जयपुर. प्रदेश कि भजनलाल सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी में शामिल मुस्लिम जातियों का आरक्षण खत्म कर सकती है. राजस्थान की भाजपा सरकार लोकसभा चुनाव के नतीजे का इंतजार कर रही है. दरअसल, राजस्थान में ओबीसी में शामिल मुस्लिम जातियों के आरक्षण पर संकट मंडरा रहा है. कलकत्ता हाईकोर्ट के पश्चिम बंगाल में मुस्लिम जातियों का अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण रद्द करने के बाद राजस्थान में भी मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा भड़क गया है.
प्रदेश में 14 मुस्लिम जातियां ओबीसी आरक्षण का लाभ ले रही हैं. इसे लेकर प्रदेश के सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने एक बयान जारी करके कहा है कि प्रदेश में सरकार इन जातियों के आरक्षण की समीक्षा कराएगी. फिलहाल, प्रदेश में 14 मुस्लिम जातियों को ओबीसी में आरक्षण दिया जा रहा है, जिनको कांग्रेस के समय शामिल किया गया. भाजपा की पिछली सरकारों के समय इनकी समीक्षा नहीं होने के लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं. धर्म के आधार पर यह आरक्षण संविधान के विरुद्ध है. इस बारे में उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर समीक्षा कराई जाएगी, जिसके बाद कार्रवाई होगी.
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राजस्थान में ओबीसी में 91 जाति-वर्ग शामिल हैं, जिनको आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है. प्रदेश में ओबीसी आरक्षण में मुस्लिम जातियां भी हैं, जिनमें मिरासी, मणिहारों से लेकर काठात, मेहरात, मांगणियार और सिंधी मुसलमान तक विभिन्न जातियां शामिल हैं.
ओबीसी में शामिल मुस्लिम जातियां : नगारची-दमामी (मुस्लिम), राणा (मुस्लिम), बायती (बारोट मुस्लिम), सिंधी मुसलमान, सिपाही (मुस्लिम), फकीर (कब्रिस्तान में काम करने वाले), धोबी (मुस्लिम), मेव, कायमखानी, नागौरी, भिश्ती, मांगणियार, लखेरा, मिरासी, काठात, मेहरात, चीता, घोडात, बिसायती.