लखनऊ: संभल में हुई हिंसक घटना को लेकर लखनऊ में धार्मिक नेताओं और उलमा ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने इसे बेहद दुखद और चिंताजनक करार दिया. उन्होंने कहा, "यह घटना सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं. भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने की सख्त जरूरत है."
मौलाना ने सवाल उठाया कि जब एक बार धार्मिक स्थलों का सर्वे हो चुका है, तो बार-बार इसकी जरूरत क्यों महसूस की जा रही है. उन्होंने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देते हुए कहा कि इस कानून के तहत 1947 के बाद किसी भी धार्मिक स्थल के स्वरूप में बदलाव नहीं किया जा सकता, फिर भी मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों पर सर्वे का सिलसिला क्यों नहीं रुक रहा.
ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव यासूब अब्बास ने भी संभल की घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने इसे "खूनी होली" का नाम देते हुए कहा, "मंदिर, मस्जिद या किसी भी धार्मिक स्थल का उद्देश्य लोगों को मानसिक शांति प्रदान करना है, लेकिन यहां तो इंसानियत का कत्ल हो रहा है." उन्होंने धार्मिक स्थलों पर हो रही हिंसा को इंसानियत के खिलाफ बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की.
यासूब अब्बास ने कहा, "धर्म के नाम पर लड़ाई बंद होनी चाहिए. हिंदू और मुस्लिम एकजुट होकर गरीबी, बेरोजगारी और भुखमरी जैसे असली मुद्दों से लड़ें. धर्म को नफरत और हिंसा का जरिया बनाना समाज के लिए घातक है."
दोनों नेताओं ने सभी नागरिकों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की. उन्होंने प्रशासन से मांग की कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं.