जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती-2020 के संशोधित परिणाम से बाहर हुए कांस्टेबलों को सेवा में बनाए रखने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत इन्हें मेरिट सूची में सबसे निचले स्तर पर रखने को कहा है. जस्टिस महेन्द्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश भीम सिंह व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती-2020 में जयपुर ग्रामीण के लिए आवेदन किया था. वहीं, उनके मेरिट में आने पर विभाग ने उन्हें 27 मई, 2021 को नियुक्ति दे दी. याचिका में कहा गया कि इस दौरान कुछ प्रश्नों के उत्तरों को गलत जांचने को आधार बनाकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. जिसमें हाईकोर्ट ने विशेषज्ञ कमेटी गठित कर इन विवादित प्रश्नों का पुन: परीक्षण करने के आदेश दिए. कमेटी ने तीन प्रश्नों के जवाबों में संशोधन किया. इसके चलते 10 जून, 2022 को संशोधित परिणाम जारी किया गया, जिसकी संशोधित मेरिट लिस्ट में याचिकाकर्ताओं को स्थान नहीं मिला.
ऐसे में राज्य सरकार ने याचिकाकर्ताओं को सेवा से अलग करने के आदेश दे दिए. याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट में विवादित प्रश्नों को चुनौती देने वाली याचिका में याचिकाकर्ताओं को पक्षकार नहीं बनाया गया था. ऐसे में उनकी सेवा समाप्ति से पूर्व याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का मौका नहीं दिया गया. इसके अलावा पूर्व में प्रथम परिणाम जारी होने के बाद याचिकाकर्ताओं को नियुक्ति देने में उनकी ओर से कोई फर्जीवाड़ा नहीं किया गया था और उन्हें निष्पक्ष तरीके से नियुक्ति मिली थी. ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट तय कर चुका है कि अभ्यर्थियों को सेवा से नहीं हटाया जा सकता और उन्हें मेरिट में सबसे नीचे रखा जाता है, इसलिए याचिकाकर्ता को सेवा से नहीं हटाया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को सेवा में बनाए रखने को कहा है.