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आगरा का ये अनूठा शिव मंदिर, दिन में 3 बार रंग बदलता है शिवलिंग, जानिए- क्या है रहस्य - Rajeshwar Mahadev Temple in agra

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 22, 2024, 7:21 AM IST

Updated : Jul 22, 2024, 11:34 AM IST

आगरा का राजेश्वर मंदिर एक रहस्यमयी मंदिर है. राजेश्वर मंदिर में चमत्कारी शिवलिंग (Rajeshwar Mahadev Temple in agra) स्थापित है. यह दिन में तीन बार रंग बदलता है.

आगरा का रहस्यमयी शिव मंदिर!
आगरा का रहस्यमयी शिव मंदिर! (Photo credit: ETV Bharat)
आगरा का रहस्यमयी शिव मंदिर! (Video credit: ETV Bharat)

आगरा : आगरा पौराणिक और एतिहासिक शहर है. शहर के चारों कोने और बीच में ताजमहल से भी प्राचीन शिव मंदिर है, जहां पर बाबा भोलेनाथ विराजमान हैं. सावन का पावन माह आज से शुरू हो गया है. सावन के पहले सोमवार को आगरा में राजेश्वर महादेव मंदिर में विशाल मेला लगता है. शमसाबाद रोड पर लगभग 900 साल से अधिक प्राचीन राजेश्वर महादेव मंदिर है. इससे लोगों की आस्था के साथ कई रहस्य भी जुड़े हैं. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलते हैं. मान्यता है कि राजेश्वर महादेव मंदिर में मौजूद शिवलिंग स्वयं स्थापित हैं, जो हर श्रद्धालु की मुराद पूरी करते हैं. आइए, जानते हैं मंदिर की मान्यता, इतिहास और श्रद्धालुओं की आस्था की कहानी.

900 वर्ष से अधिक पुराना मंदिर : प्राचीन राजेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के उप सचिव बृजपाल सिंह तोमर उर्फ पप्पू ठाकुर ने बताया कि, आगरा के शमसाबाद रोड पर राजेश्वर महादेव मंदिर है जो ताजमहल से पहले बना था. यह शिव मंदिर करीब 900 वर्ष से अधिक प्राचीन है. समय-समय पर सौंदर्यीकरण के कारण इस मंदिर का स्वरूप बदलता रहा, लेकिन लोगों की आस्था पहले की ही तरह इस मंदिर से जुड़ी हुई है. पूरे साल यहां पर भक्त पूजा-अर्चना के लिए आते रहते हैं. सावन के हर सोमवार को मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. सावन के पहले सोमवार को मंदिर में विशाल मेला लगता है.

ताजमहल से भी पुरान है यह मंदिर.
ताजमहल से भी पुरान है यह मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

नर्मदा नदी से लाया गया है शिवलिंग : प्राचीन राजेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के उप सचिव बृजपाल सिंह तोमर उर्फ पप्पू ठाकुर ने बताया कि, हमारे पूर्वज बताया करते हैं कि, भरतपुर के राजा खेड़ा के एक साहूकार (सेठ) ने एक मंदिर बनवाया था. सेठ मंदिर में शिवलिंग की स्थापना के लिए मप्र गए और वहां नर्मदा नदी से बैलगाड़ी से शिवलिंग लेकर आए. जब सेठ यहां पर आए तो मंदिर के पास एक कुआं था. रात होने पर अक्सर यहां लोग विश्राम के लिए रुकते थे. सेठ भी अपने साथियों के साथ यहीं पर रुक गए. रात में सेठ को भगवान शिव सपने में आए. कहा कि, मुझे शिवलिंग को वहीं स्थापित करा दें. इसके बावजूद सेठ नहीं माने. वो शिवलिंग लेकर जाने की कोशिश करने लगे. बैलगाड़ी में दो बैल थे, मजदूर धक्का लगा रहे थे. इसके बावजूद बैलगाड़ी टस से मस नहीं हुई. इसके बाद बैलगाड़ी में दो बैल और जोड़े गए, तब भी कोई फर्क नहीं पड़ा. सेठ शिवलिंग को हिला भी नहीं पाया. इसके बाद बैलगाड़ी से लुढ़क कर शिवलिंग यहां पर स्वयं स्थापित हो गया. इसके बाद सेठ चले गए.

