रोहतास : आमतौर पर आज के परिवेश में भी बेटियों के पैदा होने पर अभिशाप माना जाता है, या यू कहें की कई दंपति ऐसे हैं जो वह बेटियों की जगह बेटे के पैदा होने की चाह रखते हैं. वहीं जब बेटे की जगह बेटी पैदा होती है तो वह निराश हो जाते हैं. लेकिन इसी बीच बिहार के रोहतास में एक ऐसी लेडी डॉक्टर से हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं जो बेटियों के पैदा होने पर शगुन देकर बड़े ही धूमधाम से मरीज की विदाई करती हैं.
बेटी होने पर शगुन देती हैं डॉक्टर दीदी : दरअसल, रोहतास की डेहरी स्थित पाली रोड में चर्चित डॉक्टर नीलम का सूर्या क्लीनिक है. यहां क्लीनिक में आने वाली महिलाओं का जब प्रसव होता है तो एक अजीब सी खुशी देखने को मिलती है. वहीं जब नवजात की किलकारी गूंजती है, तो एक खुशी का अलग एहसास होता है. सबसे बड़ी बात यह है कि जब बेटी पैदा होती है तो सारे स्टाफ लोग भी खुशियाँ मनाते हैं, तथा मिठाइयां बांटते हैं. बता दें कि डॉक्टर नीलम जिलेभर की चर्चित स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं तथा अन्य सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती रहती हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हैं प्रभावित : स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नीलम बताती हैं कि प्रधानमंत्री मोदी से वह विशेष तौर पर इंस्पायर हैं. इसी कारण जब नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की थी तभी उनके जेहन में आया कि क्यों नहीं अपने इलाके में वह बेटियों के लिए कुछ नया करें, ताकि लोग खासकर वैसे दम्पति जो बेटी की चाह नहीं रखते वह जागरूक हों तथा बेटे और बेटी में किसी भी तरह का फर्क नहीं समझें. और खुले मन से खुशी-खुशी बेटियों को जन्म दें.
''मैं औरंगाबाद जिले की बारुण की रहने वाली हूं. 7 भाई-बहनों में मैं अपने पापा की तीसरी बेटी हूं. मेरे जन्म लेने के बाद परिवार वालों में मायूसी छा गई पर उनके पिता ने पढ़ा लिखा कर मुझे काबिल बनाया तब मैं डॉक्टर बनीं.''- डॉ नीलम, स्त्री रोग विशेषज्ञ, डेहरी
शगुन के रूप में देती हैं 1000 रुपए : डॉक्टर नीलम की क्लिनिक में प्रतिदिन कई महिलाओं का प्रसव होता है. ऐसे में बेटी के जन्म लेने पर खुद डॉ नीलम 1000 रुपए का शगुन देती हैं तथा क्लिनिक की तरफ से उपहार भी दिया जाता है. बताते चलें कि यह परंपरा डॉ पिछले कई सालों से करती चली आ रहीं हैं, जो अपने आप में एक मिसाल है.
''आजकल लोगों की यह सोच हो गई है कि बेटी जन्म लेगी तो काफी परेशानियां होंगी, खर्च होंगे, शादी विवाह करना होगा पर वैसे लोगों से मैं कहना चाहती हूं कि बेटी को पढ़ायें उसे आत्मनिर्भर बनाएं. हमेशा से मेरी यही अलग सोच रही है कि जिस तरह से बेटे के पैदा होने पर घर में लोग खुशियां मनाते हैं उसी तरह बेटी के भी जन्म लेने पर लोग जमकर खुशियां मनाएं, क्योंकि बेटियां लक्ष्मी होती हैं तथा इनसे कुल आगे बढ़ता है.''- डॉ नीलम, स्त्री रोग विशेषज्ञ, डेहरी
'मरीज की ऐसी विदाई नहीं देखी' : वहीं उनके साथ क्लीनिक में ही कार्य करने वाली आयुष की डॉक्टर कुमारी बबिता ईटीवी भारत से बात करते-करते भावुक हो जाती हैं. वह कहती हैं कि ''मैं खुद भी एक बेटी हूं. उन्होंने अपनी लाइफ में काफी सफर किया है. लेकिन जिस तरह से बेटियों को शगुन देकर इस क्लीनिक से विदा किया जाता है, डॉक्टर मैडम का यह प्रयास काफी सराहनीय है. इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम होगी.''
''पहली बार किसी डॉक्टर को देखा व सुना की बेटियों के पैदा होने पर शगुन देकर उन्हें विदा किया जाता है. मैं बेटी होने पर काफी खुश हूं. डॉक्टर साहिबा ने बोला कि बच्ची के अकाउंट खुलवाकर उसमें इस पैसे को जमा कर देना. भविष्य में वह काम आएगा. इस तरह से खासकर लोगों में जागरूकता फैलेगी तथा बेटे और बेटी में फर्क करना लोगों की सोच में कमी आएगी.'' - ललिता देवी, मरीज के परिजन
भ्रूण हत्या और लिंग जांच के खिलाफ हैं डॉक्टर दीदी : मरीजों के परिजन भी इस तरह का शगुन पाकर और डॉक्टर मैडम के सकारात्मक प्रयास का असर है कि लोग इस दिशा में जागरूक भी हो रहे हैं. डॉ नीलम के इस कार्य की चर्चा पूरे इलाके में जमकर हो रही है. वहीं लोगों को भी भ्रूण हत्या के खिलाफ हमेशा मोटिवेट करती रहती हैं. जिस कारण लोग इन्हें डॉ दीदी के नाम से भी जानते हैं.
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