जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार को एक याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब नगर निगम व नगर परिषद के खिलाफ आवारा पशुओं को लेकर स्थायी लोक अदालत द्वारा पारित मुआवजा उचित रहेगा. कोर्ट ने कहा कि आवारा पशुओं की वजह से राहगीरों की मौत व चोट के मामले में रोकथाम के लिए ऐसे मामलो में मुआवजा सहायक होगा. भविष्य में ऐसी दुर्घटनाए ना हो और अधिकारियों को अपनी जिम्मेवादारी निभाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
जस्टिस विनित कुमार माथुर की एकलपीठ में नगर परिषद बीकानेर की ओर से स्थाई लोक अदालत द्वारा पारित तीन लाख रुपए के अवार्ड के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया. अप्रार्थी की माता जी संतोष देवी 06 अगस्त 2019 को गजनेर जा रही थीं. इस दौरान सड़क पर एक आवारा सांड ने टक्कर मार दी, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई. अप्रार्थीगणों ने स्थाई लोक अदालत में इसको लेकर बीकानेर नगर परिषद के खिलाफ वाद पेश किया.
स्थाई लोक अदालत ने वाद स्वीकार करते हुए तीन लाख रुपए मुआवजे के तौर पर अदा करने का आदेश दिनांक 02 अगस्त 2023 को पारित किया, जिसको हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. जस्टिस माथुर ने मामले में नगर परिषद बीकानेर की याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि स्थाई लोक अदालत द्वारा पारित मुआवजा भविष्य में होने वाले दुर्घटनाओं के लिए सहायक होगा.