रांची: संत शिरोमणि गुरु रविदास की 648 वीं जयंती पर आज प्रदेश कांग्रेस भवन में प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग द्वारा संत रविदास जयंती मनाई गई. अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष केदार पासवान की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर सहित बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया. संत रविदास को महान पुरुष और समाज सुधारक बताते हुए वंचित और पिछड़े समाज के लोगों को एकजुट होकर हक और अधिकार की लड़ाई लड़ने का आह्वान किया.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहा कि गुरु रविदास से हमें सीखने की आवश्यकता है, खासकर अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को उनके विचारों के अनुसार संगठित होकर समाज में आगे बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आज अनुसूचित जाति के लोगों को अपने बारे में सोचने की आवश्यकता है. समाज के अन्य वर्गों को भी चाहिए कि उन्हें आगे बढ़ाने में आगे आएं.
अनुसूचित जाति को समाज की मुख्यधारा में आगे रखने के लिए भारतीय संविधान में उन्हें अधिकार प्रदान किए गए हैं. उन अधिकारों के बारे में उन्हें जानना होगा. संगठन को मजबूत बनाने के लिए समाज के बीच भी जाना होगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से दलित वर्ग के उत्थान के लिए आवाज उठाती है. कांग्रेस के नेतृत्व में सरकारों द्वारा कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की गई थी, जिसने अनुसूचित जाति समाज के आर्थिक स्तर को मजबूत किया.
संत रविदास समाज में समानता और भाईचारे का संदेश देते हैंः राधाकृष्ण किशोर
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि संत रविदास की जयंती समाज में उनके योगदान को याद करने का दिन है. यह समाज में समानता, प्रेम और भाईचारे को बढ़ाने की प्रेरणा देता है. संत रविदास का जीवन यह सीख देती है कि हमें जाति, धर्म और समाज के हर वर्ग से ऊपर उठकर एकता और प्रेम में विश्वास करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के अंदर 66 उपजातियां आती हैं. हम एक होने की जगह इन्हीं उपजातियों में विभक्त होकर रह गए हैं. अनुसूचित जातियों में विभाजन का ही परिणाम है कि संविधान में अधिकार मिलने के बाद भी हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है.
अधिकारों के व्यापक संघर्ष के लिए एकजुटता जरूरी है
वित्त मंत्री ने कहा कि अनुसूचित जातियों का एकमात्र राजनीतिक रहनुमा केवल कांग्रेस पार्टी ही है. कांग्रेस ने हमेशा आगे बढ़कर दलितों के उत्थान का प्रयास किया है, जबकि दूसरे दलों ने दलित समुदाय का सिर्फ उपयोग किया है.
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