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हाईकोर्ट ने सिनोदिया हत्याकांड के अभियुक्त को पैरोल पर रिहा करने के दिए आदेश - Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने भंवर सिनोदिया की हत्या के मामले में जेल में बंद अभियुक्त को पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.

HIGH COURT ORDERS,  BHANWAR SINODIA MURDER CASE
हाईकोर्ट ने सिनोदिया हत्याकांड के अभियुक्त को पैरोल पर रिहा करने के दिए आदेश. (Etv Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 9, 2024, 9:28 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने किशनगढ़ के पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया के बेटे भंवर सिनोदिया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे अभियुक्त बलभा राम को चौथे नियमित पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता पैरोल अवधि पूरी होने के बाद जेल प्रशासन के समक्ष समर्पण करे. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश बलभा राम की पैरोल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने पैरोल कमेटी के आदेश को रद्द करते हुए माना कि याचिकाकर्ता अभियुक्त का जेल में संतोषजनक व्यवहार था. याचिका में अधिवक्ता गोविंद प्रसाद रावत ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को 11 अप्रैल 2014 को हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. याचिकाकर्ता को अब तक नियमानुसार तीन बार नियमित पैरोल का लाभ दिया जा चुका है. पैरोल अवधि पूरी होने के बाद उसने समय पर जेल प्रशासन के समक्ष समर्पण किया है. इसके अलावा सामाजिक अधिकारिता विभाग की रिपोर्ट भी याचिकाकर्ता के पक्ष में आई है.

पढ़ेंः 11 साल से याचिका में जवाब पेश नहीं, हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार और एसएससी पर 1.25 लाख का लगाया हर्जाना - Rajasthan High Court

इसके बावजूद पैरोल कमेटी ने उसे चौथे पैरोल का लाभ देने से इनकार कर दिया. ऐसे में उसे चौथे नियमित पैरोल के तहत चालीस दिन के लिए रिहा किया जाए. याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं. इसके अलावा अजमेर पुलिस अधीक्षक ने भी उसके खिलाफ रिपोर्ट दी है, इसलिए पैरोल कमेटी ने उसके पैरोल आवेदन को निरस्त किया है. ऐसे में उसे पैरोल का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता अभियुक्त को चौथे पैरोल के तहत चौदह दिन के लिए रिहा करने के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि मार्च 2011 में भंवर सिनोदिया का अपहरण और हत्या के मामले में एडीजे कोर्ट ने 11 अप्रैल 2014 को बलभा राम सहित छह लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए दो लोगों को बरी कर दिया था. हाईकोर्ट बलभा राम सहित पांच की सजा को यथावत रखते हुए एक आरोपी को बरी कर दिया था.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने किशनगढ़ के पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया के बेटे भंवर सिनोदिया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे अभियुक्त बलभा राम को चौथे नियमित पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता पैरोल अवधि पूरी होने के बाद जेल प्रशासन के समक्ष समर्पण करे. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश बलभा राम की पैरोल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने पैरोल कमेटी के आदेश को रद्द करते हुए माना कि याचिकाकर्ता अभियुक्त का जेल में संतोषजनक व्यवहार था. याचिका में अधिवक्ता गोविंद प्रसाद रावत ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को 11 अप्रैल 2014 को हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. याचिकाकर्ता को अब तक नियमानुसार तीन बार नियमित पैरोल का लाभ दिया जा चुका है. पैरोल अवधि पूरी होने के बाद उसने समय पर जेल प्रशासन के समक्ष समर्पण किया है. इसके अलावा सामाजिक अधिकारिता विभाग की रिपोर्ट भी याचिकाकर्ता के पक्ष में आई है.

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इसके बावजूद पैरोल कमेटी ने उसे चौथे पैरोल का लाभ देने से इनकार कर दिया. ऐसे में उसे चौथे नियमित पैरोल के तहत चालीस दिन के लिए रिहा किया जाए. याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं. इसके अलावा अजमेर पुलिस अधीक्षक ने भी उसके खिलाफ रिपोर्ट दी है, इसलिए पैरोल कमेटी ने उसके पैरोल आवेदन को निरस्त किया है. ऐसे में उसे पैरोल का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता अभियुक्त को चौथे पैरोल के तहत चौदह दिन के लिए रिहा करने के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि मार्च 2011 में भंवर सिनोदिया का अपहरण और हत्या के मामले में एडीजे कोर्ट ने 11 अप्रैल 2014 को बलभा राम सहित छह लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए दो लोगों को बरी कर दिया था. हाईकोर्ट बलभा राम सहित पांच की सजा को यथावत रखते हुए एक आरोपी को बरी कर दिया था.

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