मंदिर में पूरी होती है सबकी मुराद.
मंदिर में पूरी होती है सबकी मुराद. (Photo Credit; ETV Bharat)

दिन में तीन बार बदलता है शिवलिंग का रंग : प्राचीन राजेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के उप सचिव बृजपाल सिंह तोमर उर्फ पप्पू ठाकुर ने बताया कि, मंदिर अपनी अलग खासियत के लिए विख्यात है. मंदिर में स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है. सुबह मंगला आरती के समय शिवलिंग श्वेत रंग का दिखाई देता है. इसके बाद दोपहर की आरती में बाबा महादेव का शिवलिंग हल्का नीला हो जाता है. शिवलिंग पर तीन अंगुलियां बनती हैं. यानी नीलकंठ जैसा शिवलिंग हो जाता है. शाम को आरती के समय शिवलिंग हल्के गुलाबी रंग हो जाता है. मंदिर में सावन के पहले सोमवार को शिवभक्तों की भीड़ उमडती है. सोमवार को दिन भर भगवान शिव का जलाभिषेक श्रद्धालु करते हैं. देर रात 12 बजे शयन आरती कर मंदिर के द्वार बंद किए जाते हैं.

हर मुराद होती है पूरी : श्रद्धालु अनमोल ने बताया कि, बाबा महादेव हर श्रद्धालु की मनोकामना पूरी करते हैं. उनके दुख हरते हैं. इसलिए, हर सोमवार को यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. श्रद्धालु अशोक कुमार दीक्षित की मानें तो यहां पर आकर अलग ऊर्जा मिलती है. हर समस्या का समाधान होता है.

डिजिटल लाइट और ड्रोन से रखी जाएगी निगरानी : प्राचीन राजेश्वर महादेव मंदिर मेला कमेटी के संयोजक जयंती उपाध्याय ने बताया कि, राजेश्वर महादेवर मंदिर में सावन के पहले सोमवार को कांवड़ियों के प्रवेश के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. मंदिर में बेरीकेडिंग की गई है. महिला व पुरुष श्रद्धालुओं की अलग-अलग लाइनें रहेंगी. मंदिर और मेला क्षेत्र में व्यवस्था संभालने के लिए 300 से अधिक स्वयंसेवक लगाए गए हैं. राजेश्वर सेना, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता इसमें शामिल हैं. इसके साथ ही पुलिसकर्मी भी सादे कपड़ों में तैनात हैं. मंदिर में पहली बार डिजिटल लाइटिंग की जा रही है, जो विशेष रूप से कलकत्ता से मंगवाई गई है. मेले में आने वाले हर व्यक्ति पर पुलिस की निगरानी रहेगी. इसके साथ ही ड्रोन से भी निगरानी की जाएगी.


यह भी पढ़ें : काशी में सावन की खास तैयारी, एक महीने नहीं खुलेंगी मांस की दुकानें, सिगरा में 40 करोड़ से बनेगा अंडरग्राउंड पार्किंग - Sawan 2024

यह भी पढ़ें : भगवान भोलेनाथ के लाखों भक्तों को दर्शन कराएगी पुलिस, डीसीपी सेंट्रल बोले- सब ओके - Anandeshwar temple Kanpur

आगरा का रहस्यमयी शिव मंदिर! (Video credit: ETV Bharat)

आगरा : आगरा पौराणिक और एतिहासिक शहर है. शहर के चारों कोने और बीच में ताजमहल से भी प्राचीन शिव मंदिर है, जहां पर बाबा भोलेनाथ विराजमान हैं. सावन का पावन माह आज से शुरू हो गया है. सावन के पहले सोमवार को आगरा में राजेश्वर महादेव मंदिर में विशाल मेला लगता है. शमसाबाद रोड पर लगभग 900 साल से अधिक प्राचीन राजेश्वर महादेव मंदिर है. इससे लोगों की आस्था के साथ कई रहस्य भी जुड़े हैं. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलते हैं. मान्यता है कि राजेश्वर महादेव मंदिर में मौजूद शिवलिंग स्वयं स्थापित हैं, जो हर श्रद्धालु की मुराद पूरी करते हैं. आइए, जानते हैं मंदिर की मान्यता, इतिहास और श्रद्धालुओं की आस्था की कहानी.

900 वर्ष से अधिक पुराना मंदिर : प्राचीन राजेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के उप सचिव बृजपाल सिंह तोमर उर्फ पप्पू ठाकुर ने बताया कि, आगरा के शमसाबाद रोड पर राजेश्वर महादेव मंदिर है जो ताजमहल से पहले बना था. यह शिव मंदिर करीब 900 वर्ष से अधिक प्राचीन है. समय-समय पर सौंदर्यीकरण के कारण इस मंदिर का स्वरूप बदलता रहा, लेकिन लोगों की आस्था पहले की ही तरह इस मंदिर से जुड़ी हुई है. पूरे साल यहां पर भक्त पूजा-अर्चना के लिए आते रहते हैं. सावन के हर सोमवार को मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. सावन के पहले सोमवार को मंदिर में विशाल मेला लगता है.

