सासाराम: बिहार के सासाराम रेलवे स्टेशन पर आज रविवार 28 जुलाई को रेल पुलिस ने 'ऑपरेशन आहट' चलाया. आरपीएफ की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर दो अलग-अलग ट्रेनों में छापामारी कर 11 बाल मजदूरों को रेसक्यू कराया. ये बच्चे गया जिला के अलग-अलग गांव के रहने वाले हैं. इन लोगों को बाल मजदूरी कराने के लिए चेन्नई ले जाया जा रहा था. पुलिस ने चार तस्करों को भी गिरफ्तार किया है.
गुप्त सूचना पर कार्रवाईः रेल पुलिस के मुताबिक सियालदह-अजमेर एक्सप्रेस तथा गया-चेन्नई एक्सप्रेस ट्रेन में छापामारी कर इन बच्चों को मुक्त कराया गया. जिन तस्करों को गिरफ्तार किया गया उनके नाम असगर मियां, प्रदीप प्रजापति, सुबोध कुमार तथा तस्लीम है. आरपीएफ की टीम ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. तस्करों ने बताया कि इन बच्चों को प्रतिमाह 12000 रुपया देने का लालच दिया गया था. बचाये गये सभी नाबालिग बच्चों को बचपन बचाओ की टीम को सौंपा दिया गया.
"इन सभी बच्चों को बाल मजदूरी करने के लिए ले जाया जा रहा था. ज्यादातर बच्चों को चेन्नई तथा जयपुर ले जाया जा रहा था. रेलवे को इसकी सूचना मिल गई थी. सभी चार दलालों को भी पकड़ लिया गया."- संजीव कुमार, आरपीएफ इंस्पेक्टर
क्या है 'ऑपरेशन आहट': भारतीय रेलवे पुलिस बल (RPF) द्वारा शुरू की गई एक पहल है. इसका मुख्य उद्देश्य मानव तस्करी के नेटवर्क को ध्वस्त करना और बाल मजदूरी व यौन शोषण जैसी गंभीर समस्याओं को खत्म करना है. इस अभियान के तहत, रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में यात्रियों की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है और गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई की जाती है. ऑपरेशन आहट के अंतर्गत, पुलिस टीमों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे मानव तस्करी के मामलों को पहचान सकें.
समाज पर काला धब्बा है बाल मजदूरीः बाल मजदूरी बच्चों को असुरक्षित और अमानवीय परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर करती है. यह न केवल उनके शारीरिक और मानसिक विकास को बाधित करता है बल्कि उनकी शिक्षा और बेहतर भविष्य के अवसरों को भी नष्ट कर देता है. बाल मजदूरी सामाजिक न्याय और मानव अधिकारों के खिलाफ है, और यह हमारे समाज की प्रगति और नैतिक मूल्यों पर एक काला धब्बा है.
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