सागर। मध्य प्रदेश के सातवें और सबसे बड़े टाइगर रिजर्व वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व (नौरादेही) की अधिसूचना जारी हुए अभी साल भर भी नहीं हुआ है और विस्थापन को लेकर टाइगर रिजर्व के भीतर रहने वाले आदिवासी किसानों को ठगने का मामला सामने आया है. खास बात ये है कि ठगी के खेल में टाइगर रिजर्व का वनपाल और उसका बेटा शामिल है. दरअसल विस्थापन की कट ऑफ डेट बढ़ाने के लिए इन आदिवासी किसानों ने टाइगर रिजर्व के वनपाल से संपर्क किया तो वनपाल ने डीएफओ और कलेक्टर के नाम से 24 किसानों से कट ऑफ डेट बढ़वाने के लिए 7 लाख रुपए से ज्यादा पैसा इकट्ठा किया. जब एक साल के बाद भी कट ऑफ डेट नहीं बढ़ी तब किसानों ने मामले की शिकायत नौरादेही टाइगर रिजर्व प्रबंधन से की है, जिसकी जांच शुरू हो गई है.
विस्थापन के नाम पर की बड़ी ठगी
वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व (नौरादेही) के विस्थापन पैकेज में कट ऑफ डेट बढ़ाने को लेकर कलेक्टर और डीएफओ कार्यालय के नाम पर 7 लाख 30 हजार रुपये ऐंठने का मामला सामने आया है. फिलहाल टाइगर रिजर्व में विस्थापन की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है. विस्थापन सूची में नौरादेही रेंज की जोगीपुरा बीट के जोगीपुरा और खमरा पठार के 24 गरीब आदिवासी परिवार विस्थापित होने हैं. इन परिवारों ने जोगीपुरा बीट के वनपाल पुरुषोत्तम साहू पर ठगी का आरोप लगाते हुए जांच के लिए गेम परिक्षेत्र अधिकारी एलएन वर्मा के लिए आवेदन दिया है. जोगीपुरा और खमरा पठार के ग्रामीणों ने नौरादेही रेंज पहुंचकर अपने-अपने बयान भी दर्ज कराए हैं.
विस्थापन की कट ऑफ डेट बढ़ाने का मामला
ग्रामीणों ने ठगे जाने के बाद अपनी शिकायत में कहा कि विस्थापन की प्रक्रिया में हमारे परिवार के 18 साल की आयु पूर्ण कर चुके लड़के-लड़कियों के नाम शामिल नहीं किए गए थे. इस संबंध में उन्होंने कट आफ डेट बढ़ाने के लिए कई बार मांग की तो वनपाल पुरषोत्तम साहू ने 24 आदिवासी किसानों से प्रत्येक परिवार से 31-31 हजार रूपए वसूले और कलेक्टर कार्यालय और डीएफओ कार्यालय में देने के लिए संपर्क कराया. ग्रामीण निजी वाहन से कलेक्टर कार्यालय पहुंचे, जहां बीट गार्ड के बताए मोबाइल नंबर पर फोन लगाया. फोन लगाने के बाद चेहरे पर मास्क बांधे हुए एक युवक आया और आदिवासियों को कलेक्टर कार्यालय में अंदर ले गया. जहां 7 लाख 30 हजार की राशि लेकर कहा कि अब सबके नाम पैकेज में जुड़ जाएंगे और कट ऑफ डेट बढ़ जाएगी.
साल भर बाद भी नहीं बड़ी कट ऑफ डेट
पैसे देने के बाद ग्रामीण आदिवासी इंतजार करते रहे कि विस्थापन पैकेज की कट ऑफ डेट बढ़ जाएगी लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी कट ऑफ डेट नहीं बढ़ी. 24 किसानों में से किसी का भी नाम विस्थापन पैकेज में नहीं आया तो आदिवासी किसान समझ गए कि वह ठगी का शिकार हुए हैं. इसकी शिकायत किसानों ने नौरादेही के रेंज ऑफिसर से की और पैसे को लेकर हुई बातचीत और पैसों के लेनदेन के वीडियो भी रेंज ऑफिसर को उपलब्ध कराए हैं. आदिवासियों ने वनपाल पुरुषोत्तम साहू और उसके बेटे पर ठगी की साजिश रचने का आरोप लगाया है.
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'मैनें और मेरे बेटे ने नहीं लिया पैसा'
इस मामले में वनरक्षक पुरषोत्तम साहू ने सफाई देते हुए कहा कि "मैंने और मेरे बेटे ने किसी से पैसा नहीं लिया और जो आरोप लगा रहे हैं वह गलत हैं". नौरादेही रेंज के रेंजर एलएन वर्मा का कहना है कि "जोगीपुरा और खमरा पठार कि विस्थापित लोगों से कट ऑफ डेट बढ़ाने के नाम पर 31 हजार रुपये प्रति परिवार के हिसाब से लिए गए हैं. जिसमें 23 -24 लोग ने शिकायत की है जिसमें वीट गार्ड पर आरोप लगाया गया है, मामले में जांच की जा रही है. जांच में प्रमाण मिलने पर कार्रवाई की जाएगी."