सतना: शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सरकारी स्कूलों में शिक्षक और छात्र का अनुपात 30:1 का होना चाहिए. यानी 30 बच्चों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक होना चाहिए, लेकिन सतना जिले में एक अनोखा मामला सामने आया है जहां के एक शासकीय स्कूल में 6 बच्चों को पढ़ाने के लिए 3 टीचर पदस्थ हैं. वहीं, 6 में से सिर्फ 1 बच्चा पढ़ने आता है. अब ऐसे में 3 टीचर मिलकर मोटी तनख्वाह उठा रहे हैं. मीडिया के माध्यम से जानकारी सामने आने पर जिला शिक्षा अधिकारी ने जल्द स्कूल बंद करने के लिए शासन को पत्र लिखने की बात कही है.
एडमिशन 6 बच्चों का, स्कूल आता सिर्फ एक
मामला सतना जिले के नागौद विकासखंड अंतर्गत जसो ग्राम स्थित शासकीय माध्यमिक विद्यालय बमुरहिया संकुल केंद्र का है. यह विद्यालय 1 से आठवीं तक संचालित होता है, लेकिन यहां एडमिशन सिर्फ 6 बच्चों का है. जिसमें से 2 छात्र प्राइमरी के और 4 छात्र माध्यमिक विद्यालय के हैं, लेकिन पढ़ने सिर्फ एक छात्र आता है. स्कूल में भले ही बच्चों की कमी हो लेकिन यहां शिक्षकों की कोई कमी नहीं है. यहां पर 3 शिक्षकों की नियुक्ति है. स्कूल में छात्रों की संख्या भले ही बेहद कम हो लेकिन टीचरों को तनख्वाह पूरी मिल रही है. ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि तीनों मास्साब कितनी मौज उड़ाते होंगे.
विद्यालय को बंद करने का शासन को भेजा जाएगा प्रस्ताव
मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी तरुणेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि "मेरी जानकारी में यह प्रकरण आया है. इसमें हमने परीक्षण भी किया है, जिसमें हमने पाया है कि विद्यालय में सिर्फ 6 बच्चों का प्रवेश है और 3 शिक्षक पदस्थ हैं, जिसमें से 2 टीचर माध्यमिक और एक प्राइमरी विद्यालय में हैं. जो 2 माध्यमिक शिक्षक हैं उनमें से एक सीएसी का काम करते हैं.
इस लिहाज से पढ़ाने के लिए 2 टीचर हैं. बच्चे वहां पर कम हैं ऐसी स्थिति में अभी अतिशेष की प्रक्रिया बंद है, जैसे ही यह प्रक्रिया शुरू होगी उनको अतिशेष में लेकर कार्रवाई की जाएगी. इन सभी शिक्षकों को उन विद्यालय में भेज दिया जाएगा जहां शिक्षकों की संख्या कम है और इस विद्यालय को बंद करने के लिए राज्य शासन को पत्र लिखा जाएगा."
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क्या है स्कूलों में टीचर स्टूडेंट अनुपात?
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों की संख्या को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं. जिसमें स्कूलों में शिक्षक और छात्र संख्या के अनुपात की बात करें तो प्राथमिक विद्यालयों में 30 छात्रों पर एक शिक्षक होना चाहिए. वहीं, उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात 35:1 होना चाहिए. कक्षा 6 से 8 तक के स्कूलों में अगर छात्र संख्या 280 से ज्यादा है, तो हर 40 छात्रों पर एक तृतीय श्रेणी लेवल-2 का शिक्षक होना चाहिए. साथ ही कक्षा 6 से 8 के लिए विज्ञान, गणित, सामाजिक अध्ययन और भाषा का एक-एक शिक्षक होना जरूरी है.