अलवर : सिलीसेढ़ के पास स्थित सीराबास गांव में वन विभाग की टीम ने मंगलवार सुबह एक पैंथर को ट्रेंकुलाइज कर इलाज के लिए बायोलॉजिकल पार्क जयपुर भिजवाया. स्वस्थ होने पर पैंथर को फिर इसी क्षेत्र में छोड़ा जाएगा. ट्रेंकुलाइज करने से पहले पैंथर ने गांव के एक बाड़े में बंधी दो बकरियों का शिकार किया. आबादी क्षेत्र में पैंथर आने के कारण ग्रामीणों ने उसे घेर लिया, जिससे वह घायल हो गया. वन विभाग की ओर से ग्रामीणों को बकरियों के शिकार का मुआवजा दिया जाएगा.
पैंथरों और टाइगर का मूवमेंट : वन विभाग के डीएफओ राजेन्द्र हुड्डा ने बताया कि सुबह सीराबास में पैंथर आने की सूचना मिली थी, इस पर विभाग के चिकित्सक एवं वनकर्मियों की टीम को वहां भेजा गया. टीम ने पैंथर को ट्रेंकुलाइज कर इलाज के लिए बायोलॉजिकल पार्क भिजवाया. देखने में पैंथर बीमार और घायल लग रहा था. पैंथर की उम्र 12-13 साल है. उन्होंने बताया कि सरिस्का में पैंथरों की संख्या देश में सबसे ज्यादा है. यह गांव सरिस्का क्षेत्र में आता है और यहां पैंथरों और टाइगर का मूवमेंट रहता है. अभी यहां एक टाइगर और उसके दो शावकों का मूवमेंट भी है.
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5 गांवों का विस्थापन हो चुका है : डीएफओ ने कहा कि ग्रामीणों को बकरियों के शिकार से हुए नुकसान का नियमानुसार मुआवजा दिया जाएगा. सरिस्का में कुल 29 गांव बसे हैं, इनमें से 11 गांव कोर एरिया में हैं. कोर एरिया में बसे 5 गांवों को विस्थापन हो चुका है, शेष गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया जारी है. ग्रामीणों को वन्यजीवों के साथ अच्छा व्यवहार रखना चाहिए. वन्यजीवों की ओर से आबादी क्षेत्र में नुकसान करने पर सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाता है.
दरअसल, सरिस्का क्षेत्र के सिलीसेढ़ स्थित गांव सीराबास में सोमवार रात को जंगल से निकल कर पैंथर पहुंच गया. पैंथर ने वहां एक बाड़े में बंधी दो बकरियों का शिकार भी किया. पैंथर गांव में कोई जन व पशुहानि नहीं करे, इसके चलते ग्रामीणों ने पैंथर को घेर लिया और वन विभाग को इसकी सूचना दी. बाद में मंगलवार सुबह वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और ग्रामीणों के सहयोग से पैंथर को ट्रेंकुलाइज कर पिंजरे में डालकर बायोलॉजिकल पार्क के लिए रवाना किया. वहां पैंथर का इलाज किया जाएगा.