शन पहुंचते हैं. शारदीय नवरात्र में यहां पूर्णिमा तिथि को दशहरे का भव्य आयोजन किया जाता है.
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70 के दशक से रखे जा रहे हैं कलश
मंदिर के पुजारी मनोज पाठक ने बताया कि, ''70 के दशक से इस मंदिर में मनोकामना ज्योति कलश स्थापित किया जा रहे हैं. इसकी शुरुआत सेवा सत्संग समिति के द्वारा की गई थी. जिसके बाद से प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति होने पर मां भगवती के दरबार में ज्योति कलश प्रज्वलित करवाते हैं. जहां जिले ही नहीं अपितु अन्य जिलों सहित अन्य प्रति से भी लोग आकर मां भगवती के यहां कलश स्थापित कर प्रार्थना करते हैं.''