रांची: भारतीय जनता पार्टी टिकट नहीं मिलने से बागी हुए अपने नेताओं को मनाने में लगातार जुटी हुई है. भाजपा की ये कोशिशें साकार होती हुई दिख रही है. हिमंता बिस्वा सरमा के समझाने के बाद अब अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष कमलेश राम ने अपना नामांकन वापस लेने का फैसला वापस ले लिया है.
दरअसल, असम के मुख्यमंत्री और भाजपा के विधानसभा चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा कल कांके में अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष कमलेश राम के घर गए. हिमंता ने कांके विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल करने वाले कमलेश राम को करीब डेढ़ घंटे तक समझाया और कहा कि राज्य में भाजपा की सरकार बनाने और मौजूदा जनविरोधी सरकार से मुक्ति पाने के लिए आपका त्याग जरूरी है. कांके की जनता के हित में जो भी जरूरी काम होगा, उसे पूरा किया जाएगा.
हिमंता के समझाने के बाद आज कमलेश राम ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित किया और अपना नामांकन वापस लेने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि झारखंड को बनाना है तो बिखरना नहीं है. उन्होंने राज्य के हित में त्याग करने का फैसला किया है. भाजपा ही एकमात्र पार्टी है जो राज्य को विकास के पथ पर आगे ले जा सकती है. वर्तमान सरकार जिस तरह से घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है, उससे झारखंडी अस्मिता खतरे में है, ऐसे में वह वर्तमान सरकार को उखाड़ फेंकने का काम करेंगे.
कमलेश राम ने कहा कि हिमंता बिस्वा सरमा ने भरोसा दिलाया है कि अगर राज्य में भाजपा की सरकार बनती है तो कांके के बुढ़मू में डिग्री कॉलेज और टेक्सटाइल कंपनी खोली जाएगी. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार में मंत्री इरफान अंसारी ने जिस तरह से एक आदिवासी महिला के खिलाफ बयानबाजी की है, वह शर्मनाक है.
दरअसल, भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष कमलेश राम भी कांके विधानसभा सीट से टिकट पाना चाहते थे, लेकिन जब पार्टी ने पूर्व विधायक डॉ जीतू चरण राम को उम्मीदवार बनाया तो कमलेश राम ने बगावत कर दी और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया. हिमंता बिस्वा सरमा के समझाने के बाद वह मान गए हैं और अपना नामांकन वापस ले लेंगे.
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