ETV Bharat / state

मध्य प्रदेश में किसानों का सोयाबीन आंदोलन, MSP पर नहीं बन रही बात, मंदसौर कांड की दिलाई याद - Kisan Andolan For Soybean Price - KISAN ANDOLAN FOR SOYBEAN PRICE

मध्य प्रदेश के किसान सोयाबीन के दामों को लेकर सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि उन्हें अपनी फसलों का उचित दाम नहीं मिल रहा है. सालों पुराना सोयाबीन का दाम दिया जा रहा है. किसान संगठन ने सोयाबीन के दाम 6 हजार रुपए करने की मांग करते हुए बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है.

KISAN ANDOLAN FOR SOYABEAN
मध्य प्रदेश में किसानों का सोयाबीन आंदोलन (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 3, 2024, 4:18 PM IST

सागर: सोयाबीन की फसल के उचित दामों के लिए तमाम किसान संगठनों ने एक संयुक्त मोर्चा बनाकर एक सितंबर से आंदोलन का आगाज किया है. आंदोलन के पहले चरण में ग्राम पंचायत स्तर पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं. किसानों के एक सूत्रीय मांग को लेकर आंदोलन पर सरकार बेरूखी दिखा रही है. सरकार का ये रवैया किसान संगठनों के लिए नागवार गुजर रहा है. ऐसे में किसान संगठन ने साफ तौर पर सरकार को चेतावनी दी है कि अगर यही रवैया रहा, तो फिलहाल गांवों में चल रहा आंदोलन सड़कों पर नजर आएगा और 2017 के मंदसौर जैसे हालात बन सकते हैं. फिलहाल आंदोलन का पहला चरण 7 सितंबर तक जारी रहेगा. इसके बावजूद सरकार अगर बातचीत नहीं करती है, तो 12 सितंबल को भोपाल की बैठक में आंदोलन को तेज और धारदार बनाने की रणनीति पर विचार किया जाएगा.

सोयाबीन के दाम 6 हजार रुपए करने की मांग

देश में सोयाबीन राज्य के नाम से पहचान रखने वाले मध्य प्रदेश में सोयाबीन उगाने वाले किसानों को अपनी फसल का इतना भी दाम नहीं मिल रहा है कि फसल में लगने वाली लागत वो निकाल सके. किसान संगठनों की मानें, तो मध्य प्रदेश में सोयाबीन का आज भी वो दाम मिल रहा है. जो दस साल पहले 2013-2014 में मिलता था. जबकि इन 10 सालों में डीजल, खाद, बीज और तमाम चीजों के दाम बढ़ चुके हैं. इन हालातों में किसान को अपनी फसल की लागत निकालने में पसीना आ रहा है.

FARMERS DEMAND SOYBEAN PRICE 6000
सोयाबीन के दाम को लेकर किसान नाराज (ETV Bharat)

सोयाबीन की फसल बुवाई के लिए खाद,बीज और डीजल के इंतजाम से लेकर, निदाई और खाद के साथ-साथ कीटनाशक और फसल पकने पर काफी पैसा खर्च करना होता है. जबकि जैसे ही फसल आने का समय होता है, तो सोयाबीन के दाम गिरने लगते हैं. आलम ये है कि इस साल सोयाबीन के दाम महज 3500 रुपए है. जबकि सरकार ने जो एमएसपी तय की है, वो 4892 रुपए है. ऐसे में किसान संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बनाकर एक सूत्रीय मांग को लेकर आंदोलन का आगाज कर दिया है. किसानों का कहना है कि सोयाबीन की एमएसपी 6 हजार रुपए की जाए. फिलहाल जो समर्थन मूल्य तक किया है. उस पर मध्य प्रदेश सरकार 1108 रुपए का बोनस घोषित कर किसानों का सोयाबीन 6 हजार प्रति क्विंटल की दर से खरीदे.

कॉर्पोरेट को फायदा पहुंचाने का आरोप

किसान संगठनों का आरोप है कि वैसे भी पिछले कई सालों से अल्पवर्षा और अतिवर्षा के कारण सोयाबीन की फसल में किसानों को नुकसान हो रहा है. जबकि सरकार द्वारा जो खाद्य तेल की नीति तय की गयी है. उसमें सोयाबीन उत्पादक किसानों की जगह कॉर्पोरेट को फायदा पहुंचाया जा रहा है. किसानों का आरोप है कि फसल आते ही सरकार निर्यात बंद कर देती है और आयात शुरू कर देती है. जिससे सोयाबीन के दामों में गिरावट आने लगती है. इसका फायदा सीधे तौर पर उद्योगपतियों को होता है और किसान ठगा जाता है.

