जयपुर : राजस्थान रेरा प्राधिकरण ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि यदि किसी प्रोजेक्ट को पूर्णता प्रमाण पत्र नहीं मिला है, तो रेरा के पास आवंटियों की शिकायतों को सुनने और उन्हें राहत देने का अधिकार है. रेरा ने यह भी कहा कि केवल जयपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी (जेडीए) द्वारा किसी प्रोजेक्ट के प्लॉट्स पर पट्टे जारी कर दिए जाने से वह प्रोजेक्ट रेरा रजिस्ट्रेशन से बाहर नहीं हो सकता. यह आदेश रेरा के सदस्य सुधीर कुमार शर्मा ने आवंटी दामोदर लाल सैनी और अन्य की शिकायतों पर सुनवाई करते हुए दिया.
आवंटी के अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल के अनुसार दामोदर लाल सैनी ने साल 2014 में "यूनिक सिटी" में एक विला बुक कराया था. बिल्डर ने उन्हें आश्वासन दिया था कि पूरी योजना को 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा और आवंटी को विला का कब्जा दे दिया जाएगा, लेकिन बिल्डर ने वादा पूरा नहीं किया और न ही योजना को पूरा किया, जिसके कारण आवंटी ने 2022 में रेरा में शिकायत दर्ज कराई.
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बिल्डर ने दिए ये तर्क : इसके जवाब में बिल्डर ने दावा किया कि यह प्रोजेक्ट रेरा के क्षेत्राधिकार में नहीं आता, क्योंकि संबंधित निकाय द्वारा टाउनशिप योजना के प्लॉट्स के आवंटन पत्र या पट्टे जारी किए गए हैं. बिल्डर का कहना था कि रेरा नियमों के अनुसार यदि इस प्रकार की योजना में प्लॉट्स के आवंटन की प्रक्रिया शुरू हो गई है, तो वह रेरा के दायरे में नहीं आती. इसके अलावा बिल्डर ने यह भी बताया कि यूनिक सिटी को दो चरणों में विकसित किया जा रहा था और पहले चरण (फेज 1) को रेरा के तहत पंजीकरण की आवश्यकता नहीं थी.
रेरा प्राधिकरण ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह निर्णय लिया कि यदि किसी योजना के बारे में सक्षम प्राधिकरण द्वारा पूर्णता प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है, तो वह प्रोजेक्ट रेरा के क्षेत्राधिकार में आता है. इसके अलावा बिल्डर ने आवंटी को यह जानकारी नहीं दी थी कि टाउनशिप दो चरणों में बनाई जा रही है. आवंटी को एक ही योजना के तहत विला बेचने का दावा किया गया था. रेरा ने यह भी स्पष्ट किया कि नियम 4 में दी गई छूट केवल प्लॉट्स के लिए है, विला के लिए नहीं. रेरा ने बिल्डर को आदेश दिया कि वह आवंटी को पूरी राशि ब्याज सहित वापस करे और यूनिक सिटी के पहले चरण को रेरा के समक्ष पंजीकृत कराए.