जोधपुर : राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस फरजंद अली की बैंच ने बाड़मेर में एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में पुलिस द्वारा बरती गई खामियों को लेकर कड़े सवाल खड़े किए हैं. हाईकोर्ट ने पुलिस के अड़ियल रवैये और गलतियों पर चिंता व्यक्त करते हुए महिला थाना अधिकारी सत्यप्रकाश, एएसआई लादूराम और जांच अधिकारी सोमकरण से स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जाए. इसके साथ ही पुलिस अधीक्षक बाड़मेर से शपथ पत्र मांगा गया है कि इस मामले की जांच किसी अन्य एजेंसी या किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को क्यों न सौंपी जाए. मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी.
याचिकाकर्ता जोरावर सिंह की ओर से अधिवक्ता मुक्तेश माहेश्वरी ने याचिका पेश कर पूरे मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की. याचिका में कहा गया कि याची की पुत्री को ससुराल पक्ष ने जलाकर मार डाला. इस घटना में 26 जुलाई 2024 को मुकदमा दर्ज कराया गया था. अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 19 जुलाई 2024 को शाम करीब साढ़े चार बजे महिला के जलने की घटना हुई थी. महिला का पति नरेंद्र सिंह उसे बाड़मेर के अस्पताल ले गया और गैस वॉल्व लीकेज का कारण बताया. डॉक्टर ने गंभीर हालत देखते हुए महिला को हायर सेंटर रेफर किया. हालांकि, आरोपी ने महिला को जोधपुर के एक निजी अस्पताल में ले जाने का दावा किया. उसी दिन रात करीब 11 बजे महिला को मृत घोषित कर वापस बाड़मेर ले जाया गया. अगले दिन मृतका के पति ने एफआईआर दर्ज कराई और दावा किया कि महिला ने पेट्रोल डालकर आत्महत्या की है.
इसे भी पढ़ें- महिला सुपरवाइजर भर्ती में अनियमितता पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
पुलिस अधीक्षक से शपथ पत्र मांगा : पुलिस ने मामले में मृतका की नौ वर्षीय बेटी, जो चश्मदीद गवाह है, उसके बयान दर्ज किए थे, लेकिन वे टाइप किए हुए थे. इससे जांच की पारदर्शिता पर सवाल उठे. पूर्व में आरोपी नरेंद्र की जमानत याचिका के दौरान जस्टिस कुलदीप माथुर ने भी पुलिस जांच की खामियों पर सवाल उठाए थे. कोर्ट ने निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए थे, लेकिन इस आदेश के बावजूद निष्पक्ष जांच नहीं हो पाई और आरोपियों को बचाने के प्रयास के आरोप लगे. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि पुलिस ऐसे संवेदनशील मामलों में गंभीर नहीं है. बाड़मेर से जोधपुर जाने के सबूत भी जांच में शामिल नहीं किए गए. इन खामियों पर हाईकोर्ट ने जांच पर संदेह जताते हुए तीनों अधिकारियों से जवाब मांगा है. साथ ही, पुलिस अधीक्षक बाड़मेर से शपथ पत्र मांगा गया है कि जांच किसी अन्य अधिकारी या एजेंसी को क्यों न सौंपी जाए.