जयपुर: एसआई परीक्षा में पेपर लीक का खुलासा होने के बाद एक तरफ जहां परीक्षा रद्द करने या नहीं करने के बारे में फैसला लेने के लिए सरकार ने 6 मंत्रियों की एक समिति का गठन किया है. वहीं, दूसरी तरफ परीक्षा में शामिल हुए अभ्यर्थी इस परीक्षा को ही निरस्त करने की मांग करते हुए सोमवार को सड़कों पर उतरे. अभ्यर्थियों का आरोप है कि आरपीएससी सदस्यों की संलिप्तता होने के चलते हजारों अभ्यर्थियों के पास एसआई भर्ती का पेपर पहुंचा था. जो सेलेक्ट हुए अभ्यर्थी हैं, उनमें से 50 फीसदी से भी कम अभ्यर्थी वास्तविक हैं. ऐसे में ये भर्ती परीक्षा रद्द होनी चाहिए.
एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर सोमवार को अभ्यर्थी राजस्थान विश्वविद्यालय पहुंचे. हालांकि, यहां पुलिस प्रशासन और विश्वविद्यालय प्रशासन में उन्हें प्रोटेस्ट नहीं करने दिया. इसके बाद अभ्यर्थियों ने विश्वविद्यालय से कुछ कदम दूर एक बस स्टॉप शेड के नीचे प्रोटेस्ट किया. यहां आंदोलनरत अभ्यर्थियों ने कहा कि पूरा राजस्थान इस भर्ती के बारे में जानता है. ये जग जाहिर हो चुका है कि भर्ती परीक्षा के दौरान हुई सभी छह पारियों के पेपर लीक हुए हैं. आरपीएससी के जिन सदस्यों पर गोपनीयता रखने की जिम्मेदारी थी, वही इसमें संलिप्त पाए गए हैं.
कोर्ट की भी गाइडलाइन है कि यदि किसी भर्ती परीक्षा में गोपनीयता भंग होती है, तो उस परीक्षा को रद्द किया जाना चाहिए, लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने इस भर्ती को रद्द नहीं करते हुए आगे बढ़ाया. इसलिए अब राज्य सरकार से यही मांग है कि इस भर्ती को रद्द किया जाए और परीक्षा नए सिरे आयोजित करवाई जाए. अभ्यर्थियों ने तर्क दिया कि एसओजी ने रिपोर्ट पेश की, पीएचक्यू में भी इसकी अनुशंसा कर दी, विधिक राय भी ली जा चुकी है. बावजूद इसके, इस भर्ती पर फैसला लेने के बजाय सरकार ने एक कमेटी गठित कर दी, जिसमें कोई भी विषय विशेषज्ञ नहीं है. इसलिए सरकार ये कमेटी की लीपापोती बंद कर और भर्ती को लेकर सख्त फैसला ले.
वहीं, अभ्यर्थियों ने कहा कि लाइफ के महत्वपूर्ण तीन साल इसी भर्ती में जूझते हुए बीत गए और फिर सामने आया की परीक्षा का पेपर ही लीक हो गया. बावजूद इसके, कमेटी गठित करके औपचारिकता निभाई जा रही है. कमेटी में उन लोगों को शामिल किया गया है, जिन्हें इस भर्ती की नॉलेज ही नहीं है. आगामी दिनों में विधानसभा उपचुनाव है और उसके बाद कमेटी अपना फैसला सुना देगी कि भर्ती परीक्षा को निरस्त नहीं किया जा सकता. जबकि यदि ईमानदारी से जांच हो तो 859 में से मुश्किल से 400 कैंडिडेट वास्तविक निकलेंगे.
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आपको बता दें कि एसआई परीक्षा-2021 में पेपर लीक का मामला सामने आने के बाद भर्ती परीक्षा की समीक्षा के लिए 6 मंत्रियों की कमेटी बनाई गई. एसओजी की पूछताछ में सामने आया था कि परीक्षा का पेपर आरपीएससी के पूर्व सदस्य बाबूलाल कटारा ने उपलब्ध कराया था. इसके बाद रामूराम राईका ने ये पेपर अपने बेटे देवेश और बेटी शोभा को दिया था. हालांकि, अभ्यर्थियों का आरोप है कि ये पेपर करीब 2000 अभ्यर्थियों के पास पहुंचा था.
उधर, राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन ने यूनिवर्सिटी कैंपस में ये प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी. इस पर विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर प्रो. आरएन शर्मा ने बताया कि वर्तमान में एनईपी 2020 के अनुसार सेमेस्टर सिस्टम लागू हो चुका है, जिसमें हमेशा अध्ययन और परीक्षाओं का दौर रहता है. किसी भी तरह का प्रोटेस्ट होने से छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसलिए विश्वविद्यालय कैंपस में अब बाहरी समस्याओं से जुड़े प्रोटेस्ट नहीं होने देंगे और अब विश्वविद्यालय कैंपस में आईडी कार्ड बन चुके हैं. ऐसे में शिक्षक, कर्मचारी और छात्रों को ही प्रवेश दिया जाएगा.