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तीन फर्जी शिक्षकों को कोर्ट ने भेजा पांच-पांच साल के लिए जेल, अभी तक 15 को मिल चुकी सजा - IMPRISONMENT FAKE TEACHERS

रुद्रप्रयाग कोर्ट ने फर्जी डिग्री पर सरकारी मास्टर बने तीन टीचरों को पांच साल के लिए जेल भेज दिया है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 6 hours ago

रुद्रप्रयाग: फर्जी डिग्री से सरकारी टीचर बनने वालों पर लगातार कार्रवाई हो रही है. ऐसे ही तीन फर्जी टीचरों को कोर्ट ने पांच-पांच साल की सुनाई है. इसके अलावा कोर्ट ने आरोपियों पर दस-दस हजार रुपए का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया है. शिक्षा विभाग अभीतक 15 फर्जी शिक्षकों को जेल भेज चुका है. जबकि फर्जी डिग्री से नौकरी प्राप्त करने वाले कुल 23 शिक्षक चिह्नित किए गए हैं.

रुद्रप्रयाग जिले में चौधरी चरण सिंह विवि से बीएड की फर्जी डिग्री प्राप्त करने वाले शिक्षकों की धरपकड़ की कार्रवाई लगातार जारी है. शिक्षा महकमा ऐसे शिक्षकों को जेल भेजने में जुटा हुआ है. ऐसे ही बीएड की फर्जी डिग्री से शिक्षा विभाग में शिक्षक की नौकरी प्राप्त करने वाले तीन शिक्षकों को अदालत ने पांच-पांच वर्ष की जेल और 10-10 हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई है. पुलिस अभिरक्षा में दोषियों को पुरसाड़ी जेल भेज दिया है.

अदालत ने शिक्षा सचिव और गृह सचिव उत्तराखंड सरकार को भी आदेश की प्रति भेजी है. अदालत ने साफ शब्दों में कहा कि तत्कालीन विभागीय अधिकारियों ने बीएड की डिग्री का सत्यापन किए बिना ही कुछ ऐसे लोगों को नौकरी दी है, जिन्होंने फर्जी डिग्री का सहारा लिया है. साथ ही शिक्षकों के स्थायीकरण के साथ बाद में पदोन्नति के दौरान भी इस संबंध में कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई, जिससे साफ प्रतीत होता है कि शिक्षा महकमा के अधिकारियों से चूक हुई है.

साल 2005 से 2009 के बीच चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से बीएड की डिग्री प्राप्त कर महेंद्र सिंह, मोहन लाल और जगदीश लाल को अलग-अलग वर्षों में शिक्षा विभाग में प्राथमिक सहायक शिक्षक की नौकरी मिली थी. साल 2017-18 में शिकायत मिली कि जिन शिक्षकों ने चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ से बीएड की डिग्री प्राप्त की है, उसमें कई की डिग्री फर्जी हैं.

इस पर शिक्षा विभाग ने एसआईटी से जांच कराई, जिसमें उक्त तीन शिक्षकों की बीएड की डिग्री फर्जी पाई गई. विभाग ने जांच रिपोर्ट के आधार पर तीनों शिक्षकों को पहले निलंबित और बाद में बर्खास्त कर दिया. साथ ही कानूनी कार्रवाई के तहत आरोपी शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.

पुलिस ने जांच पूरी कर केस जिला न्यायालय में पेश किया. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की अदालत ने बीएड की फर्जी डिग्री के मामले में तीनों शिक्षकों को दोषी पाते हुए पांच-पांच वर्ष की जेल और 10-10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई. जनपद रुद्रप्रयाग में बीएड की फर्जी डिग्री के मामले में अब तक अदालत से 15 शिक्षकों को सजा सुनाई जा चुकी है, जिसमें तीन शिक्षक जूनियर हाईस्कूल, जबकि 12 शिक्षक प्राथमिक विद्यालय के हैं.

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रुद्रप्रयाग: फर्जी डिग्री से सरकारी टीचर बनने वालों पर लगातार कार्रवाई हो रही है. ऐसे ही तीन फर्जी टीचरों को कोर्ट ने पांच-पांच साल की सुनाई है. इसके अलावा कोर्ट ने आरोपियों पर दस-दस हजार रुपए का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया है. शिक्षा विभाग अभीतक 15 फर्जी शिक्षकों को जेल भेज चुका है. जबकि फर्जी डिग्री से नौकरी प्राप्त करने वाले कुल 23 शिक्षक चिह्नित किए गए हैं.

रुद्रप्रयाग जिले में चौधरी चरण सिंह विवि से बीएड की फर्जी डिग्री प्राप्त करने वाले शिक्षकों की धरपकड़ की कार्रवाई लगातार जारी है. शिक्षा महकमा ऐसे शिक्षकों को जेल भेजने में जुटा हुआ है. ऐसे ही बीएड की फर्जी डिग्री से शिक्षा विभाग में शिक्षक की नौकरी प्राप्त करने वाले तीन शिक्षकों को अदालत ने पांच-पांच वर्ष की जेल और 10-10 हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई है. पुलिस अभिरक्षा में दोषियों को पुरसाड़ी जेल भेज दिया है.

अदालत ने शिक्षा सचिव और गृह सचिव उत्तराखंड सरकार को भी आदेश की प्रति भेजी है. अदालत ने साफ शब्दों में कहा कि तत्कालीन विभागीय अधिकारियों ने बीएड की डिग्री का सत्यापन किए बिना ही कुछ ऐसे लोगों को नौकरी दी है, जिन्होंने फर्जी डिग्री का सहारा लिया है. साथ ही शिक्षकों के स्थायीकरण के साथ बाद में पदोन्नति के दौरान भी इस संबंध में कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई, जिससे साफ प्रतीत होता है कि शिक्षा महकमा के अधिकारियों से चूक हुई है.

साल 2005 से 2009 के बीच चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से बीएड की डिग्री प्राप्त कर महेंद्र सिंह, मोहन लाल और जगदीश लाल को अलग-अलग वर्षों में शिक्षा विभाग में प्राथमिक सहायक शिक्षक की नौकरी मिली थी. साल 2017-18 में शिकायत मिली कि जिन शिक्षकों ने चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ से बीएड की डिग्री प्राप्त की है, उसमें कई की डिग्री फर्जी हैं.

इस पर शिक्षा विभाग ने एसआईटी से जांच कराई, जिसमें उक्त तीन शिक्षकों की बीएड की डिग्री फर्जी पाई गई. विभाग ने जांच रिपोर्ट के आधार पर तीनों शिक्षकों को पहले निलंबित और बाद में बर्खास्त कर दिया. साथ ही कानूनी कार्रवाई के तहत आरोपी शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.

पुलिस ने जांच पूरी कर केस जिला न्यायालय में पेश किया. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की अदालत ने बीएड की फर्जी डिग्री के मामले में तीनों शिक्षकों को दोषी पाते हुए पांच-पांच वर्ष की जेल और 10-10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई. जनपद रुद्रप्रयाग में बीएड की फर्जी डिग्री के मामले में अब तक अदालत से 15 शिक्षकों को सजा सुनाई जा चुकी है, जिसमें तीन शिक्षक जूनियर हाईस्कूल, जबकि 12 शिक्षक प्राथमिक विद्यालय के हैं.

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