ETV Bharat / state

क्या है स्कंद षष्ठी व्रत का विधान, जानिए पूजा विधि और मुहूर्त - Skanda Shashthi Vrat 2024

देश में आगामी 13 मई दिन सोमवार को स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाएगा. स्कंद षष्ठी का पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया मनाया जाता है. जिसे स्कंध षष्ठी के नाम से जानते हैं. स्कंद का संबंध भगवान गणेश के बड़े भाई कार्तिकेय से है.Skanda Shashthi Vrat 2024 worship method

Skanda Shashthi Vrat 2024 worship method
क्या है स्कंद षष्ठी व्रत का विधान (ETV Bharat Chhattisgarh)
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 11, 2024, 3:03 AM IST

स्कंद षष्ठी व्रत का विधान और पूजन (ETV Bharat Chhattisgarh)

रायपुर : साल 2024 में 13 मई सोमवार के दिन स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाएगा. स्कंद देव भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं. ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त स्कंद षष्ठी के व्रत का पालन करते हैं. उन्हें अपने जीवन में ढेर सारा धन सुख शांति और समृद्धि प्राप्त होती है. इसके साथ ही इसका व्रत करने से बाधाओं पर काबू पाने और जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान और समझ प्राप्त करने में मदद मिलती है.


कार्तिकेय को समर्पित है पर्व : महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि "स्कंद षष्ठी का संबंध भगवान गणेश के बड़े भाई कार्तिकेय से है और इन्हें स्कंद के नाम से भी जाना जाता है. वैशाख के महीने में इसलिए भी मनाया जाता है कि भगवान स्कंद का प्राकट्य षष्ठी तिथि को हुआ था. इस दिन व्रत उपवास करके विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना की जाती है. स्कंद की पूजा इसलिए भी की जाती है कि यह स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं से जुड़ा हुआ है.

अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्कंद की पूजा : ब्रह्म वैवर्त पुराण के मुताबिक चवन ऋषि को आंखों की जो रोशनी प्राप्त हुई थी वह भगवान स्कंद की पूजा आराधना के फल स्वरुप ही प्राप्त हुई थी. इसके साथ ही उन्हें दुर्घायु का वरदान भी मिला.

''इस व्रत को करने से जो भी माता और बहने हैं उनकी संतान को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से छुटकारा मिल जाता है. इसके साथ ही उनका स्वास्थ्य भी जल्द ठीक हो जाता है. ऐसा माना जाता है कि स्कंद का जन्म भगवान शिव के तेज से हुआ था." पंडित मनोज शुक्ला, पुजारी महामाया मंदिर रायपुर

कैसे करें स्कंद षष्ठी का व्रत : स्कंद षष्ठी के दिन व्रत करने वाले जातक सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान से निवृत होकर अपने घर के मंदिर को साफ करें. भगवान कार्तिकेय यानी स्कंद की व्रत का संकल्प ले. एक आसन पर भगवान स्कंद की प्रतिमा स्थापित करें. पंचामृत से स्नान कराए. चंदन और हल्दी का तिलक लगाए. उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं. फूलों की माला अर्पित करें. भगवान को फल मिठाई इत्यादि भोग अर्पित करें. आरती पूजा का समापन करें. वैदिक मंत्रो का जाप करते हुए व्रत करने वाले तामसिक चीजों से दूर रहे पूजा समाप्त करने के बाद शंखनाद अवश्य करें. अगले दिन प्रसाद से अपने व्रत का पारण करें. गरीबों की मदद करें उन्हें भोजन खिलाएं और भगवान स्कंध के मंदिर जाए.

अक्षय तृतीया पर अगर सोना नहीं खरीद सकते तो क्या है सस्ता उपाय, जानिए - Akshaya Tritiya 2024
अक्षय तृतीया पर बन रहा यह शुभ संयोग, कब है सोना चांदी खरीदने का शुभ मुहूर्त, जानिए - Akshaya Tritiya 2024
आज सोना खरीदने से पहले जानें शुभ मुहूर्त, बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा - Akshaya Tritiya 2024

नोट: यहां प्रस्तुत सारी जानकारी ज्योतिषाचार्यों,शास्त्र और पंचांगों से इकत्रित की गई है. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.



स्कंद षष्ठी व्रत का विधान और पूजन (ETV Bharat Chhattisgarh)

रायपुर : साल 2024 में 13 मई सोमवार के दिन स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाएगा. स्कंद देव भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं. ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त स्कंद षष्ठी के व्रत का पालन करते हैं. उन्हें अपने जीवन में ढेर सारा धन सुख शांति और समृद्धि प्राप्त होती है. इसके साथ ही इसका व्रत करने से बाधाओं पर काबू पाने और जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान और समझ प्राप्त करने में मदद मिलती है.


कार्तिकेय को समर्पित है पर्व : महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि "स्कंद षष्ठी का संबंध भगवान गणेश के बड़े भाई कार्तिकेय से है और इन्हें स्कंद के नाम से भी जाना जाता है. वैशाख के महीने में इसलिए भी मनाया जाता है कि भगवान स्कंद का प्राकट्य षष्ठी तिथि को हुआ था. इस दिन व्रत उपवास करके विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना की जाती है. स्कंद की पूजा इसलिए भी की जाती है कि यह स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं से जुड़ा हुआ है.

अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्कंद की पूजा : ब्रह्म वैवर्त पुराण के मुताबिक चवन ऋषि को आंखों की जो रोशनी प्राप्त हुई थी वह भगवान स्कंद की पूजा आराधना के फल स्वरुप ही प्राप्त हुई थी. इसके साथ ही उन्हें दुर्घायु का वरदान भी मिला.

''इस व्रत को करने से जो भी माता और बहने हैं उनकी संतान को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से छुटकारा मिल जाता है. इसके साथ ही उनका स्वास्थ्य भी जल्द ठीक हो जाता है. ऐसा माना जाता है कि स्कंद का जन्म भगवान शिव के तेज से हुआ था." पंडित मनोज शुक्ला, पुजारी महामाया मंदिर रायपुर

कैसे करें स्कंद षष्ठी का व्रत : स्कंद षष्ठी के दिन व्रत करने वाले जातक सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान से निवृत होकर अपने घर के मंदिर को साफ करें. भगवान कार्तिकेय यानी स्कंद की व्रत का संकल्प ले. एक आसन पर भगवान स्कंद की प्रतिमा स्थापित करें. पंचामृत से स्नान कराए. चंदन और हल्दी का तिलक लगाए. उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं. फूलों की माला अर्पित करें. भगवान को फल मिठाई इत्यादि भोग अर्पित करें. आरती पूजा का समापन करें. वैदिक मंत्रो का जाप करते हुए व्रत करने वाले तामसिक चीजों से दूर रहे पूजा समाप्त करने के बाद शंखनाद अवश्य करें. अगले दिन प्रसाद से अपने व्रत का पारण करें. गरीबों की मदद करें उन्हें भोजन खिलाएं और भगवान स्कंध के मंदिर जाए.

अक्षय तृतीया पर अगर सोना नहीं खरीद सकते तो क्या है सस्ता उपाय, जानिए - Akshaya Tritiya 2024
अक्षय तृतीया पर बन रहा यह शुभ संयोग, कब है सोना चांदी खरीदने का शुभ मुहूर्त, जानिए - Akshaya Tritiya 2024
आज सोना खरीदने से पहले जानें शुभ मुहूर्त, बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा - Akshaya Tritiya 2024

नोट: यहां प्रस्तुत सारी जानकारी ज्योतिषाचार्यों,शास्त्र और पंचांगों से इकत्रित की गई है. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.



ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.