उग्र आंदोलन की चेतावनी

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि 'किसानों की मांग है कि सरकार 6 हजार रुपए सोयाबीन का मूल्य तय करे. अगर पिछले सालों में देखा जाए, तो सोयाबीन तीन हजार से लेकर 3500 रुपए तक बिका है. जिससे किसानों को फसल की लागत निकालना मुश्किल है. इसी बात को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार तक अपनी बात पहुंचाने आंदोलन छेड़ा है. जिसमें गांव, हर किसान के घर, किसान, महिलाएं और बच्चे तक जुडे़ हैं और सरकार तक अपनी बात को पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सरकार कुंभकर्णी नींद सो रही है. आज तक संयुक्त किसान मोर्चा की कार्यकारणी से कोई बात नहीं की गयी कि आगे सोयाबीन के क्या मूल्य होंगे, आपकी मांग क्या है.

यहां पढ़ें...

सोयाबीन को सोने नहीं दे रहा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे, फसल की सेहत बिगड़ी तो किसानों ने लगाई गुहार

मध्य प्रदेश में सोयाबीन के दाम धड़ाम, MSP की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे किसान, यह है पूरा प्लान

अगर सरकार अब भी नहीं चेतती है, तो ये आंदोलन गांव से निकलकर सड़कों पर आने में देर नहीं लगेगी. फिर सरकार को वो परिणाम देखने को मिलेंगे, जो 2017 में मंदसौर में देखने को मिले थे. तो सरकार से कहना चाहूंगा कि सरकार समय रहते हुए चेते और इस आंदोलन को देखते हुए किसानों की मांग माने. अन्यथा आने वाले समय में आंदोलन बड़ा रूप लेने जा रहा है. ऐसा हुआ और उस समय अगर बात होती है, तो एक बड़ा नुकसान किसानों को और सरकार को उग्र आंदोलन से होगा. ऐसा होना नहीं चाहिए. हम लोग शांतिपूर्ण आंदोलन के पक्ष में हैं. ऐसी उम्मीद सरकार से रखते हैं कि ऐसी स्थिति ना आए कि हमें सड़कों पर आंदोलन लेकर उतरना पडे़.

सागर: सोयाबीन की फसल के उचित दामों के लिए तमाम किसान संगठनों ने एक संयुक्त मोर्चा बनाकर एक सितंबर से आंदोलन का आगाज किया है. आंदोलन के पहले चरण में ग्राम पंचायत स्तर पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं. किसानों के एक सूत्रीय मांग को लेकर आंदोलन पर सरकार बेरूखी दिखा रही है. सरकार का ये रवैया किसान संगठनों के लिए नागवार गुजर रहा है. ऐसे में किसान संगठन ने साफ तौर पर सरकार को चेतावनी दी है कि अगर यही रवैया रहा, तो फिलहाल गांवों में चल रहा आंदोलन सड़कों पर नजर आएगा और 2017 के मंदसौर जैसे हालात बन सकते हैं. फिलहाल आंदोलन का पहला चरण 7 सितंबर तक जारी रहेगा. इसके बावजूद सरकार अगर बातचीत नहीं करती है, तो 12 सितंबल को भोपाल की बैठक में आंदोलन को तेज और धारदार बनाने की रणनीति पर विचार किया जाएगा.

सोयाबीन के दाम 6 हजार रुपए करने की मांग

देश में सोयाबीन राज्य के नाम से पहचान रखने वाले मध्य प्रदेश में सोयाबीन उगाने वाले किसानों को अपनी फसल का इतना भी दाम नहीं मिल रहा है कि फसल में लगने वाली लागत वो निकाल सके. किसान संगठनों की मानें, तो मध्य प्रदेश में सोयाबीन का आज भी वो दाम मिल रहा है. जो दस साल पहले 2013-2014 में मिलता था. जबकि इन 10 सालों में डीजल, खाद, बीज और तमाम चीजों के दाम बढ़ चुके हैं. इन हालातों में किसान को अपनी फसल की लागत निकालने में पसीना आ रहा है.

