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कोर्ट ने कहा कि पूर्व में किसी प्रकरण में दोष मुक्त है तो सरकारी नौकरी से नहीं कर सकते वंचित - कांस्टेबल पद पर नियुक्ति के आदेश

Rajasthan High Court राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पूर्व में किसी प्रकरण में दोष मुक्त हो तो सरकारी नौकरी से वंचित नहीं कर सकते.

Rajasthan High Court,  deprived of a government job
राजस्थान हाईकोर्ट .
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 19, 2024, 7:35 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले पर जजमेंट देते हुए कहा कि किशोर अवस्था में किसी अपराध को लेकर किशोर न्यायालय ने दोषमुक्त घोषित कर दिया तो उसे पढ़ने लिखने एवं नौकरी करने का पूरा अधिकार है. पूर्व के दोष मुक्त प्रकरण के आधार पर सरकारी नौकरी से वंचित नही किया जा सकता है. जस्टिस डॉ पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता जितेन्द्र मीणा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है. साथ ही कहा कि यदि अन्यथा अयोग्य नहीं है तो याचिकाकर्ता को पुलिस कांस्टेबल पर समस्त परिलाभ के साथ नियुक्त प्रदान की जाए.

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता कैलाश जांगिड़ व मोहन सिंह शेखावत ने याचिका में बताया कि याचिकाकर्ता ने विज्ञप्ति 4 दिसम्बर 2019 के तहत पुलिस कांस्टेबल पद के लिए आवेदन किया था. आवेदन के बाद याचिकाकर्ता का चयन हो गया, लेकिन चयन आदेश के बाद 9 जुलाई 2021 को विभाग द्वारा यह कहते हुए चयन निरस्त कर दिया कि उसके विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज था. विभाग द्वारा चयन आदेश को निरस्त करने पर राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.

पढ़ेंः आदेश की पालना का इंतजार करते कर्मचारी की मौत, पत्नी की याचिका पर हाईकोर्ट ने जारी किए अवमानना नोटिस

हाईकोर्ट में अधिवक्ता जांगिड़ ने बताया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ पूर्व में किशोर अवस्था के दौरान आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया था. मामला किशोर न्यायालय में विचाराधीन था व किशोर न्यायालय ने दिनांक 05 अगस्त 2019 को प्रकरण तय कर दिया. याचिकाकर्ता को उस प्रकरण में किशोर न्यायालय ने दोषमुक्त घोषित कर दिया था. इस कारण से याचिकाकर्ता ने कांस्टेबल पद के लिए आवेदन फार्म में पूर्व में लम्बित आपराधिक प्रकरण का हवाला नहीं दिया. कोर्ट ने मामले पर सुनवाई पूरी करते हुए रिर्पोटेबल आदेश पारित करते हुए 9 जुलाई 2021 को विभाग द्वारा जारी आदेश को खारिज कर दिया. कोर्ट ने पुलिस विभाग को आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता अन्यथा अयोग्य नहीं है तो उसे समस्त लाभ सहित तीन माह में पुलिस कांस्टेबल पद पर नियुक्ति प्रदान करें.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले पर जजमेंट देते हुए कहा कि किशोर अवस्था में किसी अपराध को लेकर किशोर न्यायालय ने दोषमुक्त घोषित कर दिया तो उसे पढ़ने लिखने एवं नौकरी करने का पूरा अधिकार है. पूर्व के दोष मुक्त प्रकरण के आधार पर सरकारी नौकरी से वंचित नही किया जा सकता है. जस्टिस डॉ पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता जितेन्द्र मीणा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है. साथ ही कहा कि यदि अन्यथा अयोग्य नहीं है तो याचिकाकर्ता को पुलिस कांस्टेबल पर समस्त परिलाभ के साथ नियुक्त प्रदान की जाए.

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता कैलाश जांगिड़ व मोहन सिंह शेखावत ने याचिका में बताया कि याचिकाकर्ता ने विज्ञप्ति 4 दिसम्बर 2019 के तहत पुलिस कांस्टेबल पद के लिए आवेदन किया था. आवेदन के बाद याचिकाकर्ता का चयन हो गया, लेकिन चयन आदेश के बाद 9 जुलाई 2021 को विभाग द्वारा यह कहते हुए चयन निरस्त कर दिया कि उसके विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज था. विभाग द्वारा चयन आदेश को निरस्त करने पर राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.

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हाईकोर्ट में अधिवक्ता जांगिड़ ने बताया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ पूर्व में किशोर अवस्था के दौरान आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया था. मामला किशोर न्यायालय में विचाराधीन था व किशोर न्यायालय ने दिनांक 05 अगस्त 2019 को प्रकरण तय कर दिया. याचिकाकर्ता को उस प्रकरण में किशोर न्यायालय ने दोषमुक्त घोषित कर दिया था. इस कारण से याचिकाकर्ता ने कांस्टेबल पद के लिए आवेदन फार्म में पूर्व में लम्बित आपराधिक प्रकरण का हवाला नहीं दिया. कोर्ट ने मामले पर सुनवाई पूरी करते हुए रिर्पोटेबल आदेश पारित करते हुए 9 जुलाई 2021 को विभाग द्वारा जारी आदेश को खारिज कर दिया. कोर्ट ने पुलिस विभाग को आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता अन्यथा अयोग्य नहीं है तो उसे समस्त लाभ सहित तीन माह में पुलिस कांस्टेबल पद पर नियुक्ति प्रदान करें.

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