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डॉक्टरों और अस्पतालों के मीडिया में विज्ञापन देने पर रोक नहीं, मद्रास हाई कोर्ट का आदेश - MADRAS HIGH COURT ORDERS

हाई कोर्ट ने कहा है कि, डॉक्टरों और अस्पतालों के मीडिया में विज्ञापन देने पर कोई प्रतिबंध नहीं है.

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मद्रास हाई कोर्ट (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 9, 2024, 10:37 PM IST

चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि, डॉक्टरों और अस्पतालों के मीडिया में विज्ञापन देने पर कोई रोक नहीं है. हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी मंगैयारकरसी नामक व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई के दौरान की.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी कि, डॉक्टर और अस्पताल के विज्ञापन जनता को गुमराह कर रहे हैं. इसलिए, मीडिया को नकली डॉक्टरों, नकली दवाओं और चिकित्सा उपचार विधियों और अस्पतालों को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों को प्रकाशित करने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.

मुख्य न्यायाधीश केआर श्रीराम और जस्टिस सेंथिलकुमार राममूर्ति की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान डॉक्टरों ने कहा था, "क्या हम मीडिया से यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वह अस्पताल से जुड़े हर विज्ञापन की जांच करे और उसे प्रकाशित करे?"डॉक्टरों ने तर्क दिया, "इसके अलावा, केवल मेडिकल आयोग ही नियमों का उल्लंघन करने वाले डॉक्टरों और अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है."

इस पर कोर्ट ने कहा कि, याचिकाकर्ता इस संबंध में मेडिकल कमीशन में शिकायत दर्ज करा सकता है और अगर फर्जी अस्पताल और डॉक्टर विज्ञापन प्रकाशित करते हैं, तो वे पुलिस में भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. चूंकि आपत्तिजनक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कानून हैं. बेंच ने मामले को खारिज करने का आदेश देते हुए कहा कि, वे विज्ञापन प्रकाशित करने वाले मीडिया के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सामान्य आदेश जारी नहीं कर सकते.

ये भी पढ़ें: मंत्रियों के लिए ड्रेस कोड क्या है? मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछे सवाल

चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि, डॉक्टरों और अस्पतालों के मीडिया में विज्ञापन देने पर कोई रोक नहीं है. हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी मंगैयारकरसी नामक व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई के दौरान की.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी कि, डॉक्टर और अस्पताल के विज्ञापन जनता को गुमराह कर रहे हैं. इसलिए, मीडिया को नकली डॉक्टरों, नकली दवाओं और चिकित्सा उपचार विधियों और अस्पतालों को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों को प्रकाशित करने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.

मुख्य न्यायाधीश केआर श्रीराम और जस्टिस सेंथिलकुमार राममूर्ति की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान डॉक्टरों ने कहा था, "क्या हम मीडिया से यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वह अस्पताल से जुड़े हर विज्ञापन की जांच करे और उसे प्रकाशित करे?"डॉक्टरों ने तर्क दिया, "इसके अलावा, केवल मेडिकल आयोग ही नियमों का उल्लंघन करने वाले डॉक्टरों और अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है."

इस पर कोर्ट ने कहा कि, याचिकाकर्ता इस संबंध में मेडिकल कमीशन में शिकायत दर्ज करा सकता है और अगर फर्जी अस्पताल और डॉक्टर विज्ञापन प्रकाशित करते हैं, तो वे पुलिस में भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. चूंकि आपत्तिजनक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कानून हैं. बेंच ने मामले को खारिज करने का आदेश देते हुए कहा कि, वे विज्ञापन प्रकाशित करने वाले मीडिया के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सामान्य आदेश जारी नहीं कर सकते.

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