भोपाल : दरअसल, मंगलवार को पंच-सरपंच संगठन अपनी 20 सूत्रीय मांगों को पूरा कराने के लिए सरकार के खिलाफ भोपाल में प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान उनका धरना खत्म करवाने पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल पहुंचे, लेकिन संगठन ने उनकी बात मानने से इंकार कर दिया. वहीं कुछ देर में संगठन के दूसरे पदाधिकारियों ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को भी प्रदर्शन में आमंत्रित कर लिया. जैसे ही पटवारी धरना स्थल पर पहुंचे. संगठन में ही दो फाड़ हो गई, जिसके बाद पंच-सरपंच का एक बड़ा वर्ग प्रदर्शन छोड़कर ही चला गया.
सरकार से कर रहे थे ये मांग
सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह तोमर के मुताबिक महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना सहित कई योजनाओं में सरकार द्वारा कटौती की जा रही है. इससे पंचायत में सरपंचों का काम करना मुश्किल हो रहा है. इसे लेकर कई बार सरकार को ज्ञापन सौंपा जा चुका है, लेकिन मजबूरन धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है. सरपंच संघ ने सरपंचों का मानदेय 15 हजार रुपए करने की भी मांग की है. अभी सरपंचों को 4250 रुपए मानदेय मिल रहा है. पंचायत संघ महंगाई के इस दौर में इसे बेहद कम मान रहा है.
मंत्री प्रहलाद पटेल ने दिया ये आश्वासन
गौरतलब है कि सरपंचों का मानदेय एक साल पहले ही बढ़ाया जा चुका है. जून 2023 के पहले सरपंचों को 1750 रुपए मिलते थे. वहीं अब एक साल के अंदर ही सरपंच संघ इसे बढ़ाकर 15 हजार करने की मांग कर रहे हैं. सरपंच संघ के आंदोलन की सूचना मिलने के बाद पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल अम्बेडकर पार्क प्रदर्शन स्थल पहुंचे. मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए तीन दिन की संगोष्ठी शुरू हुई है. इसमें पंचायतों से जुड़े तमाम विषयों पर चर्चा की जा रही है. आपकी तमाम मांगों पर भी सरकार चिंतित है, उन पर जल्द विचार किया जाएगा.
सीएम हाउस घेरने के लिए किया पैदल मार्च
मंत्री प्रहलाद पटेल के जाते ही पंचायत संघ के एक पदाधिकारी ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को धरना प्रदर्शन स्थल पर बुला लिया. इसके बाद पंचायत संघ का एक गुट मांगों को लेकर सीएम हाउस के घेराव करने पर अड़ गया. इसे देखते हुए पंचायत संघ के दूसरे गुट के पदाधिकारी अपने समर्थकों के साथ धरना प्रदर्शन स्थल से चले गए. उधर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए. अम्बेडकर पार्क के आसपास के रास्तों पर तगड़ी बेरीकेटिंग की गई.
सरपंच संघ की अन्य मांगें
- सरपंचों का मानदेय हर महीने 15 हजार रु किया जाए.
- पंच-सरपंचों का 20 लाख रु का जीवन बीमा दे सरकार.
- न्यूनतम पेंशन 2 हजार रु हो.
- मनरेगा के कार्यों में सरपंच को नोटिस न दिया जाए.
- नोटिस देने का अधिकार कलेक्टर का होना चाहिए, लेकिन पद से पृथक करने का अधिकार राज्यपाल के पास होना चाहिए.
- रोजगार सहायक और सचिव की सीआर लिखने का अधिकार सरपंच का होना चाहिए.
- उनके वेतन और अवकाश के अधिकार पूर्ण रुप से सरपंच को दिए जाएं.
- रोजगार सहायक की स्थातांरण नीति जल्द लागू की जाए.
- पंचायतों में कामों की अधिकतम सीमा 20 को हटाया जाए.
- मनरेगा भुगतान के लिए डीएससी का अधिकार ग्राम पंचायत को मिलना चाहिए.