शिमला: राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली में मस्जिद के अवैध निर्माण से जुड़े मामले में आज जिला कोर्ट परिसर में अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश प्रवीण गर्ग की अदालत में सुनवाई होगी. पिछली बार अदालत ने सुनवाई के बाद 14 नवंबर की अगली डेट दी थी. आज की सुनवाई में ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन याचिका की मैनेटेनेबल होने या न होने पर फैसला संभव है. साथ ही लोकल रेजिडेंट्स को सुने जाने की मांग पर सुनवाई होगी.
मुस्लिम वेलफेयर कमेटी की याचिका पर सुनवाई
इस मामले में सिरमौर के पांवटा साहिब, बिलासपुर व डिनक मंडी की तीन मुस्लिम वेलफेयर कमेटियों ने न्यायमूर्ति प्रवीण गर्ग के समक्ष अपील दाखिल की है. ये अपील ऑल हिमाचल मुस्लिम एसोसिएशन के बैनर तले नजाकत अली हाशमी की तरफ से दाखिल की गई है. अपील में कहा गया है कि संजौली मस्जिद कमेटी पंजीकृत नहीं है और वहां के मुखिया मोहम्मद लतीफ को संजौली मस्जिद से जुड़ा कोई फैसला लेने का हक नहीं है. अभी तक न्यायमूर्ति प्रवीण गर्ग ने नगर निगम शिमला के कमिश्नर के फैसले पर स्टे देने की मांग को स्वीकार नहीं किया था. आज की सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं.
पहले 6 नवंबर को हुई थी सुनवाई
हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित संजौली मस्जिद विवाद मामले में 6 नवंबर को जिला अदालत में सुनवाई हुई थी. जिसमें मुस्लिम वेलफेयर कमेटी ने संजौली में अवैध निर्माण को गिराने के नगर निगम के फैसले को चुनौती दी थी और स्टे की मांग थी. मगर अदालत ने मुस्लिम कमेटी की स्टे की मांग को नहीं माना था और 14 नवंबर को सुनवाई तय की थी. मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी पांवटा साहिब, जामा मस्जिद मैनेजमेंट कमेटी बिलासपुर और अलहुदा एजुकेशनल सोसाइटी डिनक मंडी का दावा है कि संजौली की मस्जिद कमेटी रजिस्टर ही नहीं है. इसके अलावा इस मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ की ओर से दिया गया हलफनामा भी गैर कानूनी है.
मस्जिद कमेटी ने खुद अवैध निर्माण को हटाने का लिया था फैसला
गौरतलब है कि नगर निगम शिमला के कमिश्नर की आदेश के बाद और वक्फ बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद संजौली मस्जिद कमेटी ने खुद अवैध निर्माण को गिराने का फैसला लिया था. जिसके बाद अवैध निर्माण के एक हिस्से को गिरा भी दिया गया, लेकिन फंड की कमी के चलते इसे रोक दिया गया था. मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ का कहना था कि फंड की कमी है, जैसे ही फंड जमा होगा अवैध निर्माण को गिरा दिया जाएगा. जिसका मुस्लिम वेलफेयर कमेटियों ने विरोध किया है.