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भयानक गर्मी में ऐसे कूल रहती है सागर की 'लाड़ली लक्ष्मी', जैसे कह रही हो- 'गर्मी हमको भी लगती है' - KEEPING ELEPHENT LAKSHMI COOL - KEEPING ELEPHENT LAKSHMI COOL

प्रदेश के कई जिलों में भले ही मौसम का मिजाज बदला-बदला सा हो पर, कई जिलों में गर्मी अपने तेवर दिखा रही है. इस भीषण गर्मी से बचने के लिए सागर की लाड़ली लक्ष्मी हथिनी के लिए खास इंतजाम किए गए हैं.

special arrangments of elephant bath in summers
गर्मी में कैसे कूल रहती है हथिनी लक्ष्मी (Etv Bharat Graphics)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 14, 2024, 8:52 AM IST

गर्मी में कैसे कूल रहती है हथिनी लक्ष्मी (Etv Bharat)

सागर। गर्मी का मौसम इंसान हो या जानवर सभी का बुरा हाल कर देता है. इंसान तो खुद को ठंडा रखने के उपाय कर लेते हैं पर बड़ी जानवरों को इस वक्त खासी तकलीफ होती है. ऐसे में जानवरों के पालक भी उनके लिए तरह-तरह के जतन करते रहते हैं. खासकर विशालकाय शरीर वाले हाथी, जिन्हें पसीना ही नहीं आता है. गर्मी के मौसम में हाथियों ठंडा रखना किसी चुनौती से कम नहीं है. सागर के वृंदावन बाग मंदिर की हथिनी लक्ष्मी पहले गर्मी के मौसम में बंजारा तालाब में स्नान करती थी, लेकिन अब प्रतिबंध के कारण मंदिर प्रबंधन ने लक्ष्मी के स्नान के लिए बोरवेल खुदवाया है. जिससे लक्ष्मी फव्वारा स्नान का आनंद लेती है.

special arrangments of elephant bath in summers
भयानक गर्मी में कैसे कूल रहती है सागर की लाड़ली लक्ष्मी (etv bharat)

गर्मी में लक्ष्मी का फव्वारा स्नान

आमतौर पर किसी भी हाथी का तालाब या नदी में पानी से अठखेलियां करने का नजारा देखने लायक होता है. हथिनी लक्ष्मी जब तालाब में स्नान करती थी तो अपने सूंड में पानी लेकर स्नान करती थी. अब वह बोरवेल से निकलने वाले पानी के जरिए अपने शरीर को ठंडा रखती है. यह नजारा भी देखने लायक होता है. शहर का सबसे प्रसिद्ध वृंदावन बाग मंदिर और मठ 270 साल पुराना है. जहां गज परंपरा की व्यवस्था के तहत पिछली पांच पीढ़ियों से हाथी रखा जा रहा है. इसी परम्परा के तहत हथिनी मंदिर का हिस्सा बनी. लक्ष्मी की सेवा और तमाम व्यवस्था की जिम्मेदारी मंदिर ट्रस्ट की होती है. करीब 20 साल पहले लक्ष्मी वृंदावन बाग और मठ का हिस्सा बनी थी. तब से लक्ष्मी मंदिर और शहर की लाडली है. पहले गर्मी के मौसम में लक्ष्मी लाखा बंजारा झील में स्नान करती थी, लेकिन झील के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण के कारण कई तरह के प्रतिबंध लागू हुए और अब लक्ष्मी उसमें स्नान नहीं कर सकती है, इसलिए इस मंदिर में बोरवेल की व्यवस्था की गई है और गर्मी में लक्ष्मी को स्नान कराया जाता है.

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ठंड और गर्मी दोनों से परेशान रहते हैं हाथी

हाथी मूलरूप से उष्ण कटिबंधीय इलाकों के प्राणी हैं. अफ्रीका और एशिया उनका प्राकृतिक आवास है. हाथी का विशालकाय शरीर और त्वचा मोटी होने के कारण गर्मी और सर्दी के दोनों मौसम में हाथी के लिए अपने शरीर का तापमान संतुलित करना काफी कठिन काम होता है. शरीर के तापमान को संतुलित रखने के लिए हाथी कीचड़ और पानी में खेलना काफी पसंद करते हैं. कीचड़ में लंबे समय रहने से उनकी त्वचा को ठंडक मिलती है. इसी तरह लगातार पानी की बौछार शरीर पर छोड़कर शरीर को संतुलित करते हैं. हाथियों के शरीर में कान की ऐसी रचना होती है, जो उनके शरीर के तापमान को संतुलित करने में मदद करती है. अफ्रीकन हाथियों के कान इसीलिए बड़े होते हैं क्योंकि वहां तापमान ज्यादा होता है और वह अपने कान को फड़फड़ा कर अपने शरीर को ठंडा रखते हैं. एशिया में अफ्रीका के मुकाबले कम गर्मी होती है. इसलिए यहां के हाथियों के कान अफ्रीका के हाथियों की तुलना में छोटे होते हैं लेकिन यहां के हाथी भी इसी तरीके से तापमान को संतुलित करते हैं.