FARMERS DEMAND SOYBEAN PRICE 6000
सोयाबीन के दाम को लेकर किसान नाराज (ETV Bharat)

सोयाबीन की फसल बुवाई के लिए खाद,बीज और डीजल के इंतजाम से लेकर, निदाई और खाद के साथ-साथ कीटनाशक और फसल पकने पर काफी पैसा खर्च करना होता है. जबकि जैसे ही फसल आने का समय होता है, तो सोयाबीन के दाम गिरने लगते हैं. आलम ये है कि इस साल सोयाबीन के दाम महज 3500 रुपए है. जबकि सरकार ने जो एमएसपी तय की है, वो 4892 रुपए है. ऐसे में किसान संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बनाकर एक सूत्रीय मांग को लेकर आंदोलन का आगाज कर दिया है. किसानों का कहना है कि सोयाबीन की एमएसपी 6 हजार रुपए की जाए. फिलहाल जो समर्थन मूल्य तक किया है. उस पर मध्य प्रदेश सरकार 1108 रुपए का बोनस घोषित कर किसानों का सोयाबीन 6 हजार प्रति क्विंटल की दर से खरीदे.

कॉर्पोरेट को फायदा पहुंचाने का आरोप

किसान संगठनों का आरोप है कि वैसे भी पिछले कई सालों से अल्पवर्षा और अतिवर्षा के कारण सोयाबीन की फसल में किसानों को नुकसान हो रहा है. जबकि सरकार द्वारा जो खाद्य तेल की नीति तय की गयी है. उसमें सोयाबीन उत्पादक किसानों की जगह कॉर्पोरेट को फायदा पहुंचाया जा रहा है. किसानों का आरोप है कि फसल आते ही सरकार निर्यात बंद कर देती है और आयात शुरू कर देती है. जिससे सोयाबीन के दामों में गिरावट आने लगती है. इसका फायदा सीधे तौर पर उद्योगपतियों को होता है और किसान ठगा जाता है.

उग्र आंदोलन की चेतावनी

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि 'किसानों की मांग है कि सरकार 6 हजार रुपए सोयाबीन का मूल्य तय करे. अगर पिछले सालों में देखा जाए, तो सोयाबीन तीन हजार से लेकर 3500 रुपए तक बिका है. जिससे किसानों को फसल की लागत निकालना मुश्किल है. इसी बात को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार तक अपनी बात पहुंचाने आंदोलन छेड़ा है. जिसमें गांव, हर किसान के घर, किसान, महिलाएं और बच्चे तक जुडे़ हैं और सरकार तक अपनी बात को पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सरकार कुंभकर्णी नींद सो रही है. आज तक संयुक्त किसान मोर्चा की कार्यकारणी से कोई बात नहीं की गयी कि आगे सोयाबीन के क्या मूल्य होंगे, आपकी मांग क्या है.

यहां पढ़ें...

सोयाबीन को सोने नहीं दे रहा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे, फसल की सेहत बिगड़ी तो किसानों ने लगाई गुहार

मध्य प्रदेश में सोयाबीन के दाम धड़ाम, MSP की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे किसान, यह है पूरा प्लान

अगर सरकार अब भी नहीं चेतती है, तो ये आंदोलन गांव से निकलकर सड़कों पर आने में देर नहीं लगेगी. फिर सरकार को वो परिणाम देखने को मिलेंगे, जो 2017 में मंदसौर में देखने को मिले थे. तो सरकार से कहना चाहूंगा कि सरकार समय रहते हुए चेते और इस आंदोलन को देखते हुए किसानों की मांग माने. अन्यथा आने वाले समय में आंदोलन बड़ा रूप लेने जा रहा है. ऐसा हुआ और उस समय अगर बात होती है, तो एक बड़ा नुकसान किसानों को और सरकार को उग्र आंदोलन से होगा. ऐसा होना नहीं चाहिए. हम लोग शांतिपूर्ण आंदोलन के पक्ष में हैं. ऐसी उम्मीद सरकार से रखते हैं कि ऐसी स्थिति ना आए कि हमें सड़कों पर आंदोलन लेकर उतरना पडे़.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.