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सच हुई कड़िया मुंडा की कही बात, पहले ही कहा था भाई प्रेम के कारण होगी हार

खूंटी में 25 साल से जीतते आ रहे भाजपा के नीलकंठ सिंह मुंडा चुनाव हार गए. जिसकी भविष्यवाणी कड़िया मुंडा ने पहले कर दी थी.

NILKANTH IS RESPONSIBLE FOR BJPS DEFEAT IN KHUNTI: KARIA MUNDA
पूर्व सांसद कड़िया मुंडा (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 3 hours ago

खूंटीः जिले की खूंटी विधानसभा सीट भाजपा का अभेद्य किला माना जाता था, जिसपर सेंधमारी कर झामुमो ने इतिहास रच दिया. झारखंड गठन के बाद से लगातार भाजपा के नीलकंठ सिंह मुंडा विधायक बने रहे, लेकिन 2024 के विधानसभा चुनाव में वोटरों ने ऐसी करवट ली कि भाजपा का बना बनाया किला ही ध्वस्त हो गया और झामुमो के नए प्रत्याशी राम सूर्या मुंडा ने सीट पर कब्जा कर लिया. जबकि तोरपा में भी सीटिंग विधायक कोचे मुंडा को झामुमो के सुदीप गुड़िया ने हरा दिया.

खूंटी लोकसभा सीट पर 45 वर्षों तक सांसद रहे पद्मभूषण कड़िया मुंडा ने चुनाव परिणाम से पहले ईटीवी भारत को दिए बयान में खुलासा किया था कि नीलकंठ सिंह मुंडा ने 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने बड़े भाई कालीचरण मुंडा को जिताने में मदद की थी, जिसके कारण लोगों में नाराजगी बढ़ी.

पूर्व सांसद कड़िया मुंडा से बात करते संवाददाता सोनू अंसारी (Etv Bharat)

उन्होंने कहा कि हमने 50 साल तक घसीटते घसीटते पार्टी को यहां लाकर इस मजबूती से खड़ा किया है कि कोई भी यह सीट जीत जाता. नीलकंठ सिंह मुंडा जो पहले जीत चुके हैं, वह संगठन के कारण ही जीते थे क्योंकि संगठन मजबूत है. इसलिए लोग कहते है कि नीलकंठ को वोट नही देंगे भाजपा को वोट देंगे. इस बार जो कुछ वोट उन्हें मिले हैं वह संगठन के कारण ही मिले हैं.

बताते चले कि खूंटी विधानसभा सीट से पहली बार झामुमो ने जीत हासिल कर अपना खूंटा, खूंटी में गाड़ दिया. यहां लगातार 25 साल से भाजपा के नीलकंठ सिंह मुंडा का राज था लेकिन इस बार वह जीत का छक्का लगाने से चूक गये. खूंटी में झामुमो ने कभी भी जीत हासिल नहीं की. वर्ष 2009 में झामुमो से मसीह चरण पूर्ति ने नीलकंठ सिंह मुंडा को कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन जीत हासिल नहीं कर सके थे. तब झामुमो महज 436 मतों से पिछड़ गया था. तब नीलकंठ सिंह मुंडा को 32067 और झामुमो को 31631 मत मिले थे.

वर्ष 2014 में भी झामुमो दूसरे स्थान पर रह गया था. तब नीलकंठ सिंह मुंडा को 47032 और झामुमो प्रत्याशी जीदन होरो को 24413 मत मिले थे. वहीं, 2019 में भी झामुमो पीछे रह गया था. तब भाजपा से नीलकंठ सिंह मुंडा को 59198 और झामुमो से सुशील पहान को 32871 मत हासिल हुए थे. भाजपा से पहले खूंटी में कांग्रेस की पकड़ रही. भाजपा के नीलकंठ सिंह मुंडा ने वर्ष 2000 में कांग्रेस की दिग्गज सुशीला केरकेट्टा को पराजित कर जीत हासिल की. उसके बाद वह लगातार जीतते रहे लेकिन आखिर में 2024 में उन्हें 42053 मतों से हारना पड़ा.

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खूंटीः जिले की खूंटी विधानसभा सीट भाजपा का अभेद्य किला माना जाता था, जिसपर सेंधमारी कर झामुमो ने इतिहास रच दिया. झारखंड गठन के बाद से लगातार भाजपा के नीलकंठ सिंह मुंडा विधायक बने रहे, लेकिन 2024 के विधानसभा चुनाव में वोटरों ने ऐसी करवट ली कि भाजपा का बना बनाया किला ही ध्वस्त हो गया और झामुमो के नए प्रत्याशी राम सूर्या मुंडा ने सीट पर कब्जा कर लिया. जबकि तोरपा में भी सीटिंग विधायक कोचे मुंडा को झामुमो के सुदीप गुड़िया ने हरा दिया.

खूंटी लोकसभा सीट पर 45 वर्षों तक सांसद रहे पद्मभूषण कड़िया मुंडा ने चुनाव परिणाम से पहले ईटीवी भारत को दिए बयान में खुलासा किया था कि नीलकंठ सिंह मुंडा ने 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने बड़े भाई कालीचरण मुंडा को जिताने में मदद की थी, जिसके कारण लोगों में नाराजगी बढ़ी.

पूर्व सांसद कड़िया मुंडा से बात करते संवाददाता सोनू अंसारी (Etv Bharat)

उन्होंने कहा कि हमने 50 साल तक घसीटते घसीटते पार्टी को यहां लाकर इस मजबूती से खड़ा किया है कि कोई भी यह सीट जीत जाता. नीलकंठ सिंह मुंडा जो पहले जीत चुके हैं, वह संगठन के कारण ही जीते थे क्योंकि संगठन मजबूत है. इसलिए लोग कहते है कि नीलकंठ को वोट नही देंगे भाजपा को वोट देंगे. इस बार जो कुछ वोट उन्हें मिले हैं वह संगठन के कारण ही मिले हैं.

बताते चले कि खूंटी विधानसभा सीट से पहली बार झामुमो ने जीत हासिल कर अपना खूंटा, खूंटी में गाड़ दिया. यहां लगातार 25 साल से भाजपा के नीलकंठ सिंह मुंडा का राज था लेकिन इस बार वह जीत का छक्का लगाने से चूक गये. खूंटी में झामुमो ने कभी भी जीत हासिल नहीं की. वर्ष 2009 में झामुमो से मसीह चरण पूर्ति ने नीलकंठ सिंह मुंडा को कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन जीत हासिल नहीं कर सके थे. तब झामुमो महज 436 मतों से पिछड़ गया था. तब नीलकंठ सिंह मुंडा को 32067 और झामुमो को 31631 मत मिले थे.

वर्ष 2014 में भी झामुमो दूसरे स्थान पर रह गया था. तब नीलकंठ सिंह मुंडा को 47032 और झामुमो प्रत्याशी जीदन होरो को 24413 मत मिले थे. वहीं, 2019 में भी झामुमो पीछे रह गया था. तब भाजपा से नीलकंठ सिंह मुंडा को 59198 और झामुमो से सुशील पहान को 32871 मत हासिल हुए थे. भाजपा से पहले खूंटी में कांग्रेस की पकड़ रही. भाजपा के नीलकंठ सिंह मुंडा ने वर्ष 2000 में कांग्रेस की दिग्गज सुशीला केरकेट्टा को पराजित कर जीत हासिल की. उसके बाद वह लगातार जीतते रहे लेकिन आखिर में 2024 में उन्हें 42053 मतों से हारना पड़ा.

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