रीवा : मासूम की हालत बिगड़ने पर तत्काल उसे प्रयागराज के लिए रेफर किया गया लेकिन हालत गम्भीर होने के चलते उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. बेटे की मौत के बाद परिजनों का आरोप है कि झोलाछाप डॉक्टरों ने एक के एक के बाद एक लगातार ग्लूकोज के 7 बॉटल का डोज दे दिया, जिससे उसकी मौत हो गई. वहीं घटना के बाद से ही दोनों डॉक्टर क्लिनिक बंद करके फरार हैं.
क्या है पूरा मामला?
मामला रीवा जिले की त्यौंथर तहसील के ग्राम चौरा नानकार गांव का है. यहां पर रहने वाले मकबूल अहमद के 10 वर्षीय बेटे शाजिद अहमद की तबीयत रविवार को खराब हुई थी. उसे उल्टी दस्त की शिकायत थी, जिसके बाद परिजन उसे पास के ही गांव में स्थित एक झोलाछाप डॉक्टरों के क्लीनिक पर ले गए. इसके बाद यहां पर उसका इलाज शुरू हुआ. पहले मरीज के परिजनो से 250 रु वसूले गए इसके बाद 1200 का चार्ज लिया गया. इलाज हुआ पर मासूम को कोई राहत नहीं मिली और उल्टा उसकी हालत बिगड़ने लगी.
6 घंटे में 7 बॉटल ग्लूकोज चढ़ाई
परिजनों का आरोप है कि बेटे की तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टर ने रात 3 बजे से सुबह 9 बजे के दरमियान एक के बाद एक लगातार 7 बॉटल ग्लूकोज के चढ़ा दिए. इसके कुछ देर बाद ही बच्चे की हालत बिगड़ गई उसके मुंह और मुंह और नाक से खून निकलने लगा. यह सब देखकर झोलाछाप के हाथ पांव फूल गए उसने तत्काला वाहन की व्यवस्था की और मरीज को प्रयागराज भेज दिया. परिजन बच्चे को लेकर प्रयागराज गए लेकिन रास्ते में उसकी हालत और बिगाड़ गई, जिसके बाद उसने दम तोड दिया.
क्लिनिक बंद कर फरार हुए झोलाछाप डॉक्टर
10 वर्षीय बालक की मौत के बाद परिजन उसे लेकर वापस लौटे और क्लिनिक में उपस्थित दो झोलाछाप डॉक्टर जय साहू सहित और एक अन्य पर गलत इलाज करने के आरोप लगाए. उनका कहना है कि गलत तरीके से इलाक करने पर उनके मासूम की जान चली गई. परिजनो ने दोनों झोलाछाप के विरुद्ध सुहागी थाने में शिकायत दर्ज कराई है. पुलिस ने मामले की जांच शुरू करते हुए 10 वर्षीय मासूम के शव को पीएम के लिए अस्पताल भेज दिया. वहीं घटना के बाद से दोनो डॉक्टर क्लिनिक बंद करके फरार हैं, जिनकी खोज की जा रही है.
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इस मामले में जब मुख्य जिला चिकित्सा स्वास्थ अधिकारी संजीव शुक्ला से घटना की जानकारी के लिए फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया.