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उपचुनाव में बढ़ी सीटें, छह नहीं, अब 7 विधानसभाओं में होगा मतदान, जानें वजह - Rajasthan By Election 2024

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 16, 2024, 7:45 PM IST

Rajasthan Assembly By Election 2024, राजस्थान में विधानसभा उपचुनाव होने हैं, लेकिन ऐन वक्त पर सीटों की संख्या बढ़ी है. हालांकि, लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश की 5 विधानसभा सीटें खाली हुई थी, जिन पर उपचुनाव होने थे, लेकिन अब सीटों की संख्या 5 से बढ़कर 7 हो गई है. असल में दो सीटें ऐसी हैं, जहां मौजूदा विधायकों का निधन हो गया है. इसमें सलूंबर और रामगढ़ सीट शामिल है. वहीं, इन सीटों पर मतदान के लिए निर्वाचन आयोग की ओर से जल्द तारीखों के ऐलान की संभावना है.

Rajasthan Assembly By Election 2024
राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर होगा उपचुनाव (ETV BHARAT JAIPUR)
प्रदेश भाजपा महामंत्री श्रवण सिंह बगड़ी (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर : राजस्थान में होने वाले उपचुनाव को लेकर विधानसभा की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. लोकसभा चुनाव के बाद 5 सीटें खाली हुई थीं, लेकिन उसके बाद सलूंबर विधायक अमृत लाल मीणा की मौत के बाद ये संख्या बढ़कर छह हो गई. वहीं, अब रामगढ़ से कांग्रेस विधायक जुबेर खान के इंतकाल के बाद इस सीट पर भी उपचुनाव होगा. ऐसे में अब कुल सीटों की संख्या सात हो गई है. इधर, जुबेर खान के निधन के बाद प्रदेश में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 65 रह गई है.

हालांकि, चुनाव आयोग की ओर से अभी तक चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन विधानसभा सीट खाली होने के 6 महीने बाद आयोग उपचुनाव करवाता है. ऐसे में मई में हुए लोकसभा चुनाव के लिहाज से नवंबर तक चुनाव होने हैं. उपचुनाव के लिहाज से पिछले कई चुनाव से अपने खराब परफॉर्मेंस से जूझ रही भाजपा की कोशिश होगी कि इस बार उपचुनाव की अधिक से अधिक सीटों पर जीत दर्ज की जाए.

इसे भी पढ़ें - भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का बड़ा बयान, बोले- प्रदेश में उपचुनाव को लेकर चुनाव की घोषणा बाद अलग से रणनीति की जाएगी तैयार - Madan Rathod Visit Bhilwara

इन विधानसभा सीटों से जीतकर बने सांसद : बता दें कि चौरासी, देवली-उनियारा, दौसा, झुंझुनू, खींवसर ये वो विधानसभा सीटें हैं, जहां से मौजूदा विधायकों ने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसमें तीन विधानसभा देवली-उनियारा, दौसा, झुंझुनू सीट कांग्रेस के पास थी, जबकि खींवसर विधानसभा सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और चौरासी विधानसभा सीट भारत आदिवासी पार्टी के खाते में थी.

इसके अलावा सलूंबर विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक अमृत लाल मीणा और रामगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस जुबेर खान पर निधन होने उपचुनाव होंगे. चुनाव की तारीखों का ऐलान भले ही नहीं हुआ हो, लेकिन भाजपा उपचुनाव वाली सीटों पर फोकस बनाए हुए है. पिछले दिनों प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़, प्रदेश प्रभारी राधा मोहनदास अग्रवाल, सह प्रभारी विजया रहाटकर ने दौरा कर ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की.

प्रदेश भाजपा महामंत्री श्रवण सिंह बागड़ी ने कहा कि पार्टी के कुछ कार्यक्रम नियमित चलते रहते हैं. हालांकि, जिन सीटों पर उपचुनाव होने वहां पर पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है. प्रदेश में जिस तरह से पिछले 9 महीने में भजनलाल सरकार ने काम किया है, उसके बाद जनता में भाजपा के पक्ष में माहौल है. बागड़ी ने कहा कि जिन सात सीटों पर उपचुनाव होने हैं, वहां भले ही 6 सीटों पर अन्य पार्टियों का कब्जा रहा हो, लेकिन अब वहां की जनता भी समझ गई है कि प्रदेश और उनकी विधानसभा का विकास भाजपा ही कर सकती है.

