रतलाम. झाबुआ-रतलाम लोकसभा सीट पर मतदान संपन्न हो चुका है. यहां मध्य प्रदेश के तीन कैबिनेट मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी. मतदान प्रतिशत के फाइनल आंकड़े सामने आने के बाद इस संसदीय क्षेत्र में बनाए गए मध्य प्रदेश के तीनों कैबिनेट मंत्री अमित शाह के मतदान प्रतिशत फॉर्मूले में पिछड़े नजर आए हैं. माना जा रहा है कि जिन सीटों या संसदीय क्षेत्रों में मंत्री वोट पर्सेंटेज बढ़ाने में पीछे रहे हैं, उन्हें लेकर पार्टी कड़े फैसले भी ले सकती है.
2019 के मुकाबले कम वोटिंग पर्सेंटेज
बता दें कि रतलाम झाबुआ लोकसभा सीट पर इस बार 72.5% मतदान हुआ है. जो 2019 के मुकाबले ढाई प्रतिशत कम है. वन मंत्री नागर सिंह के विधानसभा क्षेत्र अलीराजपुर में 68.6 प्रतिशत वोटिंग हुई है. वहीं महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया के विधानसभा क्षेत्र पेटलावद में 72.8 प्रतिशत और एमएसएमई मंत्री चेतन्य काश्यप के क्षेत्र रतलाम शहर में 71.3 प्रतिशत मतदान हुआ है, जो कि लोकसभा क्षेत्र के औसत से कम है.
तो क्या मंत्रियों का भविष्य खतरे में?
दरअसल, मध्य प्रदेश में मतदान प्रतिशत बढ़ाने का फॉर्मूले देते समय अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया था कि मंत्रियों का भविष्य उनके क्षेत्र में होने वाली वोटिंग तय करेगी. इसके बाद अब जब रतलाम झाबुआ क्षेत्र के तीनों कैबिनेट मंत्रियों के क्षेत्र में मतदान प्रतिशत औसत से कम रहा है तो सवाल उठने लगे हैं कि क्या इन तीनों मंत्रियों का भविष्य खतरे में है? क्या पार्टी इन मंत्रियों के खिलाफ सचमुच एक्शन लेगी?
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लोकसभा परिणामों के बाद होंगे बड़े बदलाव?
खासबात यह है कि कांग्रेस के दबदबे वाली रही इस सीट को जीतने की विशेष रणनीति के तहत ही संसदीय क्षेत्र में आने वाले रतलाम, झाबुआ और अलीराजपुर जिले से एक-एक विधायक को मंत्री बनाया गया था. वन मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता नागर को यहां से भाजपा ने उम्मीदवार बनाया था. बता दें कि लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को आने हैं. इसके बाद मध्यप्रदेश सरकार में बड़े फेरबदल देखने को मिल सकते हैं.