हजारीबागः आज ईटीवी भारत की रिपोर्ट से जानें, हजारीबाग की उन सड़कों के बारे में, जिनके बारे में ऐसा कहा जाता है यहां मौत दौड़ती है. इतना ही नहीं आंकड़े भी यही दर्शाते हैं, साल 2024 के जून माह तक इन सड़कों पर 125 लोगों ने हादसों में दम तोड़ दिया.
हजारीबाग जिला की सड़क खून से लाल हो रही हैं, कहा जाए तो सड़कों पर मौत नाच रही है. शायद ही ऐसा कोई इलाका हो जहां दुर्घटना के कारण सड़क लाल नहीं हुआ हो. पुलिस रिपोर्ट और सड़क सुरक्षा विभाग के जो आंकड़े सामने आए हैं वे बेहद चिंताजनक है. इसके लिए बहुत हद तक वाहन चालकों की लापरवाही भी जिम्मेदार हैं. इसके अलावा कई जगहों पर सड़कों की बनावट भी दुर्घटना को आमंत्रण दे रही है.
हजारीबाग में यातायात नियमों का पालन नहीं करने के कारण जिले में सड़क दुर्घटना की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. पुलिस रिपोर्ट और सड़क सुरक्षा विभाग के आंकड़ों की मानें तो जिले में हर माह औसतन एनएच पर सड़क दुर्घटना में 29 लोगों की मौत होती है. वर्ष 2024 में छह माह में जिले में 173 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. इनमें 125 लोगों की मौत हुई है. इस दौरान 58 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं. वहीं, 25 लोग सामान्य रूप से घायल हुए हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े
पुलिस रिपोर्ट और सड़क सुरक्षा विभाग की मानें तो जून 2024 तक हजारीबाग में कुल 173 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. इन हादसों में 125 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. वहीं 170 लोग गंभीर हुए से घायल हुए हैं. जनवरी में 35 सड़क हादसे, 26 की मौत, 112 जख्मी, फरवरी माह में 18 हादसे, 16 की मौत, 10 लोग घायल, मार्च महीने में 26 रोड एक्सीडेंट में 22 की मौत और 7 जख्मी हुए हैं. इसी प्रकार अप्रैल माह मे 40 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें 26 की मौत और 20 जख्मी, मई में 28 सड़क हादसे, 19 की मौत और 11 घायल और जून माह में 26 रोड एक्सीडेंट में 16 लोगों की मौत हुई है, वहीं 10 लोग इन हादसों में गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं.
ये दो ब्लैक स्पॉट बन रहे काल!
जिला परिवहन विभाग ने हजारीबाग के दो स्थानों को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिह्नित किया है. जिसमें एक दनुवा घाटी है और दूसरा चरही की हत्यारिन मोड़, जहां आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती रहती हैं. जिला में पहाड़ और जंगलों से घिरी दनुआ घाटी तो मौत की घाटी के नाम से चर्चित है. 2019 में महारानी बस दुर्घटना के बाद से ही एनएचएआई (NHAI) ने सड़क में सुधार को लेकर प्रयास करने की बात कही थी. करीब आठ किलोमीटर लंबी दनुआ घाटी में पांच किलोमीटर का दायरा ऐसा है, जहां हर पांचवें दिन दुर्घटनाएं होती हैं. जिसमें किसी न किसी की मौत होती है.
इसके बावजूद जिला परिवहन विभाग की सड़क सुरक्षा विभाग ब्लैक स्पॉट की पहचान करने वाली टीम में शामिल नहीं है. परियोजना प्रमुख बताते हैं कि जीटी रोड के दनुआ भाग के सुधार के लिए विभाग काफी संवेदनशील होकर कार्य कर रहा है. दिल्ली हेड क्वार्टर से इसकी निगरानी की रही थी. मरम्मत के लिए ढाई करोड़ रुपये भी जारी किए गए थे, पर मामला जस का तस है, जिससे दुर्घटनाओं का दायरा बढ़ गया है.
आम लोग भी नहीं करते ट्रैफिक नियमों का पालन
इन दुर्घटनाओं की समीक्षा के दौरान परिवहन विभाग की टीम उपायुक्त को कारण और समाधान बताती है लेकिन आश्चर्य है कि इस पर कोई अमल नहीं होता है. एनएचएआई व एसएच विभाग के अधिकारी मौन साधे रहते हैं. विभाग की मानें तो सड़क दुर्घटना के कई कारण हैं. पहले तो आम जनता जो गाड़ी चलाती है वह ट्रैफिक नियम का पालन नहीं करती है. जहां स्पीड लिमिट किया गया है वहां अत्यधिक तेजी से गाड़ी चलाया जाता है. पेट्रोल बचाने के कारण लोग चलती गाड़ी को न्यूट्रल में डाल देते हैं. यह भी दुर्घटना का एक बड़ा कारण बनता है. आम लोगों को दुर्घटना से बचने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत बताई है.
हजारीबाग में सड़क दुर्घटना की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. यह एक चिंता का विषय भी है. कई इलाके डेंजर जोन के रूप में भी जाने जाते हैं तो कई ऐसे इलाके हैं जहां सड़क की गुणवत्ता के कारण दुर्घटना होती है. सड़क दुर्घटना के लिए आम जनता की लापरवाही भी समान रूप से जिम्मेदार है. जरूरत है हर एक व्यक्ति को संवेदनशील होने की तभी इन हादसों पर लगाम लगाया जा सकता है.
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