जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में आरजीएचएस (राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना) में मरीजों के नाम पर फर्जी बिल के जरिए गबन करने के मामले में सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने जांच एजेंसी से पूरक चार्जशीट पेश करने के बाद हुई जांच की विस्तृत रिपोर्ट मांगते हुए मामले को 1 मार्च को सुनवाई के लिए रखा है. जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ के समक्ष आरजीएचएस कैंसर दवा घोटाले में तीन आरोपियों जुगल झंवर, महेन्द्र कुमार व नरेश कुमार की ओर से जमानत याचिकाए पेश की गई है.
सुनवाई के दौरान अनुसंधान एजेंसी एटीएस जोधपुर से एडिशनल एसपी विरेन्द्र सिंह और अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी मौजूद रहे. कोर्ट को अब तक की जांच से अवगत करवाया गया. इस पर कोर्ट ने जांच एजेंसी को पूरक चार्जशीट पेश करने के बाद हुई जांच की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ तीनों आरोपियों को फिलहाल किसी प्रकार की राहत नहीं दी गई है. गत सुनवाई पर कोर्ट ने जमानत याचिका पर जांच एजेंसी एटीएस को समय देते हुए एम्स निदेशक जोधपुर को जांच में सहयोग के निर्देश दिए हैं.
जांच एजेंसी ने कोर्ट को बताया था कि आरजीएचएस योजना में फर्जी तरीके से मरीजों के नाम से बिल बनाकर सरकार से पैसा उठाया गया है. आरोपियों की पहुंच मेडिकल में अन्दर तक है. एटीएस इस पूरे गिरोह की जांच कर रही है. अब तक की जांच से यह सामने आया है कि आरोपियों ने एम्स व मेडिपल्स अस्पताल तक के नाम का उपयोग किया है. उन्होने कोर्ट को बताया कि ऐसा लग रहा है कि इस मामले में एम्स अस्पताल की डॉ. आकांक्षा गर्ग के बयान भी आवश्यक हैं. कुछ दस्तावेज भी एम्स अस्पताल जोधपुर से अभी प्राप्त करने हैं. इस पर कोर्ट ने एम्स अस्पताल जोधपुर के निदेशक को जांच में सहयोग करने और आवश्यक दस्तावेज को लेकर सहयोग करने को कहा है ,ताकि जांच एजेंसी जांच को जल्द पूरा कर सकें. वहीं, एक आरोपी तुषार झंवर अभी तक फरार चल रहा है. आरोपियों ने आरजीएच योजना में कैंसर रोगी सहित कइयों के नाम पर फर्जी बिल बनाकर आरजीएचएस के तहत करोड़ों रुपए की सरकारी राशि का गबन किया है.