राजगढ़। इस्लामिक माह रमजानुल मुबारक के मौके पर एक और जहां इस्लाम धर्म का अनुसरण करने वाले मुस्लिम धर्म के लोग रोजा रखते हैं. साथ ही अपनी इबादत में इजाफा करते हुए पूरे माह 20 रकात तरावीह की नमाज (नमाज की प्रक्रिया की गिनती) अदा करते हैं. रमजान में तरावीह की बहुत फजीलत होती है. इसे पढ़ने से रोजेदार को बहुत सवाब मिलता है. यह 20 रकात की नमाज होती है और तरावीह की नमाज को 2-2 रकात करके पढ़ा जाता है. Taraweeh Ki 10 Surah
चांद दिखने के साथ ही शुरु होगा तरावीह का दौर
दरअसल मार्च माह की 10 या 11 तारीख को रमजानुल मुबारक का चांद देर शाम को नजर आने का अनुमान है. उसके बाद से ही रमजान माह की तारीख शुरू हो जाएगी और रोजे से पहले ही शुरू होता है तरावीह की नमाज का दौर. जिसे मुस्लिम धर्मावलंबी ईशा की फर्ज (जरूरी) नमाज के बाद अदा करते हैं. जिसमें ईशा की नमाज के अलावा अतरिक्त 20 रकात की नमाज शामिल है और इस नमाज में कुरआन को गोरोफिक्र (ध्यान) से सुना व पड़ा जाता है. ये सिलसिला रमजान के चांद से शुरू होकर आगामी माह का चांद नजर आने तक जारी रहता है.
रमजान में ही पढ़ते हैं तरावीह
ईटीवी भारत से फोन पर बात करते हुए राजगढ़ की मदरसा मस्जिद के पूर्व पेश इमाम आलिम सलीम बताते हैं कि ''रमजान में इबादत में इजाफा अपनी जगह है, लेकिन बहुत सारी इबादत महीनों के साथ मखसूस (खास) है. जैसे तरावीह हम रमजान के अलावा दूसरे महीने में नहीं पड़ सकते, जैसे की हज के दिनों के अलावा दूसरे माह में हज नहीं होता, उसी तरह से तरावीह की नमाज खास तौर से रमजान में अदा की जाती है. क्योंकि इसी माह में कुरआन ए करीम नाजिल हुआ है.''
तरावीह पढ़ना सुन्नत है
इसी माह में कुरआन सुनना और पढ़ना ज्यादा मखसूस (खास) है, क्योंकि इसी माह में अल्लाह के रसूल (पैगंबर साहब) ने तरावीह पढ़ी है. इसलिए इस्लाम धर्म का अनुसरण करने वाले रमजान माह में तरावीह के माध्यम से कुरआन को सुनते हैं और पढ़ते भी हैं. इसमें दो चीजे हैं, तरावीह की 20 रकात नमाज पढ़ना एक अलग सुन्नत (पैगंबर द्वारा दी गई शिक्षा) है, और कुरआन का सुनना एक अलग सुन्नत है. पूरे महीने में 20 रकात तरावीह की नमाज का इजाफा है, जिसे इस्लाम धर्म का अनुसरण करने वाले मुस्लिम धर्मावलंबी अदा करते हैं.