इसे भी पढ़ें - सांसद राजकुमार रोत के बयान पर मंत्री जोगाराम पटेल का पलटवार, बोले- उपचुनाव में जीत हासिल करेगी भाजपा - Jogaram patel on By election

इन 7 सीटों पर होना है उपचुनाव

  • देवली उनियारा विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक हरीश मीणा अब सांसद बन चुके हैं.
  • दौसा विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक मुरारीलाल मीणा अब सांसद बन चुके हैं.
  • झुंझुनू विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक बृजेंद्र ओला अब सांसद बन चुके हैं.
  • चौरासी विधानसभा सीट, BAP विधायक राजकुमार रोत अब सांसद बन चुके हैं.
  • खींवसर विधानसभा सीट, RLP विधायक हनुमान बेनीवाल अब सांसद बन चुके हैं.
  • सलूंबर विधानसभा सीट, बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा का निधन हो चुका है.
  • रामगढ़ विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक जुबेर खान का निधन हो चुका है.

अलवर की रामगढ़ सीट पर दूसरी बार होगा उपचुनाव : अलवर की रामगढ़ विधानसभा सीट पर दूसरी बार उपचनाव होगा. पिछली बार 2018 में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह की चुनाव प्रचार के दौरान मौत के बाद चुनाव स्थगित कर दिया गया था. उसके बाद उपचुनाव हुए थे. फिर 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जुबेर खान ने जीत हासिल की थी. विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के बागी उम्मीदवार सुखवंत सिंह के चुनाव मैदान में रहने से यहां भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जय आहूजा की जमानत जब्त हो गई थी.

हालांकि, इससे पहले भाजपा नेता जय आहूजा के चाचा ज्ञान देव आहूजा रामगढ़ से दो बार विधायक बन चुके हैं. जुबेर खान के निधन के बाद विधानसभा में अब कांग्रेस विधायकों की संख्या 65 रह गई है. दूसरी ओर सलूंबर सीट से बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा के निधन की वजह से खाली हुई थी, जिसके बाद भाजपा के विधायकों की संख्या 114 रह गई थी.

इसे भी पढ़ें - गहलोत को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी, बंगाल संकट पर दिया बड़ा बयान - Gehlot Big Statement

ध्रुवीकरण के नाम पर होता है चुनाव : रामगढ़ में कभी कांग्रेस का दबदबा रहता था, लेकिन 1990 के बाद यहां भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में ज्ञान देव आहूजा ने चुनाव लड़ा और तभी से ये सीट चर्चा में रहने लगी. साथ ही यहां ध्रुवीकरण के नाम पर मतदान होता रहा है. 2008 और 2013 में भाजपा से ज्ञानदेव आहूजा दो बार लगातार विधायक बने. हालांकि, 2018 के चुनाव में जुबेर खान की लगातार दो बार हार के कारण कांग्रेस ने उनकी पत्नी साफिया जुबेर को मैदान में उतारा. साफिया आहूजा को हराकर विधानसभा पहुंची. उसके बाद 2024 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर से जुबेर खान को मैदान में उतारा और इस चुनाव में भाजपा को पराजय का मुंह देखना पड़ा.

प्रदेश भाजपा महामंत्री श्रवण सिंह बगड़ी (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर : राजस्थान में होने वाले उपचुनाव को लेकर विधानसभा की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. लोकसभा चुनाव के बाद 5 सीटें खाली हुई थीं, लेकिन उसके बाद सलूंबर विधायक अमृत लाल मीणा की मौत के बाद ये संख्या बढ़कर छह हो गई. वहीं, अब रामगढ़ से कांग्रेस विधायक जुबेर खान के इंतकाल के बाद इस सीट पर भी उपचुनाव होगा. ऐसे में अब कुल सीटों की संख्या सात हो गई है. इधर, जुबेर खान के निधन के बाद प्रदेश में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 65 रह गई है.

हालांकि, चुनाव आयोग की ओर से अभी तक चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन विधानसभा सीट खाली होने के 6 महीने बाद आयोग उपचुनाव करवाता है. ऐसे में मई में हुए लोकसभा चुनाव के लिहाज से नवंबर तक चुनाव होने हैं. उपचुनाव के लिहाज से पिछले कई चुनाव से अपने खराब परफॉर्मेंस से जूझ रही भाजपा की कोशिश होगी कि इस बार उपचुनाव की अधिक से अधिक सीटों पर जीत दर्ज की जाए.

