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खुद फौज में नहीं जा पाए तो शुरू किया ये अभियान, युवाओं को फ्री में सेना भर्ती की ट्रेनिंग देते हैं चमोली के रिंकू

Sports Department Chamoli चमोली में रिंकू सिंह नाम के एक व्यक्ति ने सराहनीय पहल की है. जिसके तहत वो उन गरीब बच्चों को फिजिकल निशुल्क ट्रेनिंग दे रहे हैं, जिनमें सेना में शामिल होकर देश सेवा का जज्बा है, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने पर वो ट्रेनिंग नहीं ले पाते हैं.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 8, 2024, 4:23 PM IST

Updated : Mar 8, 2024, 6:13 PM IST

खुद फौज में नहीं जा पाए तो शुरू किया ये अभियान

चमोली: भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा करने का सपना देखने वाले रिंकू भले अपने सपने को पूरा नहीं कर पाए हों, लेकिन आज चमोली जनपद मुख्यालय के आसपास के सैकड़ों युवाओं के सपने पूरे करने में पसीना बहा रहे हैं. वर्तमान में रिंकू के सानिध्य में ट्रेनिंग करने वाले दर्जनों युवा देश की सीमाओं पर तैनात हैं.

बता दें कि जनपद मुख्यालय के समीप पापडियाना गांव निवासी रविंद्र सिंह नेगी को रिंकू नाम से जाना जाता है. हर युवा की तरह रिंकू ने भी सीमा पर जाकर देश सेवा के लिए 2017-18 में कोशिश की, लेकिन किन्हीं कारणों से उनकी सेना में भर्ती नहीं हो पाई. ऐसे में रिंकू ने अपनी असफलता को अपनी ताकत बनाते हुए जिला मुख्यालय में रहने वाले दूर-दूर से आए युवाओं को एक प्रेरणा बनकर उन्हें निशुल्क फिजिकल ट्रेनिंग करवाई.

ट्रेनिंग देने वाले रिंकू सिंह ने बताया कि वह एक गरीब परिवार से आते हैं और ट्रेनिंग के दौरान हजारों खर्च कर पाने में असफल थे. अपनी इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने जरूरतमंद युवाओं और सेना में शामिल होकर देश सेवा का जज्बा रखने वाले युवाओं के लिए एक अकादमी खोली. जिसमें सेवानिवृत्त पोखरी निवासी संदीप सिंह के सानिध्य में सेना में भर्ती होने की बारीकियां सीखीं और युवाओं को एकत्र कर ट्रेनिंग दी. उन्होंने कहा कि आज उनके कई प्रशिक्षार्थी भारतीय सेना में अलग-अलग जगह पर देश सेवा कर रहे हैं.

रिंकू सिंह ने बताया कि अगर उन्हें स्थानीय और शासन स्तर पर संसाधन की मदद मिलती है, तो वह इससे भी बेहतरीन तरीके से अपना सर्वश्रेष्ठ देकर बच्चों को भारतीय सेना के साथ-साथ अन्य सेवा के लिए भी तैयार कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि खेल विभाग चमोली द्वारा भी इन बच्चों की समय-समय पर मदद की जाती है.

देवाल निवासी संदीप जोशी ने बताया कि उनकी घर की स्थितियां ऐसी नहीं हैं कि परिजन पढ़ाई के साथ-साथ ट्रेनिंग का खर्चा भी उठा पाएं. ऐसे में रिंकू ने निशुल्क ट्रेनिंग देकर उनकी इस समस्या का समाधान करवाया. वहीं, दशोली ब्लॉक के निजमुला निवासी विकास ने बताया कि उनके माता-पिता गांव में खेतीबाड़ी कर अपनी आजीविका चलाते हैं. जिससे केवल पढ़ाई तक ही खर्चा वहन कर सकते हैं. इसके अलावा अगर भविष्य को लेकर कहीं पर प्रशिक्षण लेना है या ट्रेनिंग करनी है तो यह संभव नहीं हो पता है, लेकिन रिंकू द्वारा शुरू की गई इस सराहनीय पहल से उन लोगों के भविष्य को सही दिशा मिल रही है.

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खुद फौज में नहीं जा पाए तो शुरू किया ये अभियान

चमोली: भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा करने का सपना देखने वाले रिंकू भले अपने सपने को पूरा नहीं कर पाए हों, लेकिन आज चमोली जनपद मुख्यालय के आसपास के सैकड़ों युवाओं के सपने पूरे करने में पसीना बहा रहे हैं. वर्तमान में रिंकू के सानिध्य में ट्रेनिंग करने वाले दर्जनों युवा देश की सीमाओं पर तैनात हैं.

बता दें कि जनपद मुख्यालय के समीप पापडियाना गांव निवासी रविंद्र सिंह नेगी को रिंकू नाम से जाना जाता है. हर युवा की तरह रिंकू ने भी सीमा पर जाकर देश सेवा के लिए 2017-18 में कोशिश की, लेकिन किन्हीं कारणों से उनकी सेना में भर्ती नहीं हो पाई. ऐसे में रिंकू ने अपनी असफलता को अपनी ताकत बनाते हुए जिला मुख्यालय में रहने वाले दूर-दूर से आए युवाओं को एक प्रेरणा बनकर उन्हें निशुल्क फिजिकल ट्रेनिंग करवाई.

ट्रेनिंग देने वाले रिंकू सिंह ने बताया कि वह एक गरीब परिवार से आते हैं और ट्रेनिंग के दौरान हजारों खर्च कर पाने में असफल थे. अपनी इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने जरूरतमंद युवाओं और सेना में शामिल होकर देश सेवा का जज्बा रखने वाले युवाओं के लिए एक अकादमी खोली. जिसमें सेवानिवृत्त पोखरी निवासी संदीप सिंह के सानिध्य में सेना में भर्ती होने की बारीकियां सीखीं और युवाओं को एकत्र कर ट्रेनिंग दी. उन्होंने कहा कि आज उनके कई प्रशिक्षार्थी भारतीय सेना में अलग-अलग जगह पर देश सेवा कर रहे हैं.

रिंकू सिंह ने बताया कि अगर उन्हें स्थानीय और शासन स्तर पर संसाधन की मदद मिलती है, तो वह इससे भी बेहतरीन तरीके से अपना सर्वश्रेष्ठ देकर बच्चों को भारतीय सेना के साथ-साथ अन्य सेवा के लिए भी तैयार कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि खेल विभाग चमोली द्वारा भी इन बच्चों की समय-समय पर मदद की जाती है.

देवाल निवासी संदीप जोशी ने बताया कि उनकी घर की स्थितियां ऐसी नहीं हैं कि परिजन पढ़ाई के साथ-साथ ट्रेनिंग का खर्चा भी उठा पाएं. ऐसे में रिंकू ने निशुल्क ट्रेनिंग देकर उनकी इस समस्या का समाधान करवाया. वहीं, दशोली ब्लॉक के निजमुला निवासी विकास ने बताया कि उनके माता-पिता गांव में खेतीबाड़ी कर अपनी आजीविका चलाते हैं. जिससे केवल पढ़ाई तक ही खर्चा वहन कर सकते हैं. इसके अलावा अगर भविष्य को लेकर कहीं पर प्रशिक्षण लेना है या ट्रेनिंग करनी है तो यह संभव नहीं हो पता है, लेकिन रिंकू द्वारा शुरू की गई इस सराहनीय पहल से उन लोगों के भविष्य को सही दिशा मिल रही है.

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Last Updated : Mar 8, 2024, 6:13 PM IST
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