ताजमहल से भी पुरान है यह मंदिर.
ताजमहल से भी पुरान है यह मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

नर्मदा नदी से लाया गया है शिवलिंग : प्राचीन राजेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के उप सचिव बृजपाल सिंह तोमर उर्फ पप्पू ठाकुर ने बताया कि, हमारे पूर्वज बताया करते हैं कि, भरतपुर के राजा खेड़ा के एक साहूकार (सेठ) ने एक मंदिर बनवाया था. सेठ मंदिर में शिवलिंग की स्थापना के लिए मप्र गए और वहां नर्मदा नदी से बैलगाड़ी से शिवलिंग लेकर आए. जब सेठ यहां पर आए तो मंदिर के पास एक कुआं था. रात होने पर अक्सर यहां लोग विश्राम के लिए रुकते थे. सेठ भी अपने साथियों के साथ यहीं पर रुक गए. रात में सेठ को भगवान शिव सपने में आए. कहा कि, मुझे शिवलिंग को वहीं स्थापित करा दें. इसके बावजूद सेठ नहीं माने. वो शिवलिंग लेकर जाने की कोशिश करने लगे. बैलगाड़ी में दो बैल थे, मजदूर धक्का लगा रहे थे. इसके बावजूद बैलगाड़ी टस से मस नहीं हुई. इसके बाद बैलगाड़ी में दो बैल और जोड़े गए, तब भी कोई फर्क नहीं पड़ा. सेठ शिवलिंग को हिला भी नहीं पाया. इसके बाद बैलगाड़ी से लुढ़क कर शिवलिंग यहां पर स्वयं स्थापित हो गया. इसके बाद सेठ चले गए.

मंदिर में पूरी होती है सबकी मुराद.
मंदिर में पूरी होती है सबकी मुराद. (Photo Credit; ETV Bharat)

दिन में तीन बार बदलता है शिवलिंग का रंग : प्राचीन राजेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के उप सचिव बृजपाल सिंह तोमर उर्फ पप्पू ठाकुर ने बताया कि, मंदिर अपनी अलग खासियत के लिए विख्यात है. मंदिर में स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है. सुबह मंगला आरती के समय शिवलिंग श्वेत रंग का दिखाई देता है. इसके बाद दोपहर की आरती में बाबा महादेव का शिवलिंग हल्का नीला हो जाता है. शिवलिंग पर तीन अंगुलियां बनती हैं. यानी नीलकंठ जैसा शिवलिंग हो जाता है. शाम को आरती के समय शिवलिंग हल्के गुलाबी रंग हो जाता है. मंदिर में सावन के पहले सोमवार को शिवभक्तों की भीड़ उमडती है. सोमवार को दिन भर भगवान शिव का जलाभिषेक श्रद्धालु करते हैं. देर रात 12 बजे शयन आरती कर मंदिर के द्वार बंद किए जाते हैं.

हर मुराद होती है पूरी : श्रद्धालु अनमोल ने बताया कि, बाबा महादेव हर श्रद्धालु की मनोकामना पूरी करते हैं. उनके दुख हरते हैं. इसलिए, हर सोमवार को यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. श्रद्धालु अशोक कुमार दीक्षित की मानें तो यहां पर आकर अलग ऊर्जा मिलती है. हर समस्या का समाधान होता है.

डिजिटल लाइट और ड्रोन से रखी जाएगी निगरानी : प्राचीन राजेश्वर महादेव मंदिर मेला कमेटी के संयोजक जयंती उपाध्याय ने बताया कि, राजेश्वर महादेवर मंदिर में सावन के पहले सोमवार को कांवड़ियों के प्रवेश के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. मंदिर में बेरीकेडिंग की गई है. महिला व पुरुष श्रद्धालुओं की अलग-अलग लाइनें रहेंगी. मंदिर और मेला क्षेत्र में व्यवस्था संभालने के लिए 300 से अधिक स्वयंसेवक लगाए गए हैं. राजेश्वर सेना, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता इसमें शामिल हैं. इसके साथ ही पुलिसकर्मी भी सादे कपड़ों में तैनात हैं. मंदिर में पहली बार डिजिटल लाइटिंग की जा रही है, जो विशेष रूप से कलकत्ता से मंगवाई गई है. मेले में आने वाले हर व्यक्ति पर पुलिस की निगरानी रहेगी. इसके साथ ही ड्रोन से भी निगरानी की जाएगी.


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Last Updated : Jul 22, 2024, 11:34 AM IST
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