शिमला: हिमाचल में डीए और संशोधित वेतनमान के एरियर का भुगतान न होने से कर्मचारी गुस्से में हैं. कर्मचारियों ने भले मुख्यमंत्री की तरफ से वार्ता का निमंत्रण मिलने के बाद मंगलवार को सचिवालय परिसर में रखी गई आमसभा को स्थगित कर दिया हो, लेकिन चुने हुए कर्मचारी नेताओं के खिलाफ लाए गए प्रिविलेज मोशन के निर्णय से सचिवालय के कर्मचारी सुक्खू सरकार से काफी नाराज हैं.
ऐसे में हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवा परिसंघ ने दो टूक ऐलान किया है कि कर्मचारी नेताओं के खिलाफ लाए गए प्रिविलेज मोशन को वापस लिया जाए, उसके बाद हम सरकार से वार्ता करने को तैयार हैं.
मीडिया से बातचीत में हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवा परिसंघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने कहा आज कर्मचारियों का प्रस्तावित जनरल हाउस था, लेकिन पिछले कल मुख्यमंत्री की तरफ से वार्ता पर बुलाने का निमंत्रण आया था जिसमें हमें एक सप्ताह में वार्ता के लिए बुलाने को कहा गया है. ऐसे में मुख्यमंत्री के पद की गरिमा का सम्मान करते हुए आज की आमसभा को स्थगित करने का निर्णय लिया गया था.
हमारी एक ही मांग, डीए और एरियर का भुगतान
संजीव शर्मा ने कहा कर्मचारियों की डीए और संशोधित वेतनमान के एरियर के भुगतान को लेकर केवल एक ही मांग है. हमें उम्मीद है कि लाखों कर्मचारियों की भावनाओं की कद्र करते हुए मुख्यमंत्री हमें जरूर कुछ न कुछ देंगे. उन्होंने कहा कि हमारे खिलाफ प्रिविलेज आया है. ऐसे में जब भी कभी कोई वार्ता होती है तो पहली कंडीशन यही रहती है कि प्रिविलेज मोशन को वापस लिया जाए, उसके बाद हम वार्ता करेंगे.
इसके बाद जो भी निकलकर सामने आता है, वह सबके सामने होगा. एक सवाल के जवाब में संजीव शर्मा ने कहा कि इन दिनों प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी शिमला आई हैं. हम मुख्यमंत्री के निमंत्रण को उस दृष्टि से नहीं देख रहे हैं. मुख्यमंत्री अगर वार्ता के लिए बुला रहे हैं तो हमारा भी फर्ज बनाता है कि हम उनकी भावनाओं का सम्मान करें. उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की समस्या का हल केवल संवाद है.
हमारी मांग केवल डीए और एरियर के भुगतान को लेकर है. अभी डीए की तीन किस्तें सरकार के पास पेंडिंग है. वहीं, डीए की चौथी किस्त देय है. कर्मचारियों को एरियर भी इस सरकार में नहीं मिला है.
हमें शौक नहीं बाहर निकलने का
संजीव शर्मा ने कहा कर्मचारियों की डीए और एरियर के भुगतान की केवल दो ही मांगे हैं. अगर ये मांगे पूरी होती हैं तो ठीक है. हमें बाहर निकलने का कोई शौक नहीं है. उन्होंने कहा कि इससे पहले भी कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ बड़े-बड़े आंदोलन किए हैं लेकिन चुने हुए कर्मचारी नेताओं के खिलाफ कभी प्रिविलेज मोशन नहीं लाया गया.
ये पहली बार हुआ है कि अपनी मांगों को लेकर आमसभा करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ प्रिविलेज मोशन लाया गया है. उन्होंने कहा कि जहां तक शब्दों की बात है पहली आमसभा में कोई भी अपशब्द नहीं बोले गए थे लेकिन कर्मचारियों की भावनाएं कहां आहत हुई थी, ये सभी जानते हैं.
कर्मचारियों की तरफ से गलत शब्दावली का प्रयोग नहीं किया गया. हमें भी गुंडे मवाली कहा गया लेकिन हमने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. हम इस विवाद को और अधिक बढ़ाना नहीं चाहते हैं. कर्मचारी सकारात्मक सोच के साथ चले हैं. मुख्यमंत्री ने बुलाया है हम इसका स्वागत करते हैं. हम चाहते हैं कि हमारी मांगों का जल्द से जल्द समाधान हो.
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