सीहोर: मध्य प्रदेश के सीहोर में सीवन नदी के पास बढ़िया मार्ग पर भगवान श्रीकृष्ण का एक लगभग 200 साल पुराना बहुत बड़ा मंदिर स्थित है. इस मंदिर को चमत्कारी मंदिर के रूप में लोग जानते हैं. यहां आसपास के लोगों की बड़ी आस्था है. इस मंदिर के पुजारी सहित लोगों का दावा है कि मंदिर में स्थापित भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति अपना अक्सर स्वरूप बदलती है. जन्माष्टमी के मौके पर यहां कान्हा जी का जन्मदिवस मनाने को लेकर तैयारियां जोरों पर जारी है. सोमवार की रात 12 बजे विशेष पूजा अर्चना होगी. भगवान के जन्म के उपरांत प्रसादी का वितरण किया जाएगा.
भगवान की मूर्ति बदलती थी रूप
मिली जानकारी के अनुसार, सीहोर नगर में भगवान श्रीकृष्ण के 2 पुराने मंदिर हैं. जिन्हें बड़ा मंदिर और अधिकारी मंदिर के नाम से जाना जाता है. इन दोनों मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण के चमत्कार की कई बातें प्रचलित हैं. यहां के महंत और पुजारी बताते हैं कि "इस मंदिर में भगवान ने अपनी लीला दिखाई है. जिससे पुजारी और महंत भी कई बार आश्चर्यचकित रह गए हैं. बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां प्रतिदिन पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं और लगभग सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती हैं.
मंदिर परिसर में मिलते थे भगवान के कपड़े और आभूषण
बड़ा मंदिर के पुजारी महंत कल्याण दास ने कहा कि "उन्हें उनके पूर्वजों ने बताया था कि मंदिर के आंगन से अक्सर पायलों की आवाज आया करती थी. पायल की आवाज सुनकर ऐसा प्रतीत होता था कि जैसे भगवान भ्रमण कर रहे हैं. इसके अलावा मंदिर परिसर में भगवान के कपड़े और सोने के आभूषण पड़े मिलते थे. इसलिए इस मंदिर को चमत्कारिक मंदिर कहा जाता है. यहा श्रृद्धालुओं को ऐसा प्रतीत होता है जैसे भगवान यहां साक्षात विराजमान हैं. वहीं, इस मंदिर से लगा हुआ अधिकारी मंदिर है. जहां पर सभी मंदिरों को लेकर प्राचीन काल में निर्णय हुआ करते थे. किवदंतियां हैं कि अधिकारी मंदिर एक मंत्रालय की तरह काम करता था. भगवान की विशेष पूजा अर्चना से लेकर मंदिरों से जुड़े निर्णय यहीं हुआ करते थे."
भगवान मंदिर परिसर में करते थे भ्रमण
महंत हरि दास अधिकारी मंदिर के पुजारी ने बताते हैं कि "यह अधिकारी मंदिर 200 साल से ज्यादा पुराना है. मंदिर में कृष्ण जी की मूर्ति भी प्राचीन है. हमारे पूर्वजों ने बताया था कि कई दशकों पहले मंदिर में सुबह भगवान कृष्ण की मूर्ति भ्रमण करती थी, इतना ही नहीं मंदिर परिसर में पायल भी मिलती थी और भगवान की मूर्ति अष्ट धातु से बनी है." जन्माष्टमी पर विशेष पूजा अर्चना होगी और रात 12 बजे महा आरती के बाद धनिया की पंजीरी, ककड़ी का प्रसाद वितरण किया जाएगा."
अधिकारी मंदिर का निर्णय होता था सर्वमान्य
नगर के लोगों का कहना है कि पहले यहां भगवान कृष्ण की लकड़ी की मूर्ति थी, जो रूप बदलती थी. यह मंदिर प्राचीन काल में मंत्रालय की तरह काम करता था. यहां मंदिरों के संदर्भ में निर्णय होता था, जो सर्वमान्य होता था. इस मंदिर से लगा हुआ बड़ा मंदिर भी है, जहां राघव जी, शंकर जी और कृष्ण जी सहित हनुमान जी की प्रतिमा है.
कहां है मंदिर
सीहोर नगर में सीवन नदी के किनारे बढ़िया खड़ी जाने वाले मार्ग के शुरुआत में ही अधिकारी मंदिर और बड़ा मंदिर स्थित है. दोनों ही मंदिर प्राचीन कालीन हैं और मंदिर की बनावट भी अद्भुत है. ये मंदिर सालों पुराने हैं. अधिकारी मंदिर के महंत बताते हैं कि मंदिर परिसर में नाग नागिन का जोड़ा भी है, जो कभी किसी को परेशान नहीं करता है और मंदिर के महंत की रक्षा भी करता है. यह जोड़ा अक्सर लोगों को दिखता रहता है.
यहां पढ़ें... |
जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन सीहोर के अधिकारी और बड़ा मंदिर में भी विशेष पूजा अर्चना का दौर चलता है. सुबह से ही श्रद्धालु यहां विशेष पूजा का अर्चना करने आते हैं. लोगों की मान्यता है कि यहां पूजा अर्चना करने से मनोकामना पूरी हो जाती है. जन्माष्टमी पर खास दूर-दराज से लोग भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करने आते है. साथ ही विशेष पूजा कर अपनी इच्छा भगवान के समझ जाहिर करते हैं.