सासाराम: लोकसभा चुनाव के खत्म होने के बाद अब बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से ही राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गए हैं. ऐसे में राजनीतिक भागीदारी और सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर भारतीय विश्वकर्मा महासंघ ने भी अपने समाज को एकजुट करना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में रविवार को जिले के डेहरी में भारतीय विश्वकर्मा महासंघ का एक दिवसीय जिला कार्यकर्त्ता सम्मेलन संपन्न हुआ.
डेहरी में भारतीय विश्वकर्मा महासंघ की बैठक: कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय विश्वकर्मा महासंघ के दीप नारायण शर्मा और संचालन संजय शर्मा ने किया. कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वकर्मा समाज के इष्टदेव भगवान विश्वकर्मा के तैल्य चित्र पर पुष्प अर्पित कर और दीप प्रज्वलित कर किया गया. सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारतीय विश्वकर्मा महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकुल आनंद ने कहा कि भारतीय विश्वकर्मा महासंघ द्वारा सम्पूर्ण बिहार में जन सम्पर्क अभियान चलाया जा रहा है, ताकि विश्वकर्मा वंशज जागरूक होकर एकजुट हो सके.
"आज विश्वकर्मा समाज के बुनियादी मुद्दों का समाधान करने की आवश्यकता है. विश्वकर्मा समाज के नौजवानों को अब नौकरी और रोजगार चाहिए. समाज के लोग जब तक एमपी, एमएलए नहीं बनेंगे, तब तक विश्वकर्मा समाज के अधिकारों का हनन होता रहेगा. अगले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी गणतांत्रिक समाज पार्टी के बैनर तले प्रदेश के हरेक विधानसभा सीट पर अपने प्रत्याशी खड़े कर उन्हें जिताने का काम करेंगे." - मुकुल आनंद, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय विश्वकर्मा महासंघ
पटना में 25 सितंबर को विश्वकर्मा महासंघ की रैली: मुकुल आनंद ने सरकार से विश्वकर्मा वंशजों जिनमें शामिल सोनार, कुम्हार, लोहार, कसेरा-ठठेरा और बढ़ई सहित शिल्पकारों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग की. उन्होंने बताया कि विश्वकर्मा समाज की आबादी 9 प्रतिशत होने के बावजूद आज तक यह समाज राजनीतिक शैक्षणिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है. 99 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं. उन्होंने कहा कि 25 सितंबर को पटना के गांधी मैदान में विशाल रैली आयोजित की जाएगी, जिससे समाज के लोगो को राजनीतिक रूप से आगे बढ़ाया जा सके. गणतांत्रिक समाज पार्टी की तरफ से हर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार को लड़ाया जाएगा.
क्या बोलीं महिला प्रदेश अध्यक्ष?: वहीं, भारतीय विश्वकर्मा महासंघ की महिला प्रदेश अध्यक्ष सुजाता शर्मा ने समाज की एकता पर बल देते हुए कहा कि किसी भी समाज की शक्ति उस समाज के संगठन पर निर्भर करता है. उन्होंने कार्यकर्त्ताओं से ज्यादा से ज्यादा युवाओं और महिलाओं को संगठन से जोड़ने की बात कही.