रांचीः वेटनरी कॉलेज रांची के छात्रों ने मंगलवार को कॉलेज में ताला जड़ दिया है. छात्र अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने आरोप लगाया है कि सरकार उनके साथ दिहाड़ी मजदूरों से भी बुरा व्यवहार कर रही है. वहीं विश्वविद्यालय की तरफ से सिर्फ आश्वासन दिया जाता है.
स्टाइपेंड राशि बढ़ाने की मांग
छात्रों ने कहा कि इस बार मात्र 400 रुपये प्रति माह स्टाइपेंड देने का ऑफर दिया गया है. छात्रों का कहना है कि इस हिसाब से प्रतिदिन के मात्र 13 रुपये होते हैं. जबकि दिहाड़ी मजदूर भी इससे ज्यादा कमाते हैं. लिहाजा, प्रतिमाह कम से कम इंटर्नशिप स्टाइपेंड 15 हजार रुपये प्रति माह दिया जाए. इस दौरान छात्रों ने बताया कि 2016 बैच के स्टूडेंट्स को इंटर्नशिप राशि नहीं दी गई थी.
इस दौरान छात्रों ने बताया कि पश्चिम बंगाल में 20 हजार रुपये प्रति माह, बिहार में 17 हजार रुपये प्रति माह, केरल में 20 हजार रुपये प्रति माह, बीएचयू में 23,500 रुपये प्रति माह, छत्तीसगढ़ में 13 हजार रुपये स्टाइपेंड दिए जाते हैं.
फेलोशिश राशि पर भी उठाए सवाल
रांची वेटरनरी कॉलेज के छात्रों ने कहा कि यहां पीजी के छात्रों को फेलोशिप के तौर पर 1500 रुपये दिए जाते हैं. छात्रों ने कहा कि फेलोशिप की राशि बढ़ाकर कम से कम 8,500 रुपये किया जाए. छात्रों ने बताया कि पूर्व में 2015 तक सेमेस्टर सिस्टम था. तब छह माह का इंटर्नशिप होता था और उसी हिसाब से भत्ता मिलता था. लेकिन 2016 से साढ़े पांच साल का कोर्स और एक साल का इंटर्नशिप का प्रावधान किया गया है. 2016 बैच का इंटर्नशिप कोविड के समय आया था. इसलिए उनका रिवाइज नहीं हो पाया. अभी आईसीएआर के जरिए 3000 रुपये छह माह के लिए प्रति माह मिल रहा है. जबकि एक साल तक मिलना चाहिए.
छात्रों ने भेदभाव का लगाया आरोप
रांची वेटरनरी कॉलेज के छात्रों ने कहा कि हम आठ घंटे ड्यूटी करते हैं, लेकिन हम लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है. ऐसे में घर से पैसा मांगना पड़ता है. लिहाजा, पड़ोसी राज्यों के इंटर्नशिप सिस्टम का अध्ययन किया जाना चाहिए. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची प्रबंधन की लापरवाही का हवाला देते हुए छात्रों का कहना है कि मजबूर होकर ओपीडी को बंद करना पड़ा है. फिलहाल, छात्रों के आंदोलन को समाप्त कराने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है.
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