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इन विधानसभा सीटों से जीतकर बने सांसद : बता दें कि चौरासी, देवली-उनियारा, दौसा, झुंझुनू, खींवसर ये वो विधानसभा सीटें हैं, जहां से मौजूदा विधायकों ने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसमें तीन विधानसभा देवली-उनियारा, दौसा, झुंझुनू सीट कांग्रेस के पास थी, जबकि खींवसर विधानसभा सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और चौरासी विधानसभा सीट भारत आदिवासी पार्टी के खाते में थी.

इसके अलावा सलूंबर विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक अमृत लाल मीणा और रामगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस जुबेर खान पर निधन होने उपचुनाव होंगे. चुनाव की तारीखों का ऐलान भले ही नहीं हुआ हो, लेकिन भाजपा उपचुनाव वाली सीटों पर फोकस बनाए हुए है. पिछले दिनों प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़, प्रदेश प्रभारी राधा मोहनदास अग्रवाल, सह प्रभारी विजया रहाटकर ने दौरा कर ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की.

प्रदेश भाजपा महामंत्री श्रवण सिंह बागड़ी ने कहा कि पार्टी के कुछ कार्यक्रम नियमित चलते रहते हैं. हालांकि, जिन सीटों पर उपचुनाव होने वहां पर पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है. प्रदेश में जिस तरह से पिछले 9 महीने में भजनलाल सरकार ने काम किया है, उसके बाद जनता में भाजपा के पक्ष में माहौल है. बागड़ी ने कहा कि जिन सात सीटों पर उपचुनाव होने हैं, वहां भले ही 6 सीटों पर अन्य पार्टियों का कब्जा रहा हो, लेकिन अब वहां की जनता भी समझ गई है कि प्रदेश और उनकी विधानसभा का विकास भाजपा ही कर सकती है.

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इन 7 सीटों पर होना है उपचुनाव

  • देवली उनियारा विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक हरीश मीणा अब सांसद बन चुके हैं.
  • दौसा विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक मुरारीलाल मीणा अब सांसद बन चुके हैं.
  • झुंझुनू विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक बृजेंद्र ओला अब सांसद बन चुके हैं.
  • चौरासी विधानसभा सीट, BAP विधायक राजकुमार रोत अब सांसद बन चुके हैं.
  • खींवसर विधानसभा सीट, RLP विधायक हनुमान बेनीवाल अब सांसद बन चुके हैं.
  • सलूंबर विधानसभा सीट, बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा का निधन हो चुका है.
  • रामगढ़ विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक जुबेर खान का निधन हो चुका है.

अलवर की रामगढ़ सीट पर दूसरी बार होगा उपचुनाव : अलवर की रामगढ़ विधानसभा सीट पर दूसरी बार उपचनाव होगा. पिछली बार 2018 में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह की चुनाव प्रचार के दौरान मौत के बाद चुनाव स्थगित कर दिया गया था. उसके बाद उपचुनाव हुए थे. फिर 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जुबेर खान ने जीत हासिल की थी. विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के बागी उम्मीदवार सुखवंत सिंह के चुनाव मैदान में रहने से यहां भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जय आहूजा की जमानत जब्त हो गई थी.

हालांकि, इससे पहले भाजपा नेता जय आहूजा के चाचा ज्ञान देव आहूजा रामगढ़ से दो बार विधायक बन चुके हैं. जुबेर खान के निधन के बाद विधानसभा में अब कांग्रेस विधायकों की संख्या 65 रह गई है. दूसरी ओर सलूंबर सीट से बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा के निधन की वजह से खाली हुई थी, जिसके बाद भाजपा के विधायकों की संख्या 114 रह गई थी.

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ध्रुवीकरण के नाम पर होता है चुनाव : रामगढ़ में कभी कांग्रेस का दबदबा रहता था, लेकिन 1990 के बाद यहां भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में ज्ञान देव आहूजा ने चुनाव लड़ा और तभी से ये सीट चर्चा में रहने लगी. साथ ही यहां ध्रुवीकरण के नाम पर मतदान होता रहा है. 2008 और 2013 में भाजपा से ज्ञानदेव आहूजा दो बार लगातार विधायक बने. हालांकि, 2018 के चुनाव में जुबेर खान की लगातार दो बार हार के कारण कांग्रेस ने उनकी पत्नी साफिया जुबेर को मैदान में उतारा. साफिया आहूजा को हराकर विधानसभा पहुंची. उसके बाद 2024 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर से जुबेर खान को मैदान में उतारा और इस चुनाव में भाजपा को पराजय का मुंह देखना पड़ा.

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