पटना: लोजपा रामविलास यानि चिराग पासवान गुट ने वैशाली लोकसभा क्षेत्र के साहेबगंज में रविवार को सभा को संबोधित किया था. इस दौरान चिराग पासवान ने बिना नाम लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला किया. इसके खिलाफ चिराग पासवान पर कार्रवाई की मांग उठने लगी है. सबसे पहले उनके चाचा पशुपति पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी ने ही उन्हें एनडीए से बाहर का रास्ता दिखाने की मांग की है.
चिराग पासवान पर संजय जायसवाल का बड़ा बयान: वहीं इन सबके बीच चिराग को बीजेपी का पूरा समर्थन मिलता दिख रहा है. बीजेपी सांसद व बिहार के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, चिराग पासवान के पक्ष में खड़े नजर आए. जब उनसे मीडिया ने पूछा कि चिराग पासवान ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया है और उनपर कार्रवाई की मांग उठ रही है तो संजय जायसवाल ने कहा कि एनडीए एकजुट है.
"चिराग पासवान के साथ हम आज से नहीं हैं. उनके साथ हम तब से हैं जब मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने की घोषणा हुई थी. 2014 और 2019 सभी चुनावों में हमने एक साथ मिलकर काम किया है. कहीं कोई दिक्कत नहीं है."- संजय जायसवाल, बीजेपी सांसद
लालू पर निशाना: संजय जायसवाल ने लालू यादव पर भी जमकर निशाना साधा और कहा कि अपने परिवार के लिए धन अर्जित करना ही लालू यादव का जन्म सिद्ध अधिकार है. यही काम वो वर्षो से कर रहे हैं. आज भी उनकी राजनीति परिवार के इर्द गिर्द ही घूम रही है और उनके सोच में कोई बदलाव नहीं आया है. ये बात जनता जानती है और जनता ऐसे लोगों को बार-बार जवाब भी दे रही है, लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि इस बार जनता उनको ठीक से सबक सिखाएगी.
क्या कहा था चिराग ने?: रविवार को वैशाली में आयोजित जन आशीर्वाद सभा को संबोधित करते हुए चिराग ने बिहार को लेकर बहुत सारी बातें कही थी. सीएम नीतीश कुमार का बिना नाम लिए कहा था कि चिराग का गठबंधन और तालमेल सिर्फ बिहार और बिहारी से है. बिहार के शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की नीति ठीक होती तो यहां के युवा रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए दूसरे राज्यों में पलायन नहीं करते. राजनीतिक साजिश कर घर, परिवार और पार्टी तोड़ी गई, पर मैंने रामविलास पासवान के आदर्श को ना टूटने दिया और ना झुकने दिया.
क्या था 2020 का चिराग का गेम प्लान?: चिराग पासवान के कारण नीतीश कुमार की पार्टी 2020 के विधानसभा चुनाव में तीसरी नंबर पर धकेल दिया था. एक तो नीतीश को कम सीटों पर संतोष करना पड़ा और जहा-जहां जदयू के उम्मीदवार खड़े हुए, वहां-वहां से चिराग ने अपनी पार्टी के प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया. इसका खामियाजा नीतीश कुमार को झेलना पड़ा और बिहार की बड़ी पार्टी तीसरे नंबर की पार्टी बन गई.
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