भरतपुर. निर्वाचन आयोग की ओर से लोकसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता की पालना पर निगरानी रखने के लिए सी विजिल एप शुरू किया गया. भरतपुर लोकसभा क्षेत्र में इस एप पर कुल 84 शिकायतें प्राप्त हुईं, लेकिन इनमें से 55 प्रतिशत शिकायतें झूठी पाई गईं। इन झूठी शिकायतों के चलते निर्वाचन विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों की दौड़ भाग करा दी. हालांकि, इनमें से 38 शिकायतें सही भी पाई गईं, लेकिन इन सभी शिकायतों का समय रहते निस्तारण कर दिया गया.
ये है 'सी-विजिल' : असल में निर्वाचन विभाग की ओर से विधानसभा चुनावों के समय ही सी विजिल एप शुरू किया गया था. सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के उपनिदेशक पुष्पेंद्र कुंतल ने बताया कि इस एप का उद्देश्य आदर्श आचार संहिता की पालना की निगरानी करना, लोगों को जागरूक करना है. इस एप के जरिए कोई भी व्यक्ति आचार संहिता के उल्लंघन से संबंधित ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकता है.
पुष्पेंद्र कुंतल ने बताया कि इस एप पर कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान के साथ या फिर पहचान छुपा कर शिकायत कर सकता है. इसके लिए संबंधित व्यक्ति को एप पर लॉगिन करके संबंधित शिकायत का फोटो लेकर उसी लोकेशन से अपलोड करना होगा. साथ ही यदि कोई राजनीतिक पार्टी का व्यक्ति या प्रत्याशी कहीं भी शराब, पैसा, सामान आदि वितरित करता है तो उसकी भी शिकायत की जा सकती है, या फिर कहीं पर गैर कानूनी गतिविधि हो रही हो तो उसकी भी इस एप के जरिए शिकायत की जा सकती है.
ऐसे होता है निस्तारण : पुष्पेंद्र कुंतल ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति सी विजिल पर शिकायत करता है, तो शिकायत प्राप्त होते ही उसका 100 मिनट के अंदर निस्तारण करना होता है. शिकायत मिलने के बाद जिला कंट्रोल रूम से शिकायत एफएसटी को भेजनी होती है. शिकायत मिलने पर एफएसटी को 15 मिनट में शिकायत की लोकेशन पर पहुंचना होता है और उसके अगले 15 मिनट में शिकायत सही है या झूठी है, इसका पता करके रिटर्निंग ऑफिसर को अवगत कराया जाता है. शिकायत सही पाई जाने पर बाकी 60 से 65 मिनट में उसका निस्तारण करना होता है.
55 फीसदी शिकायतें झूठी : पुष्पेंद्र कुंतल ने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक कुल 84 शिकायत प्राप्त हुईं. इनमें से 38 शिकायत सही पाई गई, जिनका निर्धारित समय में निस्तारण किया गया. अधिकतर शिकायत बिना अनुमति के बैनर होर्डिंग लगाने से संबंधित पाई गईं, जबकि 46 शिकायतें झूठी पाई गईं. इन शिकायतों में अधिकतर एप की प्रोसेसिंग समझने के दौरान लोगों ने खुद की सेल्फी या कोई भी फोटो अपलोड कर दिया गया.