सीतामढ़ीः बिहार के सीतामढ़ी में बरसों से बंद पड़े चीनी मिल को जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा. शुक्रवार को चीनी मिल के नए मालिक निरानी ने सांसद देवेश चंद्र ठाकुर के आवास पर प्रेस कांफ्रेंस कर इसकी घोषणा की. निरानी ने बताया 1 दिसंबर 2024 से रीगा चीनी मिल फिर से चालू हो जाएगा. गौरी गणेश व श्री रामचंद्र जी का नाम लेकर रीगा चीनी मिल को अपने जिम्मे लिया हूं. नए मालिक के पहुंचने के बाद इलाके के किसानों में खुशी की लहर है.
"पहले से हमारा 12 चीनी मिल चल रहा है. कर्नाटक का रहने वाला हूं. परिवार वालों ने 2000 किलोमीटर दूर चीनी मिल को चलाने के लिए मना किया था. आशा करता हूं कि हमारा यह चीनी मिल सबसे बेहतर होगा. किसानों को प्रत्येक सप्ताह गन्ने की राशि उपलब्ध कराई जाएगी."- निरानी, रीगा चीनी मिल मालिक
लोगों में खुशीः रीगा चीनी मिल के नए मालिक निरानी ने कहा सीतामढ़ी के सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने चीनी मिल को चालू करने की दिशा में पहल की है. अब जल्द ही मिल चालू कर दिया जाएगा. बता दें कि पिछले चार साल से रीगा चीनी मिल बंद है. जिस वजह से लाखों किसान और हजारों कामगार की रोजी-रोटी पर संकट आ गया था. आज मिल के नए मालिक के द्वारा पहली किस्त जमा कर दी गई है. रीगा चीनी मिल चालू होने की उम्मीद को लेकर स्थानीय लोगों में काफी खुशी है.
कंपनी का अधिग्रहण: रीगा चीनी मिल को कई वर्षों के बंद रहने के बाद नया मालिक मिल गया है. कॉर्न स्थित निरानी शुगर्स लिमिटेड ने रीगा शुगर कंपनी लिमिटेड का अधिग्रहण कर लिया है. फैक्ट्री में 5,000 टीसीडी (टन प्रति दिन) की पेराई क्षमता वाला एक चीनी प्लांट, 45 के टीसीडी (किलो किलो प्रति दिन) की डिस्टिलरी क्षमता और 11 प्लांट का सह-उत्पादन बिजली प्लांट शामिल है. इस बार ई-नीलामी की कीमत 86.50 करोड़ रुपये रही.
रीगा चीनी मिल का इतिहास : दरअसल, इस रीगा चीनी मिल का इतिहास 92 साल पुराना है. अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान बांगुर ब्रदर्स ने लखनदेई नदी के किनारे चीनी मिल बनाने का चयन किया. 1932 में इसकी स्थापना हुई. हालांकि 34 में आए भूकंप में यह ध्वस्त हो गया. इसमें काफी नुकसान हुआ.
हजारों लोगों के रोजगार का साधन : साल 1947 में भारत आजाद हुआ. 26 जनवरी 1950 को देश गणतंत्र हुआ. उसी दिन ओमप्रकाश धानुका ने इस मिल को अंग्रेजों से टेकओवर किया. उन्होंने इस 8 टन क्षमता वाली फैक्ट्री को 55 हजार टन टीसीडी क्षमता की उद्योग की श्रेणी में खड़ा कर दिया. जब यह शुगर मिल बंद हुआ था उस वक्त करीब 700 कर्मी काम करते थे. जिनमें 350 स्थाई और 350 अस्थाई कर्मचारी थे. इसके अलावा करीब 40 हजार किसानों को गन्ना मील में चालान दिया गया था.
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