गर्मी में कैसे कूल रहती है हथिनी लक्ष्मी (Etv Bharat)

सागर। गर्मी का मौसम इंसान हो या जानवर सभी का बुरा हाल कर देता है. इंसान तो खुद को ठंडा रखने के उपाय कर लेते हैं पर बड़ी जानवरों को इस वक्त खासी तकलीफ होती है. ऐसे में जानवरों के पालक भी उनके लिए तरह-तरह के जतन करते रहते हैं. खासकर विशालकाय शरीर वाले हाथी, जिन्हें पसीना ही नहीं आता है. गर्मी के मौसम में हाथियों ठंडा रखना किसी चुनौती से कम नहीं है. सागर के वृंदावन बाग मंदिर की हथिनी लक्ष्मी पहले गर्मी के मौसम में बंजारा तालाब में स्नान करती थी, लेकिन अब प्रतिबंध के कारण मंदिर प्रबंधन ने लक्ष्मी के स्नान के लिए बोरवेल खुदवाया है. जिससे लक्ष्मी फव्वारा स्नान का आनंद लेती है.

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भयानक गर्मी में कैसे कूल रहती है सागर की लाड़ली लक्ष्मी (etv bharat)

गर्मी में लक्ष्मी का फव्वारा स्नान

आमतौर पर किसी भी हाथी का तालाब या नदी में पानी से अठखेलियां करने का नजारा देखने लायक होता है. हथिनी लक्ष्मी जब तालाब में स्नान करती थी तो अपने सूंड में पानी लेकर स्नान करती थी. अब वह बोरवेल से निकलने वाले पानी के जरिए अपने शरीर को ठंडा रखती है. यह नजारा भी देखने लायक होता है. शहर का सबसे प्रसिद्ध वृंदावन बाग मंदिर और मठ 270 साल पुराना है. जहां गज परंपरा की व्यवस्था के तहत पिछली पांच पीढ़ियों से हाथी रखा जा रहा है. इसी परम्परा के तहत हथिनी मंदिर का हिस्सा बनी. लक्ष्मी की सेवा और तमाम व्यवस्था की जिम्मेदारी मंदिर ट्रस्ट की होती है. करीब 20 साल पहले लक्ष्मी वृंदावन बाग और मठ का हिस्सा बनी थी. तब से लक्ष्मी मंदिर और शहर की लाडली है. पहले गर्मी के मौसम में लक्ष्मी लाखा बंजारा झील में स्नान करती थी, लेकिन झील के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण के कारण कई तरह के प्रतिबंध लागू हुए और अब लक्ष्मी उसमें स्नान नहीं कर सकती है, इसलिए इस मंदिर में बोरवेल की व्यवस्था की गई है और गर्मी में लक्ष्मी को स्नान कराया जाता है.

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ठंड और गर्मी दोनों से परेशान रहते हैं हाथी

हाथी मूलरूप से उष्ण कटिबंधीय इलाकों के प्राणी हैं. अफ्रीका और एशिया उनका प्राकृतिक आवास है. हाथी का विशालकाय शरीर और त्वचा मोटी होने के कारण गर्मी और सर्दी के दोनों मौसम में हाथी के लिए अपने शरीर का तापमान संतुलित करना काफी कठिन काम होता है. शरीर के तापमान को संतुलित रखने के लिए हाथी कीचड़ और पानी में खेलना काफी पसंद करते हैं. कीचड़ में लंबे समय रहने से उनकी त्वचा को ठंडक मिलती है. इसी तरह लगातार पानी की बौछार शरीर पर छोड़कर शरीर को संतुलित करते हैं. हाथियों के शरीर में कान की ऐसी रचना होती है, जो उनके शरीर के तापमान को संतुलित करने में मदद करती है. अफ्रीकन हाथियों के कान इसीलिए बड़े होते हैं क्योंकि वहां तापमान ज्यादा होता है और वह अपने कान को फड़फड़ा कर अपने शरीर को ठंडा रखते हैं. एशिया में अफ्रीका के मुकाबले कम गर्मी होती है. इसलिए यहां के हाथियों के कान अफ्रीका के हाथियों की तुलना में छोटे होते हैं लेकिन यहां के हाथी भी इसी तरीके से तापमान को संतुलित करते हैं.

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