राजगढ़ (अब्दुल वसीम अंसारी): जिला मुख्यालय से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हिम्मतगढ़ गांव में मुहम्मद अजहर बच्चों को दीनी तालीम देते हैं. खास बात ये है कि मुहम्मद अजहर को पूरी तरह से दिखाई नहीं देता है. इसके बावजूद उन्होंने हौसला नहीं हारा और बिना देखे कुरान याद किया. इसके बाद अब वे बच्चों को पढ़ा भी रहे हैं.
कड़ी मशक्कत कर कुरान याद किया
अजहर सिर्फ दिन का उजाला और रात का अंधेरा ही महसूस कर पाते हैं, लेकिन उन्होंने अपनी इस बीमारी को अपने आप पर हावी नहीं होने दिया. मुहम्मद अजहर ने मक्सी मदरसे में कड़ी मशक्कत के बाद पूरा कुरान याद किया और अब हिम्मतगढ़ गांव में स्थित मस्जिद में नमाज पढ़ाते हैं. इसके साथ ही वे बच्चों को दीनी तालीम देकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं.
करीब 4 साल में कुरान हिफ्ज किया
ईटीवी भारत ने हिम्मतगढ़ गांव में पहुंचकर हाफिज ए कुरान अजहर से मुलाकात की. अजहर बताते है कि "मैं मां के पेट से ही ऐसा हूं. मुझे सिर्फ अंधेरा और उजाला ही महसूस होता है. मेरा एक भाई और बहन भी इसी बीमारी से ग्रसित है. मैंने मक्सी मदरसे में रहकर पढ़ाई की है. मेरे उस्ताद मुझे रोज मगरिब की नमाज के बाद कुरान याद कराते थे. ऐसे करके मैंने 4 साल में पूरा कुरान हिफ्ज (बगैर देखे याद) किया. इसके बाद गांव के बच्चों को यहां तालीम दे रहा हूं." उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में गणतंत्र दिवस आने वाला है. उसकी तैयारियां भी बच्चों को कराई जा रही है.
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नेत्र रोग विशेषज्ञ ने क्या कहा
इस बीमारी के बारे में राजगढ़ जिला अस्पताल में पदस्थ नेत्र रोग विशेषज्ञ प्रियंका यादव ने बताया कि, ''ये एक जेनेटिक्स प्रॉब्लम होती है. इस बीमारी को स्टरगर्ड्ट रोग (Hereditary Macular Dystrophy, Stargardt Disease) कहते हैं. आंख में मौजूद मेक्यूला के कारण हम देख पाते हैं. कुछ लोगों की आंखों में ये हिस्सा ठीक तरीके से ग्रोथ नहीं कर पाता जिससे समस्या होती है. एंटी ऑक्सीडेंट टैबलेट देकर इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है.''
डॉ. प्रियंका यादव बताती हैं कि, ''ये बहुत ही रेयर बीमारी है. लगभग 1 प्रतिशत बच्चों में ही यह पाया जाता है. लेकिन यदि फैमिली में किसी को इस तरह की प्रॉब्लम है तो क्लोज फैमिली के बीच रिश्ता करने से भी परहेज करना चाहिए. क्योंकि कमजोर वाले दोनों जींस के मिलने से बच्चे में इस बीमारी के पनपने के चांस और भी बढ़ जाते हैं.''